महा लक्ष्मी पूजन के सम्बन्ध मेआज दिनांक २३-१०-२०२४ को आचार्य कैलाश चंद्र सुयाल (सेवा निवृत्त) वन क्षेत्राधिकारी के आवास भवाली ( बृजमोहन जोशी )

Advertisement

नैनीताल में महालक्ष्मी पूजन के सम्बन्ध में जानकारी
आचार्य- कैलाश चंद्र सुयाल जी के अनुसार – इस वर्ष ( संवत २०८१) में दीपावली अन्तर्गत श्री महालक्ष्मी पूजन की तिथि (३१ अक्टूबर अथवा १ नवंबर) को लेकर किंचित विवाद की स्थिति बनी हुई है जबकि कांची पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी विजयेन्द्र सरस्वती जी महाराज द्वारा गत वर्ष ही इस वर्ष के महालक्ष्मी पूजन के लिए १ नवंबर की तिथि विभिन्न विद्वानों से विचार विमर्श पश्चात सुनिश्चित किया था तो अब इस प्रकार इसे विवादित करना समीचीन नहीं है। कुमांऊनी क्षेत्र में प्रचलित तीनों प्रमुख पंचांगों (श्री गणेश मार्तण्ड, श्री तारा प्रसाद व नक्षत्र लोक) में १ नवंबर को महालक्ष्मी पूजन प्रदर्शित किया गया है। ३१ अक्टूबर को दीपावली मनाने का आह्वान करते लोगों तक यह संदेश देना चाहेंगे कि सर्वमान्य ज्योतिष ग्रन्थ”तिथि तत्व” में “दण्डैकरजनी योगे दर्श: स्यात्तु परेहनि तथा विहार पूर्वेद्यु:”कहकर १ नवंबर को ही श्री महालक्ष्मी पूजन का निर्देश दिया है। श्री मां नयना देवी मंदिर मल्लीताल नैनीताल के सूचना पटल पर भी १ नवंबर को ही श्री महालक्ष्मी पूजन प्रदर्शित किया गया है। प्रांतीय व्यापार मंडल, हल्द्वानी द्वारा आयोजित निर्णय सभा में १ नवंबर को श्री महालक्ष्मी पूजन प्रदर्शित किया गया है। प्रादेशिक राजधानी देहरादून में नगर के मान्य विद्वानों की श्री कालिका मंदिर में आयोजित सभा में दिनांक १ नवंबर को ही श्री महालक्ष्मी पूजन प्रदर्शित किया गया है। मुख्य बात यह है कि दोनों दिन प्रदोष व्यापिनी अमावास्या होने पर द्वितीय दिवस महालक्ष्मी पूजन का मार्ग प्रशस्त हो गया है। साथ ही चूंकि प्रथम दिवस अमावास्या चतुर्दशी विद्धा है इसलिए इस दिन श्री महालक्ष्मी पूजन उचित नहीं है।
परंतु इस विषय में मतभेद होने का यह अर्थ नहीं है कि इसमें विद्वानों की कोई त्रुटि है। दरअसल ज्योतिष के मुहूर्तादि ग्रहों नक्षत्रों व तारों की परिगणित सिद्धांतों से परिचालित होता है इसलिए यह बहुत ही जटिल विषय है तथा इसमें मत विभाजन अवश्यंभावी है। यह भारतीय ज्योतिष की महत्ता को भी परिलक्षित करता है। विश्व के किसी भी कलैंडर में ग्रह नक्षत्रों का इतना सूक्ष्म परिज्ञान नहीं दिखाई देता है। संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि विभिन्न मतों के अनुसार दोनों ही दिन श्री महालक्ष्मी पूजन किया जा सकता है परंतु द्वितीय दिवस इसे मनाया जाना अधिक तर्कपूर्ण है। इसलिए इस वर्ष सभी आग्रहों को त्यागकर श्री महालक्ष्मी पूजन दिनांक १ नवंबर २०२४ को किया जाएगा। इस ज्ञान वर्धक जानकारी को श्रृद्धालु श्रोताओं तक पहुंचाने के लिए पारम्परिक लोक संस्था परम्परा नैनीताल परिवार तथा आप सभी श्रोताओं की ओर से भी में श्री सुयाल का हार्दिक धन्यवाद करता हूं।

Advertisement
Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad
Advertisement