श्रीदेव सुमन व जिम कॉर्बेट को श्रद्धांजलि, स्वयंसेवियों ने दिया सेवा व पर्यावरण संरक्षण का संदेश”

नैनीताल l भारतीय शहीद सैनिक विद्यालय में आज प्रेरणा और पर्यावरण संरक्षण का अद्भुत संगम देखने को मिला। कार्यक्रम की शुरुआत श्रीदेव सुमन जी की पुण्यतिथि पर उनकी स्मृति में विचार गोष्ठी से हुई, जिसमें एनएसएस के स्वयंसेवक करण सिंह गैरा ने श्रीदेव सुमन जी के जीवन, उनके बलिदान और उनके सामाजिक कार्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने श्रीदेव जी की शिक्षाओं को आज के युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बताते हुए उनके जीवन से जुड़ी घटनाओं के माध्यम से उपस्थित सभी स्वयंसेवियों को जागरूक किया।
इसी अवसर पर विद्यालय में जिम कॉर्बेट की पुण्यतिथि भी मनाई गई। विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री बिशन सिंह मेहता ने जिम कॉर्बेट के जीवन, उनके कार्यों और कॉर्बेट नेशनल पार्क की स्थापना में उनके योगदान पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि जिम कॉर्बेट नैनीताल के निवासी थे और उनका नाम आज भी वन्यजीवन प्रेमियों और पर्यावरणविदों के बीच बड़े आदर से लिया जाता है। कई फिल्मों में उनके कार्यों को दिखाया गया है और वे आमजन के बीच बेहद लोकप्रिय रहे हैं। इस अवसर पर सभी विद्यार्थी और शिक्षकगण उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के पश्चात श्रीदेव सुमन जी की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में एक जन जागरूकता रैली का आयोजन किया गया। रैली के माध्यम से स्वयंसेवकों ने लोगों को पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक जिम्मेदारियों और राष्ट्रसेवा के लिए जागरूक किया।
रैली के उपरांत रोटरी क्लब नैनीताल के अध्यक्ष शैलेन्द्र शाह, वन विभाग से मनोज, कुंदन, योगेश शाह, सुनील, श्रीमती विमला नगरकोटी तथा विद्यालय की एनएसएस प्रभारी श्रीमती मीनाक्षी मैम एवं भावना मैम के नेतृत्व में स्वयंसेवियों के द्वारा वृक्षारोपण कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस अवसर पर स्वयंसेवकों ने बाज, उत्तीस, पांगड़ और भीमल जैसे स्थानीय और पर्यावरण के लिए उपयोगी वृक्ष लगाए।
श्री शैलेन्द्र शाह ने वृक्षों की उपयोगिता और उनसे होने वाले पर्यावरणीय लाभों के बारे में जानकारी दी। वन विभाग के अधिकारियों ने पौधों की देखभाल एवं सुरक्षा के प्रति जिम्मेदारी का संदेश दिया।
कार्यक्रम की विशेष बात यह रही कि प्रत्येक स्वयंसेवक ने एक पेड़ मां के नाम से लगाया और यह संकल्प लिया कि वे उस पौधे की सुरक्षा करेंगे और उसे वृक्ष बनने तक सहयोग देंगे।
यह आयोजन केवल एक श्रद्धांजलि सभा नहीं था, बल्कि एक सामाजिक चेतना का सशक्त उदाहरण था। यह विद्यार्थियों को उनके कर्तव्यों की याद दिलाने और प्रकृति से जुड़ने का अवसर भी बना। ऐसे आयोजनों से न केवल अतीत के महान व्यक्तित्वों को स्मरण किया जाता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को एक बेहतर भविष्य की ओर प्रेरित भी किया जाता है।

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