कुमाऊं विश्वविद्यालय में प्रो. नंद गोपाल साहू का प्रेरक व्याख्यान: “कचरे से ग्राफीन तक की यात्रा और प्रौद्योगिकी का व्यावसायीकरण”
नैनीताल। कुमाऊं विश्वविद्यालय इनोवेशन एंड इन्क्यूबेशन सेंटर (KUIIC) और डायरेक्टोरेट ऑफ विजिटिंग प्रोफेसर द्वारा “प्रौद्योगिकी विकास की प्रक्रिया, तकनीकी तत्परता स्तर (TRL) और लैब तकनीकों के व्यावसायीकरण” पर एक विशेषज्ञ व्याख्यान आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम के प्रमुख वक्ता प्रो. एन.जी. साहू ने प्रतिभागियों को तकनीकी नवाचार और अनुसंधान के व्यावसायिक पहलुओं को गहराई से समझने में मदद की.इस व्याख्यान में उन्होंने 100 से अधिक प्रतिभागियों को यह समझाया कि कैसे विज्ञान और तकनीकी नवाचारों के माध्यम से प्रयोगशाला की खोजों को व्यावसायिक स्तर पर पहुंचाया जा सकता है।
प्रो. साहू ने अपनी टीम की सफलता की कहानी साझा करते हुए बताया कि कैसे उन्होंने प्लास्टिक कचरे को चमत्कारी सामग्री “ग्राफीन” में बदल दिया। उन्होंने ग्राफीन की विशेषताओं और इसके अनुप्रयोगों पर चर्चा की। यह स्टील से 200 गुना मजबूत और बेहद हल्का है। इसका उपयोग ऊर्जा भंडारण, जल शोधन, ड्रग डिलीवरी और पॉलिमर निर्माण में किया जा रहा है|प्रो. साहू ने बताया कि उन्होंने अपनी तकनीक को भीमताल और रायपुर, छत्तीसगढ़ में दो उद्योगों को सफलतापूर्वक हस्तांतरित किया है। उन्होंने इस प्रक्रिया में उत्प्रेरक (कैटलिस्ट) के अनुपात को बदलकर उत्पाद का अनुपात बदलने की तकनीक भी साझा की—जिससे अधिक तरल ईंधन या ग्राफीन उत्पादित किया जा सकता है। कार्यक्रम में उन्होंने यह भी बताया कि उनकी टीम ने राइस स्ट्रॉ से ग्राफीन बनाने के लिए एक नया पेटेंट दायर किया है। साथ ही, एलोवेरा से पूरी तरह हरित तकनीक का उपयोग करते हुए ग्राफीन बनाने की प्रक्रिया को भी विकसित किया है। उन्होंने कहा “हमने एलोवेरा जेल को इलेक्ट्रोलाइट के रूप में उपयोग किया है, और यह तकनीक पर्यावरण के लिए पूरी तरह सुरक्षित है,” उन्होंने आयरन की जांच के लिए मात्र 30 पैसे की लागत वाले आयरन के सेंसर स्ट्रिप के निर्माण की जानकारी दी। इस स्ट्रिप का उपयोग जल गुणवत्ता की निगरानी के लिए किया जा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि उनकी टीम प्लास्टिक कचरे से हाइड्रोजन ऊर्जा प्राप्त करने की दिशा में काम कर रही है, जिसके लिए उन्हें डीआईबीईआर-डीआरडीओ से परियोजना मिली है। इस व्याख्यान ने प्रतिभागियों को यह समझने में मदद की कि कैसे प्रयोगशाला में विकसित प्रौद्योगिकियों को बड़े पैमाने पर लागू किया जा सकता है। प्रो. साहू के व्याख्यान ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी में नई संभावनाओं को उजागर किया और सभी को प्रेरित किया कि कैसे नवाचार के माध्यम से समाज और पर्यावरण दोनों के लिए सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है।
इस व्याख्यान का संबोधन प्रो. लालित तिवारी द्वारा किया गया, इसके बाद प्रो. आशीष तिवारी, जो KUIIC के निदेशक हैं, ने भी अपना वक्तव्य दिया। इस कार्यक्रम में प्रो. लज्जा भट्ट, प्रो. गीता तिवारी, प्रो. जया तिवारी, डॉ. पेनी जोशी, डॉ. डी.एस. कंबोज, डॉ. नंदन सिंह मेहरा, डॉ. रीना सिंह, डॉ बालम सिंह , प्रॉफ नीलू लोधियाल ,प्रॉफ सुषमा टम्टा ,प्रॉफ अनिल बिष्ट , डॉ. इरा उपाध्याय, डॉ मैत्री नारायण, डॉ. आंचल अनेजा , डॉ नवीन पांडे ,डॉ हर्ष चौहान ,डॉ अनिता पटेल , अमिता सिंह सहित शोधार्थी विद्यार्थी उपस्थित रहे।