लद्दाख के पर्यावरण कार्यकर्ता, पारिस्थितिकी विशेषज्ञ, वैज्ञानिक और आविष्कारक सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के अंतर्गत गिरफ्तार कर जोधपुर जेल भेज दिए जाने से नाराज विभिन्न राजनीतिक दलों, जन संगठनों और समाज के प्रतिष्ठित लोगों तथा बुद्धिजीवियों ने अपना विरोध प्रदर्शन किया


नैनीताल l लद्दाख के पर्यावरण कार्यकर्ता, पारिस्थितिकी विशेषज्ञ, वैज्ञानिक और आविष्कारक सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के अंतर्गत गिरफ्तार कर जोधपुर जेल भेज दिए जाने से नाराज विभिन्न राजनीतिक दलों, जन संगठनों और समाज के प्रतिष्ठित लोगों तथा बुद्धिजीवियों ने अपना विरोध प्रदर्शित किया तल्लीताल डाँठ पर महात्मा गांधी की नई मूर्ति के आगे लोगों ने मामबत्तियां जलायी और तख्तियाँ और सोनम वांगचुक के चित्र लहराते हुए नारेबाजी की. उन्होंने पेपर लीक मामले में देहरादून तथा अन्यत्र विरोध प्रदर्शित कर रहे युवाओं के प्रति भी अपनी एकजुटता प्रकट की और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री द्वारा इस घटना को ‘नकल जिहाद’ बताने की निंदा की.
वक्ताओं ने कहा कि लद्दाख के लोग सोनम वांगचुक के नेतृत्व में लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं. 2 वर्ष पूर्व भीषण ठंड में लंबा अनशन करने के बाद उन्होंने लद्दाख से दिल्ली तक पैदल मार्च भी किया. मगर ना तो उन्हें दिल्ली की सीमा में प्रवेश करने दिया गया और न ही उन्हें प्रधानमंत्री अथवा गृहमंत्री से भेंट करने दी गई. इस बार जब उन्होंने दोबारा आंदोलन शुरू किया तो हिंसा का बहाना बनाकर उन्हें जेल में डाल दिया गया. वक्ताओं ने कहा कि वांगचुक जिन मुद्दों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं, वह पूरे हिमालय क्षेत्र में एक जैसे हैं. उत्तराखंड में भी प्राकृतिक संसाधनों की लूट, अनियंत्रित पर्यटन और खनन माफिया की घुसपैठ लद्दाख की ही तरह है. उन्होंने वांगचुक को तत्काल रिहा करने की मांग की.
अंत में “रघुपति राघव राजा राम” गाने के साथ ही प्रदर्शन समाप्त किया गया इस अवसर पर पद्मश्री शेखर पाठक, डॉ.हरीश भट्ट, डा. सी. एस. रौतेला, डॉ. गंगा सिंह बिष्ट, डॉ. शीला रजवार, यशपाल रावत, दिनेश डंडरियाल, माया चिलवाल, एडवोकेट कैलाश तिवारी, दिनेश उपाध्याय, खष्टी बिष्ट, मनमोहन चिलवाल, राजीव लोचन साह, लीला बोरा, हरीश पाठक, रुपिन पाठक, संध्या शर्मा, पंकज भट्ट, भारती जोशी, प्रियंका, शिखा रावत, मोहनचंद कांडपाल आदि उपस्थित थे l

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