कुलपति प्रो. दीवान एस. रावत ने दो वर्षों के कार्यकाल में विश्वविद्यालय ने शैक्षणिक गुणवत्ता, शोध, नवाचार और आधारभूत संरचना के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की

नैनीताल। कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल के कुलपति प्रो. दीवान एस. रावत के पिछले दो वर्षों (21 जुलाई 2023 से 20 जुलाई 2025) के कार्यकाल में विश्वविद्यालय ने शैक्षणिक गुणवत्ता, शोध, नवाचार और आधारभूत संरचना के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने पारदर्शिता, सहभागिता और नवाचार को प्राथमिकता देते हुए कई ऐसी योजनाएं लागू कीं, जिनका लाभ सीधे विद्यार्थियों, शिक्षकों और शोधार्थियों तक पहुँचा। इस अवधि में विश्वविद्यालय को भारत सरकार की दो महत्वपूर्ण योजनाओं के तहत बड़ी उपलब्धि मिली— विश्वविद्यालय को मेरु (मल्टीडिसिप्लिनरी एजुकेशन एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी) योजना के अंतर्गत 100 करोड़ रुपये का अनुदान प्राप्त हुआ, वहीं डीएसटी -पेअर परियोजना के तहत आईईएससी बंगलोर के सहयोग से एक अन्य 100 करोड़ की परियोजना स्वीकृत हुई। इसके लिए 26.4 एकड़ भूमि पाटवाडांगर में अधिग्रहित की गई है।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने अकादमिक कैलेंडर को सुचारू और समयबद्ध बनाते हुए वर्ष 2024-25 के सभी परीक्षा परिणाम तीन सप्ताह के भीतर घोषित किए। पहली बार विद्यार्थियों को उनके उत्तीर्ण वर्ष में ही डिग्रियाँ छपवाकर डाक से भेजी गईं, जिससे प्रमाण-पत्रों में देरी की पुरानी समस्या का समाधान हुआ।
शोध और नवाचार के क्षेत्र में विश्वविद्यालय ने कई नई पहल कीं। शिक्षकों, शोधार्थियों और छात्रों को आंतरिक शोध अनुदान, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में भागीदारी के लिए सहायता, और पेटेंट फाइल करने हेतु मार्गदर्शन व वित्तीय सहयोग उपलब्ध कराया गया। ‘टैलेंट हंट प्रोग्राम’, ‘वीसी इंटर्नशिप फेलोशिप’, ‘लाइब्रेरी चैंपियन अवार्ड’, और ‘श्रेष्ठ शोधार्थी पुरस्कार’ जैसे कार्यक्रम विद्यार्थियों को प्रेरित करने के उद्देश्य से आरंभ किए गए। विशेष रूप से, उत्तराखंड में पहली बार स्नातक व परास्नातक छात्रों को विश्वविद्यालय स्तर पर शोध अनुदान और सशुल्क इंटर्नशिप की सुविधा प्रदान की गई। विश्वविद्यालय में बायोफ्लॉक फिश टेक्नोलॉजी सेंटर, हाइड्रोपोनिक लैब, और हर्बल कॉस्मेटिक निर्माण इकाई जैसे व्यावहारिक व कौशल उन्मुख प्रयोगशालाएँ स्थापित की गईं। ये केंद्र न केवल विद्यार्थियों को व्यावसायिक प्रशिक्षण देते हैं, बल्कि स्थानीय पारिस्थितिकी और रोजगार की संभावनाओं को भी बढ़ाते हैं। साथ ही, विश्वविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय का नामकरण शहीद मेजर राजेश अधिकारी के नाम पर किया गया।
विश्वविद्यालय में सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों को विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में नियुक्त कर, सीडीएस और एसएसबी जैसी परीक्षाओं के लिए विद्यार्थियों को निशुल्क प्रशिक्षण दिया जा रहा है। साथ ही, विदेशों से प्रतिष्ठित विद्वानों को आमंत्रित कर विश्वविद्यालय ने अकादमिक संवाद को वैश्विक स्तर तक विस्तारित किया है। विश्वविद्यालय का अपना त्रैमासिक पत्र ‘बाखली’ और डीएसबी परिसर में स्टूडेंट क्लब ‘संक्रांति’ की स्थापना के साथ मासिक न्यूजलेटर ‘विमर्श’ भी शुरू हुआ है, जिसमें विश्वविद्यालय की गतिविधियों और शोध उपलब्धियों को शामिल किया जा रहा है।
आधारभूत संरचना के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय कार्य हुए हैं। सभी छात्रावासों का जीर्णोद्धार किया गया और उनमें वॉशिंग मशीन जैसी सुविधाएँ जोड़ी गईं। पुस्तकालयों, विभागों, प्रयोगशालाओं और प्रशासनिक भवनों की मरम्मत एवं उन्नयन किया गया। सोअनगाँव, भीमताल और नैनीताल परिसरों में कई नए विभाग भवनों और प्रयोगशालाओं का निर्माण कार्य प्रगति पर है। ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में 788 किलोवॉट क्षमता के सौर पैनल लगाए गए हैं। इनडोर फायरिंग रेंज और रोइंग बोट सिम्युलेटर की स्थापना से NCC प्रशिक्षण को भी मजबूती मिली है।
कुलपति ने शैक्षणिक और प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता को बढ़ावा दिया। शिक्षकों, शोधार्थियों और अभिभावकों से सीधा संवाद, औचक निरीक्षण, और ऑनलाइन बैठकों के माध्यम से समस्याओं का समाधान प्राथमिकता पर किया गया। कुलपति स्वयं एमएससी रसायन विज्ञान के छात्रों को पढ़ाते हुए शिक्षण कार्य में भी सक्रिय रहे। पिछले दो वर्षों में विश्वविद्यालय ने अपने पुराने ढांचे को आधुनिक बनाया है, तकनीकी विकास पर जोर दिया है और छात्र-केंद्रित नीतियों के माध्यम से उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में निरंतर सुधार किया है। इन पहलों ने विश्वविद्यालय के समग्र विकास की दिशा में ठोस आधार तैयार किया है