वीर बाल दिवस के अवसर पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया


नैनीताल l वीर बाल दिवस के अवसर पर ब्लूमिंग बड्स स्कूल, टपकेश्वर महादेव रोड़, देहरादून के तत्वावधान में एक बौधिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, कार्यक्रम अध्यक्ष श्री बसंत कुमार (प्रधानाध्यापक) ने कार्यक्रम के आयोजन की जानकारी देते हुये स्वामी जी का परिचय कराया l
मुख्यवक्ता स्वामी एस. चन्द्रा (सामाजिक कार्यकर्ता एवं संस्थापक अध्यक्ष, शैल कला एवं ग्रामीण विकास समिति, 1986), ने वीर बाल दिवस मनाने और उनसे जुडे प्रश्नों को रखते हुये 21 दिसम्बर से 27 दिसम्बर तक इन्हीं 7 दिनों में गुरु गोविंद सिंह जी का पूरा परिवार शहीद हो गया था। उसी रात माता गूजरी ने भी ठन्डे बुर्ज में प्राण त्याग दिए। यह सप्ताह भारत के इतिहास में ‘शोक सप्ताह‘ होता है, शौर्य का सप्ताह होता है।
पूस का 13वां दिन…. नवाब वजीर खां ने फिर पूछा…. बोलो इस्लाम कबूल करते हो? 6 साल के छोटे साहिबजादे फ़तेह सिंह ने नवाब से पूछा…. अगर मुसलमाँ हो गए तो फिर कभी नहीं मरेंगे न? वजीर खां अवाक रह गया….उसके मुँह से जवाब न फूटा तो साहिबजादे ने जवाब दिया कि जब मुसलमाँ हो के भी मरना ही है, तो अपने धर्म में ही अपने धर्म की खातिर क्यों न मरें?
दोनों साहिबजादों को ज़िंदा दीवार में चिनवाने का आदेश हुआ.. दीवार चिनी जाने लगी। जब दीवार 6 वर्षीय फ़तेह सिंह की गर्दन तक आ गयी तो 9 वर्षीय जोरावर सिंह रोने लगा…फ़तेह ने पूछा, जोरावर रोता क्यों है? जोरावर बोला, रो इसलिए रहा हूँ कि आया मैं पहले था पर कौम के लिए शहीद तू पहले हो रहा है……
गुरु साहब का पूरा परिवार 6 पूस से 13 पूस… इस एक सप्ताह में कौम के लिए धर्म के लिए राष्ट्र के लिए शहीद हो गया ।
दोनों बड़े साहिबजादों, अजीत सिंह और जुझार सिंह जी का शहीदी दिवस !
स्वामी ने कहा पहले पंजाब में इस हफ्ते सब लोग ज़मीन पर सोते थे क्योंकि माता गूजरी ने 25 दिसम्बर की वो रात दोनों छोटे साहिबजादों के साथ नवाब वजीर ख़ाँ की गिरफ्त में सरहिन्द के किले में ठंडी बुर्ज़ में गुजारी थी और 26 दिसम्बर को दोनो बच्चे शहीद हो गये थे। 27 तारीख को माता ने भी अपने प्राण त्याग दिए थे। लेकिन, अंग्रेजों की देखा-देखी पगलाए हुए हम भारतीयों ने गुरु गोविंद सिंह जी की कुर्बानियों को सिर्फ 300 साल में भुला दिया। ये बड़े शर्म की बात है कि हमने अपने गौरवशाली इतिहास को भुला दिया और यही मूल कारण है कि हम ग़ुलाम बने।
इस अवसर पर स्कूल शिक्षक एवं शिक्षिका सुश्री दीपमाला, संगीता, रिषिका, शिवांगी, मेघा, उमा, दीपक जी, सुश्री कणिका, सरिता, परमिंदर कौर, पारुल श्रमा, पारुल बडोनी उपस्थित रहे.
प्रधानाचार्य वसंत कुमार जी ने धन्यवाद आभार व्यक्त किया.

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