कुमाऊँ विश्वविद्यालय में स्किल डेवलपमेंट और प्रोफेशनल कोर्सेज पर दो दिवसीय कार्यशाला का सफल शुभारंभ



नैनीताल l कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल द्वारा उद्योग जगत की वर्तमान आवश्यकताओं और भविष्य की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए स्किल डेवलपमेंट और प्रोफेशनल कोर्सेज के पुनर्गठन पर एक महत्त्वपूर्ण दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्घाटन 18 अक्टूबर को विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर दीवान एस. रावत द्वारा किया गया। इस पहल का उद्देश्य विद्यार्थियों को समकालीन व्यावसायिक आवश्यकताओं के अनुरूप तैयार करना और उन्हें आधुनिक तकनीकों तथा कौशलों में दक्ष बनाना है, ताकि वे प्रतिस्पर्धी उद्योग जगत में अपने लिए बेहतर अवसर प्राप्त कर सकें। कार्यशाला के संयोजक और डीन अकादमिक प्रो. संतोष कुमार ने सभी गणमान्य अतिथियों और उपस्थित शिक्षाविदों का स्वागत करते हुए कार्यशाला की अवधारणा और उद्देश्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि बदलते समय के साथ, विश्वविद्यालय को अपने पाठ्यक्रमों में उन आवश्यकताओं का समावेश करना होगा जो विद्यार्थियों को व्यावसायिक और तकनीकी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करने के लिए आवश्यक हैं। कार्यशाला के दौरान विशेषज्ञों द्वारा विद्यार्थियों और संकाय सदस्यों को उद्योग जगत की उभरती मांगों के बारे में जागरूक किया जाएगा, जिससे पाठ्यक्रमों में सुधार किया जा सके। कुलपति का प्रेरणादायक संबोधन
कार्यशाला के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रोफेसर दीवान एस. रावत ने कहा, “विश्वविद्यालयों की भूमिका अब केवल शैक्षणिक ज्ञान प्रदान करने तक सीमित नहीं रह गई है। आज की इंडस्ट्री उन युवाओं को प्राथमिकता देती है, जो व्यावसायिक कौशल और तकनीकी दक्षताओं में निपुण हों। इसलिए, कुमाऊँ विश्वविद्यालय ने इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए पाठ्यक्रमों का पुनर्गठन और नवीनीकरण करने की दिशा में यह पहल शुरू की है। हमारा उद्देश्य विद्यार्थियों को न केवल सैद्धांतिक रूप से सक्षम बनाना है, बल्कि उन्हें व्यावहारिक कौशल भी प्रदान करना है, ताकि वे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रोजगार के अवसरों को बेहतर तरीके से प्राप्त कर सकें।” उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि नई शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत, विश्वविद्यालय छात्रों के समग्र विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, और इस तरह के कार्यशालाएं विद्यार्थियों को आधुनिक व्यावसायिक और तकनीकी वातावरण में कार्य करने के लिए आवश्यक कुशलताओं से लैस करेंगी।

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विशेषज्ञों के विचार
गोविन्द बल्लभ पन्त कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति, प्रो. बी.एस. बिष्ट ने शिक्षा और उद्योग के बीच के अंतर को पाटने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, “वर्तमान समय में, उद्योग और शिक्षा के बीच एक मजबूत सेतु बनाने की आवश्यकता है, जिससे हमारे विद्यार्थी सीधे तौर पर उद्योग की मांगों को समझ सकें और उनके लिए आवश्यक कौशल को हासिल कर सकें। इस प्रकार की कार्यशालाएं इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं।”

सन फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. मोहन प्रसाद ने अपने वक्तव्य में कहा, “आज की इंडस्ट्री को ऐसे युवाओं की आवश्यकता है जो न केवल शैक्षिक रूप से निपुण हों, बल्कि व्यावहारिक समस्याओं का समाधान निकालने में भी कुशल हों। हमें ऐसे प्रोफेशनल्स चाहिए जो नवाचार में सक्षम हों और नए आइडिया को लागू करने की क्षमता रखते हों। विश्वविद्यालयों को इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाने की जरूरत है।”

प्रथम तकनीकी सत्र
प्रथम तकनीकी सत्र का संचालन झारखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, रांची और डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय, लखनऊ के पूर्व कुलपति प्रो. पी.के. मिश्रा ने किया। उन्होंने उद्योग और शिक्षा के बीच सहयोग की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर प्रकाश डाला और कहा कि विद्यार्थियों को न केवल अकादमिक ज्ञान, बल्कि व्यावहारिक अनुभव भी प्राप्त करना चाहिए। उन्होंने कहा, “आधुनिक युग में विद्यार्थियों को उद्योग की अपेक्षाओं के अनुरूप तैयार करने के लिए व्यावहारिक और तकनीकी ज्ञान का समन्वय आवश्यक है।”

कार्यक्रम का सञ्चालन और अतिथियों की उपस्थिति
उद्घाटन सत्र का सञ्चालन सहायक निदेशक, यूजीसी-एमएमटीटीसी, डॉ. रितेश साह द्वारा किया गया। तकनीकी सत्रों का कुशल सञ्चालन संकायाध्यक्ष बायोमेडिकल संकाय, प्रो. महेंद्र राणा द्वारा किया गया।

इस अवसर पर उद्योग जगत से भी कई प्रमुख हस्तियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इनमें फेयर लैब्स प्राइवेट लिमिटेड, गुरुग्राम से श्री चन्द्र शेखर जोशी, भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान, गुजरात से डॉ. अवनीश रॉय, और सातधन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के सह-संस्थापक एवं निदेशक डॉ. ऋत्विक दुबे, उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय से डॉ. आशुतोष भट्ट विशेष रूप से उपस्थित रहे। इन उद्योग विशेषज्ञों ने कार्यशाला में अपने अनुभव साझा किए और बताया कि कैसे इंडस्ट्री की आवश्यकताएं बदल रही हैं और विश्वविद्यालयों को इन परिवर्तनों के साथ कदम मिलाने की आवश्यकता है।

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विश्वविद्यालय के संकायों की सक्रिय भागीदारी
इस कार्यशाला में कुमाऊँ विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायाध्यक्षों की भी सक्रिय भागीदारी रही। जिनमें प्रमुख रूप से प्रो. चित्रा पांडे (संकायाध्यक्ष विज्ञान संकाय), प्रो. अतुल जोशी (संकायाध्यक्ष वाणिज्य संकाय), प्रो. पदम सिंह बिष्ट (संकायाध्यक्ष कला संकाय), प्रो. जीत राम (संकायाध्यक्ष कृषि वानिकी संकाय), प्रो. कुमुद उपाध्याय (संकायाध्यक्ष तकनीकी संकाय), प्रो. एम.एस. मावरी (संकायाध्यक्ष दृश्य कला संकाय), प्रो. महेंद्र राणा (संकायाध्यक्ष बायोमेडिकल संकाय) आदि शामिल थे। इसके अलावा, प्रो. आशीष तिवारी, प्रो. किरण बर्गली, डॉ. हरिप्रिया पाठक, डॉ. दीपिका पंत, डॉ. उमंग सैनी, डॉ. संतोष उपाध्याय, डॉ. पेनी जोशी सहित अनेक शिक्षक भी इस अवसर पर उपस्थित रहे।

कार्यशाला का उद्देश्य और निष्कर्ष
इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को आधुनिक तकनीकों और व्यावसायिक वातावरण में कार्य करने के लिए आवश्यक कौशलों से सुसज्जित करना है। यह पहल विद्यार्थियों को सिर्फ रोजगार योग्य बनाने तक सीमित नहीं है, बल्कि उन्हें भविष्य में नवाचार और उद्यमिता के क्षेत्र में भी सक्षम बनाना है। विश्वविद्यालय का यह कदम न केवल विद्यार्थियों को इंडस्ट्री की मांगों के अनुरूप तैयार करेगा, बल्कि उन्हें विभिन्न व्यावसायिक और तकनीकी चुनौतियों से निपटने के लिए भी सशक्त बनाएगा।

कुल मिलाकर, कुमाऊँ विश्वविद्यालय का यह प्रयास विद्यार्थियों को उद्योग और शिक्षा के बीच की खाई को पाटने और उन्हें वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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