साध्य,साधन,साधक और साधना विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी सम्पन्न, पर्व हमारे जीवन में नयी ऊर्जा देते हैं- विमलेश बंसल दर्शनाचार्या

नैनीताल l केन्द्रीय आर्य युवक परिषद् के तत्वावधान में “साध्य,साधन और साधक साधना” विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया।य़ह कोरोना काल से 741 वाँ वेबिनार था। वैदिक विदुषी विमलेश बंसल दर्शनाचार्या ने कहा कि भारत की ऋतु चक्र की तरह हमारे पर्व भी जीवन को नई ऊर्जा और दिशा देते हैं।साध्य,साधन,साधक और साधना —ये चारों ही तत्व हमारी संस्कृति की आत्मा हैं।नवरात्रि के नौ दिन आत्मबल और भक्ति के साधन हैं, रामनवमी आदर्श जीवन का साध्य है,राम उत्सव साधक की तपस्या और विजय की प्रेरणा है,तो दशहरा बुराई पर अच्छाई की साधना का उत्सव है।परिवर्तित होती ऋतु हमें यही संदेश देती है कि जीवन का हर परिवर्तन साधना के माध्यम से साध्य की ओर बढ़ने का अवसर है।
“साध्यं साधनसम्पन्नं साधकस्य प्रयासतः।
साधना चैव धर्मोऽयं नयत्येव परं पदम्॥”
(अर्थ: जब साधक उचित साधनों से साध्य की ओर साधना करता है,तो वही धर्म उसे परम पद तक पहुँचाता है।) दोहा “साध्य-साधक संग मिले, साधन साधे चार।
साधना से मिलत है,जीवन का सत् सार।।
इस प्रकार हमारे पर्व केवल उत्सव नहीं,बल्कि साधना के पथ पर बढ़ने की प्रेरणा हैं। साध्य को पाने के लिए साधक जब साधनों का सही उपयोग करता है, तभी उसका जीवन साधना से ओत-प्रोत होकर समाज और संस्कृति का पथ प्रदर्शक बन जाता है।आओ हम सब सच्चे साधक बनकर अपनी साधना को बढ़ाएं जिससे साध्य को प्राप्त कर सकें I मुख्य अतिथि अनिता रेलन व अध्यक्ष कुसुम भंडारी ने भी कर्म करने पर बल दिया।परिषद अध्यक्ष अनिल आर्य ने कुशल संचालन किया।प्रदेश अध्यक्ष प्रवीण आर्य ने धन्यवाद ज्ञापन किया। गायिका कमला हंस, जनक अरोड़ा, प्रवीना ठक्कर, रविन्द्र गुप्ता, कौशल्या अरोड़ा आदि के मधुर भजन हुए।
















