गणतंत्र दिवस पर अन्तर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन संम्पन्न, कविता अभिव्यक्ति का माध्यम है -नरेन्द्र आहूजा विवेक
नैनीताल l केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के 47 वें वार्षिकोत्सव व गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में अन्तर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य की अध्यक्षता में किया गया।जिसका यू-ट्यूब व जूम प्लेटफार्म पर लाइव प्रसारण किया गया। हरियाणा राज्य औषधि पूर्व नियन्त्रक और केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के प्रान्तीय प्रभारी नरेन्द्र आहूजा विवेक ने 76वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर कवि सम्मलेन का कुशल संचालन करते हुए कहा की वेद आदि कवि की कविता है जो मनुष्य मात्र के लिए संविधान है, मानव के लिए कल्याणी वाणी है।कविता अभिव्यक्ति का माध्यम है। दिल्ली विश्वविद्यालय से प्रोफेसर अंजू अग्रवाल इस अवसर पर विशेष रूप से उपस्थित रही।कविवर सत्य प्रकाश भारद्वाज फरीदाबाद द्वारा ओ३म् की ध्वनि करके कवि सम्मेलन का शुभारंभ किया गया।उन्होंने अपनी कविता पुकार सुनी क्या कभी मात की?,क्या कभी व्यथा पर ध्यान दिया?, चाहा जो मात्र भूमि ने,क्या तुमने प्रदान किया?। हमसे ना तू खाने की, ना पीने की बात कर, मर्दों की तरह जीवन जीने की बात कर।वीरों के मस्तक पर चढ़कर मिट्टी फिर मुस्कुराती है कविता के माध्यम से संस्कारो का महत्व बतलाया।उन्होंने कहा कि कष्ट मिलने के बाद भी हमें हार नहीं माननी चाहिए और दूसरो के दुःख दूर कर स्वयं खुश होना चाहिए।कवि धर्मेश द्वारा अमर शहीदों को शत शत नमन करते हुए अपनी कविता दुखी बहुत है गद्दारों से आज यह भारत माता।कवि सुरेश पाण्डेय (स्वीडन) ने अपनी रचना जुड़ जाता हूं किस-किस से मैं,नहीं पता यह अब तक मुझको,सुनाकर मन मोह लिया। कवि वीरेंद्र आहूजा ने अपनी रचना बुलबुलो अगर तुम्हारा चमन लुट गया,चह चहाने बताओ कहां जाओगे? सुनाकर भावविभोर कर दिया। प्रोफेसर अंजू अग्रवाल ने अपनी रचना यह गणतंत्र अधूरा है पूरा हमें बनाना है, सुनाकर आज के हालात पर विशेष चर्चा की।कवि सुधीर बंसल फरीदाबाद ने अपनी रचना ढूंढते रह जाओगे, लुगाइयों का घाघरा,खिचड़ी का बाजरा। मुंबई से काव्यित्री ऋचा ने अपनी रचना में कहा जो अपनी रक्षा आप करें,उसके संग विधाता है, यह कंकड़ पत्थर रेत नहीं,यह तो भारत माता है,सुनाकर देशप्रेम कि भावना को जागृत कर दिया।काव्यित्री प्रतिभा कटारिया ने गणतंत्र का सार बताते हुए कहा कि हमारा गणतंत्र हमारे देश की पहचान,जुड़ा है उससे देश का स्वाभिमान। नार्वे से सुरेश चंद्र शुक्ल ने 26 जनवरी को संविधान लागू हुआ यह बताया और अपनी रचना प्रभु संविधान दिया है तो लोकतंत्र बहाल कीजिए,सुनाई। काव्यित्री अलका गुप्ता (मेरठ)ने उठो देश के सपूतों मां भारती पुकारती। बिंदु मदान ने जहां डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती हैं बसेरा। इसके अतिरिक्त नैरोबी से कमलेश मोगा, पिंकी आर्या आदि ने कविताएं सुनाई समर्पण ही समर्पण है इस दुनिया में बेटियों के लिए पंक्तियों के साथ ही विभिन्न मुक्तकों द्वारा सभी श्रोताओं में जोश भर दिया। योगी प्रवीण आर्य ने स्वामी दयानंद सरस्वती की शिक्षा पर कविता प्रस्तुत की।अध्यक्षता करते हुए ओम सपरा ने नये आंग्ल वर्ष पर नये दोस्त बनाने का सुझाव देती हुई कविता सुनाई।
हरियाणा प्रदेश के परिषद् अध्यक्ष स्वतंत्र कुकरेजा ने भी इस अवसर पर अपनी पंक्तियों का गायन किया जिसकी सभी ने सराहना की। राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने सभी से देश की एकता अखंडता को सुरक्षित रखने का आह्वान किया। महामंत्री महेंद्र भाई ने धन्यवाद ज्ञापित किया।