.”राष्ट्रवाद और उसकी महत्ता ” पर गोष्ठी संपन्नसभी को राष्ट्र के प्रति निष्ठावान होना चाहिए-अतुल सहगल

नैनीताल l केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में “राष्ट्रवाद और उसकी महत्ता ” विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया I य़ह करोना काल से 679 वेबिनार था I वैदिक प्रवक्ता अतुल सहगल ने वर्तमान समय में राष्ट्रवाद के विषय की चर्चा का महत्त्व बताया और यह कहा कि आजकल की परिस्थितियां इस विषय को लोक चर्चा का केंद्र बिंदु बना रही हैं l उन्होंने राष्ट्रवाद की विस्तृत परिभाषा सामने रखी l राष्ट्रवाद के मुख्य लक्षण और बिंदु प्रस्तुत करते हुए विस्तार से राष्ट्र की मौलिक परिकल्पना से लेकर राष्ट्रवाद की अवधारणा का उल्लेख किया l ऋग्वेद के 22 वें अध्याय के मन्त्र संख्या 22 का उद्धरण देते हुए आदर्श राष्ट्र के लक्षणों को विस्तार से प्रस्तुत किया l विश्व के अनेक देशों के उदाहरण देते हुए बताया कि किस प्रकार वहां राष्ट्रवाद का उदय हुआ और अनेक नव राष्ट्र बने l राष्ट्र का निर्माण किसी विशेष विचारधारा के आधार पर होता है और यही विचारधारा लोगों को एक सूत्र में बांधती है l भारत की बात करते हुए कहा कि यह देश बहुत प्राचीन काल से विश्वगुरु रहा है पर कालांतर में विचारधारा के दूषित होने से समाज का नैतिक पतन हुआ और यह राष्ट्र अपना वर्चस्व और गौरव खो कर पराधीनता में जकड़ गया l लेकिन कुछ समय बाद समाज में पुनः जाग्रति आयी और राष्ट्रवाद सुदृढ़ होने लगा l अब भारत राष्ट्र उन्नति के मार्ग पर अग्रसर है और फिर से विश्वागुरु बनने की राह पर है l भारत राष्ट्र की तीव्र उन्नति के क्या क्या करना होगा — उन बातों की चर्चा की l आर्यसमाज की इस कार्य में विशेष और अग्रिम बहुत भूमिका रहेगी l हम सबको को दृढ़संकल्प से अपनी शुद्ध सनातन वैदिक विचारधारा को ही पूर्णता से स्थापित करना है l इसके लिये बड़े पुरुषार्थ की आवश्यकता है l राष्ट्रवाद की महत्ता के परिपेक्ष्य में यह भी बताया की यह व्यक्ति की भौतिक उन्नति और आध्यात्मिक उन्नति का कारक बनता है l
राष्ट्रवाद के अनेक अंगों की व्याख्या करते हुए राष्ट्र प्रेम और राष्ट्र भक्ति को ही प्रमुख लक्षण ठहराया l इनके होते हुए समाज का प्रत्येक गण राष्ट्र उत्थान में अपना योगदान देता है और इस प्रक्रिया में अपनी सर्वांगीण उन्नति भी करता है l आर्य नेत्री विद्ययोंतमा ने अध्यक्षता करते हुए राष्ट्र के प्रति समर्पण की बात की I परिषद अध्यक्ष अनिल आर्य ने कुशल संचालन करते हुए राष्ट्र को सर्वोपरि बताया I गायिका कौशल्या अरोड़ा, सुदर्शन चौधरी, प्रवीण आर्य, रचना वर्मा, मंजू आदि ने भजन सुनाए I

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