विभिन्न मांगों को लेकर आशाओं ने किया प्रदर्शन

नैनीताल l विभिन्न मांगों को लेकर आशा कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया l प्रदर्शन के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा जिसमें कहा है कि आशा हेल्थ वर्कर्स की समस्याओं एवं विकट कार्य परिस्थितियों को ज्ञापन, मांग पत्रों एवं आपसे वार्ता के माध्यम से बार बार आपके संज्ञान में लाया गया है। लेकिन अफसोस की बात है कि आपकी सरकार द्वारा आशा वर्कर्स की समस्याओं के समाधान के लिए कोई भी कदम नहीं उठाया जा रहा है। महोदय, उत्तराखण्ड के स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत आशाओं का विभाग में कोई भी सम्मान नहीं है और न ही वेतन। आशाएं विभाग के सभी अभियानों और सर्वे में बिना किसी न्यूनतम वेतन और कर्मचारी के दर्जे के लगा दी जाती हैं। गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशु की सेवा से शुरू करते हुए आज आशा वर्कर्स को सारे काम करने पड़ रहे हैं लेकिन आपकी सरकार आशाओं को न्यूनतम वेतन तक देने को तैयार नहीं है, आपकी सरकार का यह रवैया महिला श्रम की शक्ति को अनदेखा करने वाला है। आशाओं को उनके काम के अनुरूप पैसा मिलना तो दूर वादा किया गया पैसा भी नहीं मिल रहा है। आशाओं की लगातार ट्रेनिंग चलती रहती हैं लेकिन ट्रेनिंग में दिया जाने वाला पैसा इतना भी नहीं होता कि दूर दराज से आने वाली आशाएं अपना किराया भाड़ा भी दे सकें। आशाओं को मिलने वाला विभिन्न मदों का प्रति माह मिलने वाला पैसा छह छह माह तक नहीं मिल रहा है जिसके कारण आशाएं बहुत दिक्कतों का सामना कर रही हैं। इस सबके साथ साथ अस्पताल स्टाफ का व्यवहार आशाओं के प्रति आम तौर पर बेहद खराब होता है। साथ ही आशाओं को हर जगह प्रताड़ित होना पड़ता है। नियम है कि आशा वर्कर्स को सरकारी अस्पताल में ही डिलीवरी करानी होगी, आशाएं इसका पूरी तरह पालन करती हैं। परन्तु कई बार सरकारी अस्पताल में डॉक्टर गंभीर स्थिति में या अस्पताल में उचित सुविधाएं उपलब्ध न होने के कारण प्राइवेट या अन्य जगह दिखाने के लिए रेफर कर देते हैं। और जब आशा प्राइवेट में जाती ही तो उनके खिलाफ जांच बिठा दी जाती है। ये बंद होना चाहिए। एक तो आशाओं न्यूनतम वेतन, कर्मचारी का दर्जा कुछ भी नहीं मिलता दूसरी ओर काम के बोझ को लागातार बढ़ाया जाना कहां तक न्यायोचित है? साथ ही हम याद दिलाना चाहते हैं कि, 31 अगस्त 2021 को उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन (ऐक्टू) के आंदोलन के बाद आपके खटीमा स्थित कैम्प कार्यालय में आशाओं के प्रतिनिधिमंडल से वार्ता के बाद आपने आशाओं को मासिक मानदेय नियत करने व डी.जी. हेल्थ उत्तराखंड के आशाओं को लेकर बनाये गये प्रस्ताव को लागू करते हुए प्रतिमाह 11500 रूपये का वादा किया था। आपके वादे को चार साल पूरा होने को है लेकिन आपकी सरकार द्वारा यह वादा पूरा नहीं किया गया है। आपको अपने इस वायदे को आशाओं के हित में आपको अवश्य ही पूरा करना चाहिए। स्वास्थ्य विभाग की नियमित कर्मचारी न होते हुए भी स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपनी लगन और मेहनत के साथ बेहतर काम के बल पर आशायें स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ बन चुकी हैं इसलिए आज समय आ गया है कि आशाओं के शानदार योगदान के महत्व को समझते हुए उनको न्यूनतम वेतन देते हुए स्वास्थ्य विभाग का स्थायी कर्मचारी घोषित किया जाय और सेवानिवृत्त होने पर सभी आशाओं के लिए एकमुश्त धनराशि व आजीवन अनिवार्य पेंशन का प्रावधान किया जाय। हम उक्त परिस्थिति के आलोक में आशाओं की समस्याओं के समाधान हेतु आपसे आज 9 जुलाई, 2025 को राष्ट्रीय हड़ताल में शामिल होते हुए उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन (ऐक्टू) की ओर से मांग करते हैं कि: आशाओं को मासिक मानदेय नियत करने व डी.जी. हेल्थ उत्तराखंड द्वारा आशाओं के मानदेय को 11500 रूपये करने को लेकर बनाए गए 2021 के प्रस्ताव को लागू करने का आपके द्वारा खटीमा में किया गया वादा तत्काल पूरा किया जाय। आशाओं को न्यूनतम वेतन, कर्मचारी का दर्जा व सेवानिवृत्त होने पर सभी आशाओं को अनिवार्य पेंशन का प्रस्ताव विधानसभा के इसी सत्र में पारित कर केंद्र सरकार को भेजा जाय।जब तक सेवानिवृत्त होने वाली आशाओं को मासिक पेंशन का प्रावधान नहीं किया जाता तब तक रिटायरमेंट के समय दस लाख की एकमुश्त धनराशि दी जाय। आशाओं को विभिन्न मदों के लिए दिए जाने वाले पैसे कई कई महीनों तक लटकाने के स्थान पर अनिवार्य रूप से हर महीने दिया जाय। आशाओं को ट्रेनिंग के दौरान प्रति दिन पांच सौ रुपए का भुगतान किया जाय। सभी सरकारी अस्पतालों को आशाओं के साथ सम्मानजनक व्यवहार करने का निर्देश दिया जाय और तत्काल इसका आदेश जारी किया जाय। सभी सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों के खाली पदों को तत्काल भरा जाय।सभी अस्पतालों में आशा घर का निर्माण किया जाय। हम उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन (सम्बद्ध: ऐक्टू) की ओर से आज 9 जुलाई, 2025 को ट्रेड यूनियनों के राष्ट्रीय मंच द्वारा आहूत अखिल भारतीय आम हड़ताल में शामिल होते हुए राज्यव्यापी प्रदर्शन के साथ आपको यह ज्ञापन प्रेषित कर रहे हैं। आशा ही नहीं विश्वास है कि आप आशाओं की उक्त मांगों पर ध्यान देते हुए तत्काल समाधान करेंगे। यदि समयबद्ध तरीके से आशाओं की मांगे पूरी नहीं हुई तो यूनियन राज्यव्यापी आंदोलन को बाध्य होगी।







