आर्ट एण्ड क्राफ्ट कार्यशाला का शुभारंभ


भीमताल। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान भीमताल नैनीताल द्वारा दिनांक १५ फरवरी से १८ फरवरी २०२५ तक आयोजित आर्ट एण्ड क्राफ्ट कार्यशाला का शुभारंभ समन्वय/ प्रवक्ता डॉ. ज्योतिर्मय मिश्र व मनोज चौधरी ने प्रशिक्षकों तथा प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले शिक्षकों का स्वागत किया गया। प्राचार्य डायट भीमताल सुरेश चंद्र आर्य ने प्रधानमंत्री जी ने अपने सम्बोधन में कहा कि प्रधानमंत्री जी के आत्मनिर्भर भारत, स्वाभिमान भारत के उद्देश्य के तहत हमें लोक-
संस्कृति लोक कलाओं के महत्व को भी जानना हैऔर उसे अपने जीवन में अपनाने के साथ साथ अपने युवाओं को भी, विद्यार्थियों को आधुनिक शिक्षा के साथ साथ सामान्य शिक्षा की जानकारी देना भी आवश्यक है। डा. धपोला ने राष्टीय शिक्षा नीति में कार्यशालाओं के माध्यम से कार्यशाला के माध्यम से शिक्षकों को शिक्षकों के माध्यम से विद्यार्थियों को तथा इस विधा में पारंगत कलाकारों को चिन्हित कर उनसे जानकारी प्राप्त कर उनके सहयोग से उस जानकारी को सांझा करने की बात बतलाई। उन्होंने मनुष्य के विकास कि यात्रा का परिचय देते हुए कहा कि मानव सभ्यता के विकास में पढ़ाई बहुत बाद में आयी। मनुष्य ने सबसे पहले अभिव्यक्ति के माध्यम से उसे गुफा चित्रों के रूप में अपने जीवन में उतारा। समन्वयक डॉ ज्योतिर्मय मिश्र व मनोज चौधरी द्वारा कार्यशाला में प्रतिभाग कर रहे सभी शिक्षकों को इस कार्यशाला के प्रशिक्षकों रंगकर्मी, संस्कृति कर्मी स्वतन्त्र छायाकार बृजमोहन जोशी , हस्त शिल्पकार विशन राम तथा श्रीमती रूचि नैनवाल का परिचय कराया गया तथा इस कार्यशाला के उद्देश्य के विषय में प्रतिभागी शिक्षकों को जानकारी दी गई। उन्होंने कहा कि NEP २०२० के प्रावधानों के अनुरूप स्थानीय लोक संस्कृति, लोक कला , लोक शिल्प,लोक गीत, लोक नृत्य, रंग मंचीय लोक नाट्य कला, का प्रचार प्रसार एवं संरक्षण तथा स्थानीय प्रसिद्ध लोक कलाकारों को चिन्हित कर उनके माध्यम से स्थानीय लोक कला के विविध आयामों की जानकारी आने वाली पीढ़ी को हस्तांतरित करना व पाठ्य क्रम, पाठ्यवस्तु को स्थानीय लोक कला एवं संस्कृति से जोड़ना है।
पहले सत्र का शुभारंभ रंगकर्मी बृजमोहन जोशी द्वारा किया गया। जोशी ने कुमाऊंनी पारम्परिक लोक चित्रकला ऐपण कि जानकारी ,ऐपण में प्रयुक्त बिन्दुओं, रेखाओं,प्रतीकों, तथा ज्यामितीय विधी की जानकारी के साथ साथ ऐपण के वर्गीकरण, तथा ऐपण का संस्कारों, कर्मकाण्डों,पूजा पद्धति, मांगल्य संस्कार गीतों के विषय में विस्तार पूर्वक जानकारी दी व भूमि आलेखन कि विभिन्न चौकियों के निर्माण की जानकारी दी। दूसरे सत्र में शिल्पकार विशन राम द्वारा रिंगाल व बांस के विषय में जानकारी दी गयी, उन्होंने बतलाया कि रिंगाल व बांस का हमारे अंचल में शुद्ध कांस के रूप में प्रयोग किया जाता है। डा.विनीत बैरागी ने विशन राम के इस शिल्प के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने बतलाया कि मनुष्य ने किस तरह प्राकृतिक वस्तुओं का उपयोग करना आरम्भ किया और बांस और रिंगाल कि सहायता से मानव जीवन में प्रयोग होने वाले पानी भरने के बर्तन को छोड़कर सभी वस्तुओं का निर्माण लोक जीवन में किया जाता है मनुष्य ने प्रकृति से प्राप्त वस्तुओं का उपयोग भी किया और और इस तरह किया की इस प्रयोग से प्रकृति को कोई नुकसान भी नहीं होता है। शिक्षकों ने भी इस कार्यशाला की प्रसन्नता की।

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