देहरादून जनपद के रायपुर ब्लॉक के अंतर्गत “सपनों की उड़ान” कार्यक्रम के अंतर्गत राजकीय प्राथमिक एवं जूनियर विद्यालयों की विभिन्न प्रतियोगिताएं नारी शिल्प मंदिर बालिका इंटर कॉलेज में आयोजित हुई,

देहरादून l गत दिवस देहरादून जनपद के रायपुर ब्लॉक के अंतर्गत “सपनों की उड़ान” कार्यक्रम के अंतर्गत राजकीय प्राथमिक एवं जूनियर विद्यालयों की विभिन्न प्रतियोगिताएं नारी शिल्प मंदिर बालिका इंटर कॉलेज में आयोजित हुई, मुख्य अतिथि कुलदीप गैरोला-अपर राज्य परियोजना निर्देशक (समग्र शिक्षा), विशिष्ट अतिथि विनोद ढोंडियाल-मुख्य शिक्षा अधिकारी, श्रीमती हेमलता गौड़ उनियाल- खण्ड शिक्षा अधिकारी, ने कार्यक्रम का दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ किया,
सर्वप्रथम श्रीमती मोना बाली (प्रधानाचार्या, नारी शिल्प मंदिर बालिका इंटर कालेज) ने अतिथियों का स्वागत किया तथा विभाग की ओर से अतिथियों को पुष्प गुच्छ एवं स्मृति चिन्ह भेंट किये गये, प्रतियोगिता में प्राइमरी एवं जूनियर स्तर पर लोक नृत्य, नुक्कड़ नाटक, रैंप वॉक तथा अभिभावक एवं छात्रों का वाद्ययंत्र प्रस्तुतिकरण, महिला सहायता समूह द्वारा खाद्य सामग्री का प्रदर्शन किया गया, इसके अतिरिक्त विज्ञान एवं मॉडल की प्रदर्शनी तथा नींबू दौड़, म्यूजिकल चेयर आदि की प्रतियोगिताएं आयोजित की गई,
अतिथियों द्वारा प्रधानाचार्य श्रीमती मोना बाली की भूरी-भूरी प्रशंसा की, कार्यक्रम में परंतु निर्णायक मंडल एवं विभाग की व्यवस्थाएं प्रतियोगिता के ऊपर भारी पढ़ती नजर आई, क्योंकि निर्णायक मंडल द्वारा सही निर्णय न लेना और निर्णायक मंडलों का चयन प्रक्रिया भी सही रूप से नहीं होना, कार्यक्रम को सूचीबद्ध ना करना जिससे कार्यक्रम में बच्चे एवं उनके साथ आए हुए अध्यापक/अध्यापिकायें बहुत निराश एवं अपने को ठगा महसूस कर रहे थे, ऐसा लग रहा था जैसे कहीं मजमा या मेले में कार्यक्रम हो रहा हो, कार्यक्रम का स्तर बहुत नीचे कर दिया, बच्चों की प्रस्तुतियाँ अपने स्तर से बहुत सुंदर थी उनके द्वारा आभूषण, वेशभूषा, नृत्य कला बहुत अच्छा था लेकिन निर्णायक मंडलों की दृष्टि में शायद लोक कलाएं अथवा रंगमंच के प्रति उनका लगाव निर्णायक निर्णय लेने में सही साबित नही हो रहा था, जिससे बड़ी संख्या में बच्चे एवं अध्यापिकाय़ें निराश नजर आ रहे थे, निर्णायक मंडल के सदस्यों का चयन स्वयं सी.आर.सी./बी.आर.सी. स्तर के अधिकारी कर रहे थे, लेकिन अपने-अपने संकुल के बच्चों को पुरुष्कार दिलाने में लगे हुये थे, प्रतियोगिता में प्रतिभाग करने वालों को सही सूचना नही दी जा रही थी ज़िससे बच्चे इधर-उधर भटक रहे थे, जबकि प्रतिभाग करने वाले सभी बच्चों को प्रमाण पत्र दिया जाना चाहिए था, बच्चों ने आभूषण, वेश-भूषा की संपूर्ण तैयारी करके दूर-दूर से वाहन बुक करके आये थे l सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी एस. चन्द्रा ने बताया कि बच्चों को पुरूष्कृत करने उनके अंदर विश्वास को बढाया जाता है और प्रतियोगिता का स्तर और भी अच्छा किया जा सकता है, ऐसा ही संकुल द्वारा 11 फरवरी को आयोजित प्रतियोगिता में प्रथम आने वाले छात्रों को कोई पुरूष्कार नही दिया गया, तब भी बच्चें निराश हुये थे, कार्यक्रम आयोज़न के सदस्यों को अधिकारियों को अपनी-अपनी उपस्थिती दिखाने की होड़ और भेद-भाव पूर्ण निति से दूर रहना चाहिए I



