प्राचीन ग्रन्थों में योग और वर्तमान समय में योगाभ्यास का स्वरूप पीएचडी के टॉपिक से समाज को कई लाभ मिल सकते हैं, शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार

नैनीताल l डीएसबी परिसर योगा विभाग की डॉ दीपा आर्या ने बताया कि योग आसनों के नियमित अभ्यास से शरीर में लचीलापन और शक्ति बढ़ती है। मांसपेशियों की निर्माण और टोनिंग होती है, जिससे शरीर स्वस्थ और मजबूत बनता है। रक्त संचार में सुधार होता है और प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है।

मानसिक स्वास्थ्य में सुधार
- योगाभ्यास से मानसिक शांति और स्थिरता बढ़ती है।
- तनाव और चिंता कम होती है, जिससे मानसिक चैतन्यता में सुधार होता है।
- स्मरण शक्ति और आत्म-जागरूकता में भी सुधार होता है।
आत्मिक विकास
- योगाभ्यास से आत्मानुभूति और आत्म-संतुष्टि बढ़ती है।
- अहंकार और आत्म-अभिमान कम होता है, जिससे आत्मिक शांति प्राप्त होती है।
समाज को लाभ
- योगाभ्यास को बढ़ावा देने से समाज में शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है।
- योग के माध्यम से तनाव और चिंता को कम करने से समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो सकता है।
- योग के प्राचीन और वर्तमान स्वरूप का अध्ययन करने से हमें हमारी सांस्कृतिक विरासत को समझने और उसका सम्मान करने का अवसर मिल सकता है।
उन्होंने बताया कि इस प्रकार प्राचीन ग्रन्थों में योग और वर्तमान समय में योगाभ्यास का स्वरूप पीएचडी के टॉपिक से समाज को शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्तर पर कई लाभ मिल सकते हैं।
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