अन्तर्राष्ट्रीय मातृ दिवस – श्री नृसिंह चतुर्दशी व्रत, आलेख बृजमोहन जोशी।
नैनीताल l वात्सल्य, धैर्य, त्याग और ममता की प्रतिमूर्ति समस्त (ईजाओं) माताओं को अन्तर्राष्ट्रीय मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं मां नयना देवी से प्रार्थना है कि सभी माताएं सदैव स्वस्थ एवं
प्रसन्न रहें।
नृसिंह चतुर्दशी
भक्त प्रहलाद का अभीष्ट सिद्धि करने के लिए नृसिंह रुप में प्रकट हुए थे और जिस तिथि को भगवान नृसिंह का प्राकट्य हुआ था,वह तिथि महोत्सव बन गयी।
जब हिरण्यकशिपु नामक दैत्य का वध करके नृसिंह भगवान सुख पूर्वक सिंहासन पर विराजमान हुए,तब उनकी गोद में बैठे ज्ञानियों में श्रेष्ठ भक्त प्रहलाद ने उनसे इस प्रकार प्रश्न किया – ” हे सर्वव्यापी भगवान नारायण! नृसिंह का अदभुत रूप धारण करने वाले आपको मेरा बारम्बार नमस्कार है।भगवन में आपसे यह जानना चाहता हूं कि मैं आपको इतना प्रिय कैसे हुआ? इसका कारण बताइये।”
भगवान नृसिंह ने भक्त प्रहलाद को उसके पूर्व जन्म कि कथा सुनाई तथा प्रहलाद के पूछने पर नृसिंह चतुर्दशी व्रत के महात्म्य की विधि बतलायी। भगवान नृसिंह बोले प्रहलाद यह व्रत मेरे प्रादुर्भाव से सम्बन्ध रखता है। अतः वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को इसका अनुष्ठान करना चाहिए। इससे मुझे बड़ा सन्तोष होता है। जो व्यक्ति इस दिन भगवान का चिंतन करते हुए भाई-बंधुओं के साथ मध्यकाल में यथा शक्ति इस व्रत का अनुष्ठान करता है और लीलावती देवी के साथ हारीतमुनी एवं मेरा पूजन करता है, वह नृसिंह के प्रसाद से सदा मनोवांछित वस्तुओं को प्राप्त करता है। इतना ही नहीं, उसे सनातन मोक्ष की प्राप्ति होती है।
आप सभी महानुभावों को नृसिंह चतुर्दशी के इस पावन पर्व की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं।