कुमाऊँ विश्वविद्यालय में पीएम-उषा–मेरु कार्यशाला का शुभारम्भ,– पद्मश्री प्रो. जी. डी. यादव ने कहा, “विश्वविद्यालय देश की अर्थव्यवस्था के इंजन हैं”


नैनीताल। कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल में यूजीसी–एमएमटीटीसी और इंटरनल क्वालिटी एश्योरेंस सेल के संयुक्त तत्वावधान में “ओरिएंटेशन ऑन प्लेसमेंट पॉलिसी एंड इम्प्लीमेंटेशन” विषय पर कार्यशाला का शुभारम्भ हुआ। कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्वलन से हुआ।
मुख्य अतिथि पद्मश्री प्रो. जी. डी. यादव, भटनागर फेलो, नेशनल साइंस चेयर, एमेरिटस प्रोफेसर ऑफ इमिनेंस तथा पूर्व कुलपति, इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी, मुंबई ने अपने प्रेरक संबोधन में कहा कि विश्वविद्यालय किसी भी राष्ट्र की अर्थव्यवस्था के इंजन होते हैं। उन्होंने कहा कि भविष्य में शिक्षा जगत को अनेक वैश्विक चुनौतियों का सामना करना होगा जैसे नेट ज़ीरो लक्ष्य, इंस्टेंट ग्रेटिफ़िकेशन, बढ़ती जनसंख्या और दीर्घायु, स्वास्थ्य सेवाएँ और नई बीमारियाँ, परिपत्र अर्थव्यवस्था, विलासिता और आराम की प्रवृत्ति, नई जीवनशैली, अंतरिक्ष उपनिवेश तथा वर्चुअल, ऑगमेंटेड और मिक्स्ड रियलिटी का तीव्र विस्तार। इन सभी चुनौतियों से निपटने के लिए विश्वविद्यालयों को नवाचार, अनुसंधान और कौशल आधारित शिक्षा को प्राथमिकता देनी होगी। उन्होंने कहा कि शिक्षा केवल डिग्री तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि वह रोजगार, उद्यमिता और सामाजिक नवाचार का माध्यम बननी चाहिए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. (कर्नल) दिवान एस. रावत ने की। उन्होंने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि कुमाऊँ विश्वविद्यालय हमेशा रोजगारोन्मुख, शोधप्रधान और समाजोन्मुख शिक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहा है। विश्वविद्यालय का उद्देश्य ऐसे विद्यार्थियों का निर्माण करना है जो ज्ञानवान, सक्षम और आत्मनिर्भर बनकर समाज और राष्ट्र के विकास में योगदान दें।
यूजीसी–एमएमटीटीसी की निदेशक प्रो. दिव्या यू. जोशी ने कार्यशाला की रूपरेखा प्रस्तुत की और बताया कि यह आयोजन उच्च शिक्षा संस्थानों में प्लेसमेंट नीति के प्रभावी क्रियान्वयन और उद्योग–अकादमिक साझेदारी को सुदृढ़ करने की दिशा में एक सार्थक पहल है।
आईक्यूएसी निदेशक एवं विधि संकाय के डीन प्रो. संतोष कुमार ने स्वागत भाषण में कहा कि गुणवत्तापरक शिक्षा और कौशल विकास के बीच संतुलन स्थापित करना आज की आवश्यकता है, जिससे विद्यार्थियों को न केवल ज्ञान बल्कि रोजगार के अवसर भी प्राप्त हों।
विशेष अतिथि सुश्री अनुभा बाली, सीनियर डायरेक्टर, शिव नादर यूनिवर्सिटी ने कहा कि आज के वैश्विक प्रतिस्पर्धी दौर में शिक्षा संस्थानों को उद्योगों के साथ मिलकर विद्यार्थियों के लिए कैरियर-उन्मुख शिक्षण मॉडल विकसित करने चाहिए। उन्होंने कहा कि भविष्य उन्हीं युवाओं का है जो नवाचार और डिजिटल दक्षता से लैस होंगे। उन्होंने जहाँ कि यह आयोजन उच्च शिक्षा में गुणवत्ता, नवाचार और रोजगारोन्मुखता को सशक्त बनाने के लिए कुमाऊँ विश्वविद्यालय की सतत प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
कार्यक्रम के अंत में सह समन्वयक प्रो. रीतेश साह ने सभी अतिथियों, सहभागियों एवं आयोजन समिति का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह कार्यशाला उच्च शिक्षा संस्थानों में प्लेसमेंट नीति के प्रभावी कार्यान्वयन और कौशल विकास की दिशा में एक मील का पत्थर सिद्ध होगी।
इस अवसर पर प्रो. चित्रा पांडे, प्रो. अतुल जोशी, प्रो शुचि बिष्ट, प्रो ललित तिवारी, प्रो.आशीष तिवारी, प्रो. आशीष मेहता, प्रो. संजय घिल्डियाल, प्रो. महेन्द्र राणा सहित विश्वविद्यालय के अनेक प्राध्यापकगण, शोधार्थी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।

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