विजय दशमी की सार्थकता पर गोष्ठी संपन्नअसुरों के संहार का पर्व है विजय दशमी-आचार्य विमलेश बंसल

नैनीताल l केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में “विजय दशमी की सार्थकता ” विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया I य़ह करोना काल से 675 वाँ वेबिनार था I वैदिक विदुषी आचार्य विमलेश बंसल दर्शनाचार्य ने कहा कि
विजया दशमी पर्व वीरों का अर्थात् क्षत्रियों का पर्व है। जिसे क्षत्रिय अपनी आन, बान और शान का प्रदर्शन कर राष्ट्र की संस्कृति, संतति और संपत्ति को सुरक्षित करने हेतु मनाते हैं। यह अन्याय पर न्याय का, असत्य पर सत्य का, अधर्म पर धर्म का, अज्ञान पर ज्ञान की विजय का पर्व है। यह दशमी तिथि में मनाया जाने के कारण विजय दशमी नाम से कहा जाता है। रावण, कुंभकर्ण, मेघनाद जैसे क्रूर असुरों का संहार कर राष्ट्र के सज्जन लोगों की विजय कराना ही विजयादशमी का एक मात्र उद्देश्य है।
धार्मिक शक्ति भले ही निर्धन हो यदि संगठित और जागृत है तो भी उस धनवान, अधार्मिक, अन्यायी शक्ति संपन्न के ऊपर विजय प्राप्त कर सकती है।
आज चारों तरफ अन्तः और बाह्य दोनों प्रकार के शत्रु असुर खुले आम घूमते नजर आ रहे हैं। आवश्यकता है आर्ष वैदिक शास्त्र और शस्त्र द्वारा हिंसक शक्तियों पर रोक लगे तथा सज्जन शक्तियों में वृद्धि हो।
इस बात को जन – जन तक पहुंचाने का संदेश देना विजयादशमी का मुख्य लक्ष्य है।
मुख्य अतिथि विमला आहूजा व अध्यक्ष कुसुम भंडारी ने भी अपने विचार रखे I परिषद अध्यक्ष अनिल आर्य ने कुशल संचालन किया I प्रवीण आर्य ने धन्यवाद ज्ञापन किया I गायिका प्रवीना ठक्कर, रविन्द्र गुप्ता,सुधीर बंसल, जनक अरोड़ा, कौशल्या अरोड़ा, रजनी गर्ग, अनिता रेलन,ललिता धवन, गीता शर्मा आदि के भजन हुए I
