तीन दिवसीय ‘माउंटेन ऑफ लाइफ’ उत्सव – तीसरा और अंतिम दिन, जो प्रकृति हमें मजबूत बनाती है, उसे सहेजना तो होगा’ – माधुरी बर्थवाल

देहरादून। ‘प्रकृति हमें जीवन देती है, मजबूत बनाती है। प्रकृति नहीं रहेगी तो हमें कौन सिखाएगा जीवन में आई चुनौतियों से लड़ना। हम सबको मिलकर प्रकृति को सहेजना होगा।’ उत्तराखंड की सर्वप्रिय लोकगायिका पद्म श्री माधुरी बर्थवाल ने यह कहा अज़ीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित तीन दिवसीय माउंटेन ऑफ लाइफ उत्सव के तीसरे दिन। वे इस मौके पर विद्यार्थियों से लोकगीतों के पहाड़ और प्रकृति के गाढ़े रिश्ते के बारे में संवाद कर रही थीं। उन्होंने अपनी बातचीत में तमाम लोकगीतों और लोकधुनों को भी गुनगुनाया। उन्होंने कहा प्रकृति सीमाओं में बंधी नहीं है। हमें प्रकृति से सीखना चाहिए। संगीत हो, संस्कृति हो या वनस्पतियां सबके लिए हैं। यह सबक हम सबको सीखने की जरूरत है।
इस अवसर पर शिक्षकों से संवाद करते हुए सेमिनार शृंखला के तीसरे सीन पद्म श्री कल्याण सिंह रावत मैती ने कहा कि पहाड़ सिर्फ बर्फ के कारण नहीं जाने जाते हैं। बर्फ के अलावा यहाँ की वनस्पतियां, फूल, जड़ी बूटियाँ आदि एक समृद्ध संपदा है। पहाड़ों के खूबसूरत बुगयाल में जीवन के ढेरों राज छुपे हैं। अगर किसी ने बुगयाल नहीं देखे तो वे पहाड़ों के सौन्दर्य को ठीक ठीक नहीं जानते। हमें अपने पहाड़ों को जानने की, उन्हें समझने की उनसे प्यार करने की जरूरत है। पहाड़ हैं तो संस्कृति है, भाषाएँ हैं, गीत हैं, रंग हैं, सौन्दर्य है, जीवन है। जब हम किसी से प्यार करते हैं तो उसे सहेजते हैं, नष्ट नहीं होने देते। पहाड़ बचाने के लिए पहाड़ों से प्यार करना जरूरी है। यह समझना है कि इन्हें बचाकर हम खुद को ही बचायेंगे।
भरसार विश्वविद्यालय टिहरी के भू वैज्ञानिक प्रोफेसर एस पी सती ने कहा, ‘अगर हिमालय न होता तो मानसून न होता, मानसून नहीं होता तो दुनिया की एक खूबसूरत सांस्कृतिक धरोहर होती ही नहीं। हिमालय न होता तो हम सब बंजर होते। हमारा जीवन भी कुछ और ही होता। आज दुनिया भर में ग्लोबल वार्मिंग की बात हो रही है। लेकिन हम नहीं जानते कि ग्लोबल वार्मिंग का असर पहाड़ों पर दोगुने से भी ज़्यादा पड़ रहा है। हमारे पहाड़ घायल हो रहे हैं और हम शायद इस ख़तरे को ठीक से समझ नहीं रहे। हम लगातार कंक्रीट के जंगल उगाते जा रहे हैं बिना यह सोचे हुए कि यह हम अपने ही जीवन की कीमत पर कर रहे हैं। अगर समय पर सचेत नहीं हुए तो मुश्किलें बढ़ती जाएंगी।
इस मौके पर सिक्किम से आई एससीईआरटी के सदस्य भी शामिल हुए। उन्होंने प्रदर्शनी देखी और अन्य कार्यक्रमों में शामिल हुए। निदेशक, रॉबिन क्षेत्री ने हर्ष और आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह के आयोजन बेहद महत्वपूर्ण हैं।
विद्यार्थियों ने तीसरे दिन भी बायोडायवर्सिटी के विविध पहलुओं को समझा, चर्चाओं में प्रतिभाग किया और अपनी जिज्ञासाएँ साझा कीं। इस उत्सव के तीसरे दिन जीजीआईसी लख्खीबाग, जीआईसी खुड़बुड़ा, आसरा ट्रस्ट, जीजीआईसी राजपुर रोड, राजीव गांधी नवोदय विद्यालय, श्री गोवर्धन सर्वोदय विद्या मंदिर धर्मपुर से आए 504 विद्यार्थी और 64 शिक्षकों ने प्रतिभाग किया। इस मौके पर दून विजनरी यूथ क्लब के युवाओं ने पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी थीम पर एक नाटक भी किया।
इस तरह तीन दिवसीय इस ‘माउंटेन ऑफ लाइफ’ उत्सव में शहर के हजारों विद्यार्थियों, शिक्षकों व बुध्द्धिजीवियों, पर्यावरणविदों ने प्रतिभाग किया और पहाड़ों को सहेजने का संकल्प लिया।

Advertisement