हिमालय की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण सर्वधन एवं विकास हेतु पारम्परिक पौराणिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भारतीय शहीद सैनिक विद्यालय मैं किया गया

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नैनीताल l संस्कृति के संरक्षण सर्वधन एवं विकास हेतु समर्पित ‘ मुलुक लोक कला एवं सांस्कृतिक संस्थान ‘, लखनऊ शाखा ऊंचावाहन मासी उत्तराखण्ड द्वारा सेन्ट्रल नोडल एजेन्सी, उत्तर पूर्व क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, दीमापुर, नागालैण्ड, संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से हिमालय की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण सर्वधन एवं विकास तथा कला और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से प्रचार प्रसार तथा पारम्परिक सांस्कृतिक संगीत नृत्य कार्यक्रम का आयोजन भारतीय शहीद सैनिक विद्यालय जनपद नैनीताल, उत्तराखण्ड में आयोजित किया गया। कार्यक्रम का उद्घघाटन मुख्य अतिथि श्री बिशन सिंह मेहता प्रधानाचार्य सैनिक विद्यालय तथा विशिष्ट अतिथि श्रीमती रश्मि नेगी उप प्रधानाचार्य के तत्वाधान दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। संस्था के महासचिव श्री चंदन सिंह मेहरा तथा संरक्षक श्रीमती अनीता सिंह ने मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथियों का स्वागत प्रतीक चिन्ह भेंट कर किया गया। साथ ही मंजू जोशी,गीतिका नेगी और नेहा आर्या को भी अनीता सिंह द्वारा सम्मानित किया गया। संस्था के महासचिव द्वारा सम्मानित दर्शको सैनिक स्कूल के समस्त शिक्षक, शिक्षिकाएं समस्त स्टाफ व विद्यार्थियों का स्वागत एवं अभिनन्दन किया मुलुक लोक कला एवं सांस्कृतिक संस्थान द्वारा बीस दिवसीय झोड़ा चांचरी छपेली एवं उत्तराखंड की पारम्परिक लोक कलाओं लोक नृत्यों के प्रशिक्षण के उपरान्त आज भारतीय शहीद सैनिक विद्यालय में पारम्परिक सांस्कृतिक संगीत नृत्य कार्यक्रमों का भव्य एवं दिव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि ने कहा कि भारतीय संस्कृति और सभ्यता का उद्गम है हिमालय। हमारी संस्कृति परम्परा और पहचान है तथा गंगा यमुना और कई अन्य नदियॉ उत्तराखण्ड में निकलती है। उनमें से गंगा संबसे पवित्र और प्रमुख है क्योकि वह भारत की आत्मा उसकी समृद्ध संस्कृति, इतिहास और सभ्यता का प्रतिनिधित्व करती है। उन्होने कहा कि कला, शिल्प, नृत्य और संगीत आज भी कई देवी देवताओं के साथ साथ मौसमी चक्रों पर केन्द्रित है। उत्तराखण्ड की लोक संस्कृति यहॉ के लोगों की जीवनशैली में अभिव्यक्त होती है। हिमालय की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण सर्वधन एवं विकास पर आधारित कार्यक्रम संस्था द्वारा आयोजित किये गये। कार्यक्रम का सुन्दर संचालन श्री उमेश कांडपाल द्वारा किया गया। सर्वप्रथम नंदा सुनंदा की वंदना ओ नंदा सुनंदा तू देंडी है जाए झोड़ा सिलगड़ी का पाला छाला गिन खेलनया गड़ा थडियां चौफुला ओटूवा बेलना सामूहिक लोक नृत्य हीरा समदीडी उत्तराखंडी लोक नृत्य मैं पहाड़न मेरा झुमका पहाड़ी। निर्देशन- रश्मि रावत सहायक निर्देशन तान्या मेहरा नृत्य निर्देशन दीपा नगरकोटी संगीत निर्देशन चंदन मेहरा।
गायन कलाकार भुवन कुमार, नेहा आर्या,
नृत्य कलाकार दीपा, बबीता, तनु, रजनी, तारा, प्रीति, रियातान्या, शीतल,लवी अधिकारी, जीवन, महिपाल,संदीप, हरीश, हिमांशु, धीरज, लक्ष्मण,
वाद्य कलाकार हारमोनिय मे संजय कुमार, ढोलक में गौवर कुमार, हुड़का पर भूवन कुमार, बॉसुरी पर कैलाश कुमार आदि थे l अतं में संस्था के महासचिव चंदन सिंह मेहरा ने कहा कि कि पूरे विश्व में भारत अपनी संस्कृति और परम्परा के लिए प्रसिद्ध है। ये विभिन्न संस्कृति और परम्परा की भूमि है। भारत विश्व की सबसे पुरानी सभ्यता का देश है। भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण तत्व अच्छे शिष्टाचार, तहजीब, सभ्य संवाद, धार्मिक संस्कार, मान्यताए और मूल्य आदि है। भारतीय लोक संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए इस प्रकार के कार्यक्रमों की अति आवश्कयता है उन्होंने इस अवसर पर स्वच्छ भारत अभियान, एक कदम स्वच्छता की ओर, विषय पर लोगों को जानकारी दी। कलाकारों एवं प्रतियोगिता के प्रतिभागियों को पुरस्कार वितरण किया गया। कार्यक्रम का समापन के साथ सभी का आभार प्रकट करते हुए किया गया।

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