नैनी महिला एवं बाल विकास समिति सूखाताल के तत्वाधान में संरकृति मजारय भारत सरकार के सहयोग से हिमालय की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण, संर्वद्धन एवं विकास हेतु उत्तराखण की विलुप्त होती ऐतिहासिक, पौराणिक लोक कलाओं का संक्षण एवं संवर्द्धन कार्यक्रम का भारतीय शहीद सैनिक विद्यालय मल्लीताल नैनीताल में मंचीय प्रदर्शन किया गया

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नैनीताल l नैनी महिला एवं बाल विकास समिति सूखाताल के तत्वाधान में संरकृति मजारय भारत सरकार के सहयोग से हिमालय की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण, संर्वद्धन एवं विकास हेतु उत्तराखण की विलुप्त होती ऐतिहासिक, पौराणिक लोक कलाओं का संक्षण एवं संवर्द्धन कार्यक्रम का भारतीय शहीद सैनिक विद्यालय मल्लीताल नैनीताल में मंचीय प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम का उ‌द्घाटन मुख्य अतिथि नैनीताल उधम सिंह नगर के सांसद अजय भट्‌जी, विशिष्ट अतिथि श्रीमती सरिता आर्या विधायक विधान सभा नैनीताल, कार्यक्रम अध्यक्ष सांसद प्रतिनिधि गोपाल सिंह रावत. प्रधनाचार्य प्रधानाचार्य बी. एस. मेहता एवं संस्थाध्यक्ष शैलजा सक्सेना द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर किया गया। संस्था के द्वारा उत्तराखण्ड की विलुप्त हो रही ऐतिहासिक, पौराणिक लोक कलाओं लॉक गीत, लोक नृत्य, झोड़ा चौधरी, झपेली रीतुरेण, आदि की कार्यशाला शैलजा सक्सेना व भगवती टम्टा के निर्देशन में आयोजित की गई तथा कुमाऊँ की संस्कृति पर आधारितए उत्तराखण्ड की विलुप्त होती एतिहासिक पौराणिक, पारम्परिक लोक गीत लोक नृत्य आदि का संस्था कार्यालय में शैलजा सक्सेना के निर्देशन में एक माह तक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में समूह की महिलाओं/युवक-युवतियों भावना, अन्जु बिष्ट हंसी रावत, कमला अधिकारी, मुन्नी, कमला, सुशीला, जानकी, कविता कमला पवार भावना बिष्ट गीता, तुलसी, शान्ति, विनोद, हरीश, सुनील कुन्दन, वंश आदि द्वारा कार्यशाला में प्रशिक्षण प्राप्त किया गया तथा आज भारतीय शहीद सैनिक विद्यालय में उत्तराखण्ड के लोक गीत लोक चित्र आदि की भव्य प्रस्तुति की गयी। कार्यक्रम में उपस्थ्ति अतिथियों द्वारा संस्था के इस कार्यक्रम की प्रशसा करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड की संस्कृति को जीवित रखना तथा उसका संरक्षण एव सवर्द्धन तथा विकास अति आवश्यक एवं महत्वपूर्ण है। उन्होने कहा कि उत्तराखण्ड की संस्कृति को अक्षुण्य बनाये रखना ही हमारा एवं संस्था का उद्देश्य है। आज की युवा पीडि अपनी संस्कृति एवं परम्पराओं को भूलती/छोड़ती जा रही हैं लोक संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिए प्रचार प्रसार आवश्यक है आज के बदलते परिवेश में अपनी विरासत को बचाना बहुत जरूरी है इस प्रकार के सांस्कृतिक आयोजनों से आज की युवा पीढ़ि में अपनी संस्कृति के प्रति लगाव एवं जागरूकता की भावना विकसित होगी, साथ ही विद्यालय के छात्र/छात्राओं को स्वच्छ भारत के प्रति जागरूक भी किया गया।

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संस्था के कलाकारों द्वारा कुमाऊँ की संस्कृति पर आधारित भव्य कार्यक्रम प्रस्तुत किये गये
ओ नन्दा सुनन्दा तु दैण है जाये छ मैत जा काली गंगा को पानी नन्दा राजजात बुरांशी का फूला सीलगढ़ी को पाला छाला जलेबी को डाब मेरी माया दारा बसंत की हया रंगीली भाना चैत को महिना आज कु पहाड़ो का ठण्डा पानी.. फूलदेयी छम्मादेयी आदि लोकगीत प्रस्तुत किए गए l कार्यक्रम का संचालन श विनोद कुमार जी द्वारा किया गया तथा कार्यक्रम में जिला उपभोक्ता आयोगू की वरिष्ठ सदया विजय लक्ष्मी थापा, उप प्रधनाचार्य श्री प्रवीण सती जी शिक्षक शिक्षिकाए तथा संस्था की सदस्य किशन लाल, अजय कुमार, सुरेन्द्र कुमार, वश अनीता सिंह माहिनी बिष्ट एवं विद्यालय के समस्त विद्यार्थी तथा शिक्षक-शिक्षिकाएं उपस्थित थे।

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