विश्व फोटोग्राफी दिवस के शुभ अवसर पर आप सभी को विश्व फोटोग्राफी दिवस की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं।आलेख – संकलन -छायाकार -बृजमोहन जोशी।



नैनीताल l फोटोग्राफी का आविष्कार कब और कैसे हुआ इसकी कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। सन् १७२१ की बात है कि एक जर्मन भौतिक शास्त्री जाॅन हिनरिच शाॅल्ज अपने हाथ में चांदी मिले नाइट्रिक एसिड में कुछ मात्रा चाक की डालकर अपनी खुली खिड़की के पास कुछ प्रयोग कर रहे थे कि उन्होंने अचानक देखा कि जैसे ही सूर्य कि किरणें जब उनके हाथ में लगे सिल्वर एसिड मिश्रण पर पड़ी तो वह काला हो गया और जिस भाग में सूर्य कि किरणें नहीं पड़ रही थी वह भाग काला नहीं हुआ था।
शाल्ज ने सोचा कि इस मिश्रण द्वारा छाया चित्र बनाया जा सकता है और उन्होंने प्रबल सिल्वर नाइट्रेट विलयन का प्रयोग कर स्टेंसिल द्वारा प्रथम अस्थाई छाया चित्र बनाया इसी के बाद फोटोग्राफी का प्रारम्भ हो गया।
सन् १८३५ में विलियम हेनरी फोक्स टेल्बोट पेपर निगेटिव बनाने में सफल हुए और सन् १८४१ में उन्होंने कैलोटाइप प्रोसेस को पेटेण्ड करा लिया।टोल्बोट ने फोटोग्राफी पेपर सिल्वर आयोडाइट लगाया जो एक सफल फोटोग्राफी पेपर बना साथ ही साथ कामयाब लेंस जोजफ पेजवल ने बनाया जिसमें कम समय में फोटो खिंचा जा सकता था।
उसी दिन फ्रांस के छायाकार लूईस अरागों ने डैग्यूरे की प्रक्रिया से पहला चित्र फ्रांस में (बुलेवाड ड् मन्दिर) का खिंचा था दिनांक 09 अगस्त 1838 को तथा 19 अगस्त 1839 को इस चित्र को फ्रांस अकादमी में निशुल्क आम लोगों के बीच पहुंचाया।
बाद में ड्राई प्लेटों के आविष्कार से फोटोग्राफी आसान होती गयी और उससे अच्छे पोज लिए जाने लगे। पहले प्रयोग होने वाले कैमरे जो लकड़ी के बड़े बड़े बाक्स के रूप में होते थे उनका भी सुधार होता गया और छोटे कैमरे निर्मित किए जाने लगे।
सन् १८८९ में फिल्म का आविष्कार हुआ और फिर फिल्म उजाले में भी लोड कि जाने लगी। पहले १६ मि.मि. फिर ०८ मि.मि. की फिल्में बनी और फिर ३५ मि.मि. फिल्म के आविष्कार ने तो विश्व फोटोग्राफी में एक क्रांति ला दी। सन् १९११ में फिशर तथा सिगरिट ने क्रोमोजिनिक डेवलपमेंट द्वारा रंगीन फोटोग्राफी को सफल तथा प्रयोगात्मक बनाया और फिर धीरे-धीरे फ़िल्मों और कैमरौं की गुणवत्ता में सुधार होता गया और फोटोग्राफी आसान होती गयी। फोटोग्राफर मुख्यतः एस.एल.आर. कैमरे का प्रयोग करते हैं क्योंकि ज़ूम लैंस होने के कारण हर प्रकार कि फोटोग्राफी कि जा सकती है। वें कैमरे जो अन्य लोग अपने घरों आदि में फोटोग्राफी हेतु प्रयोग करते हैं वो सामान्यतः मिनिएचर कैमरे कहलाते हैं क्योंकि उसके द्वारा हमें किसी का पोज लेने हेतु लैंस को फोकस नहीं करना पड़ता क्योंकि वे आटो फोकसित कैमरे होते हैं।
आज संचार क्रांति के युग में डिजिटल इण्डिया के युग में ( डिजिटल कैमरा,/स्मार्ट फोन/मैमोरी कार्ड… ‌के आने से फोटो ग्राफी ने धूम मचा दी है।आज हर कोई फोटोग्राफर बन गया है और ( एडोव फोटो शाप) व फेसबुक के माध्यम से बहुत ही कम समय में एक कुशल छायाकार के रूप में अपनी पहचान बना रहे हैं। जब कि रोल फिल्म के समय में एक ख्याति प्राप्त छायाकार बनने में वर्षों लग जाते थे।तब फोटोग्राफी एक बहुत ही मंहगा शौक हुआ करता था। आज ग्लास प्लेट के बारे में, रोल फिल्म के बारे में, श्वेत श्याम, स्लाइड फिल्म के बारे में व उसकी धुलाई, उनके स्लाइड माउन्ट…. आदि के बारे में शायद ही हम युवा जानते हों।आज हम गूगल (सर्च इंजन) से सारी जानकारी ले रहे हैं।
….. बहुत पहले जब फोटोग्राफी के लिए फिल्म नहीं थी तब ग्लास प्लेट में चित्र खिंचे जाते थे।जिनका आकार कम से कम 10 इंच तथा 12 इंच का होता था अतः इनके लिए कैमरा भी बहुत बड़ा होता था जिसे स्टैंड में लगाकर ही फोटो खिंचा जा सकता था । इसे आसानी से ईधर उधर नहीं ले जाया जा सकता था। सर्व प्रथम (गीली ग्लास प्लेट) उपयोग में लायी जाती थी जिसे ( डिगैरो टाइप प्लेट) कहते थे। इन्हें कैमिकल में डुबोकर गीले में कैमरे पर चढ़ाया जाता था और फोटो खिंचने के बाद फिर कैमिकल में डुबोया जाता था तथा चित्र उभर आते थे बाद में ( सूखे प्लेट) आने लगे जिससे इनके रख रखाव में व इन्हें इधर उधर ले जाने में सहूलियत रहती थी।
रंगीन फिल्म के आने से तथा इनकी धुलाई और प्रिंटिंग मशीनों द्वारा और कम्प्यूटरों के द्वारा होने से ( ब्लैक एंड व्हाइट) फिल्में महंगी होती गयी और धीरे धीरे इनका चलन आज लगभग समाप्त सा हो चुका है।
‌‌देश के प्रसिद्ध छायाकार ओ.पी. शर्मा जी ( इण्डिया इण्टर नैशनल फोटोग्राफी काउंसिल नई दिल्ली से जुड़े) ने १९ अगस्त को विश्व फोटोग्राफी दिवस के रूप में मनाने के लिए देश विदेश में एक मुहिम शुरू की और उनके प्रयासों से इसकी शुरुआत १९९१ में हुई।
पहले हम फोटोग्राफर फोटो को लोगों के लिए एक यादगार बना दिया करते थे लेकिन आज टेक्नोलॉजी के विस्तार में फोटोग्राफी के कलात्मक पक्ष और उसकी आत्मा की उपेक्षा होती जा रही है।

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