नववर्ष पर हमारे संकल्प” विषय पर गोष्ठी संपन्न नववर्ष किसी जाति, धर्म या देश का नहीं है -आचार्या श्रुति सेतिया आर्य समाज सुधारवादी आंदोलन है -राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य
नैनीताल l मंगलवार को केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में “नववर्ष पर हमारे संकल्प ” विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया।य़ह कोरोना काल से 632 वां वेबिनार था।वैदिक विदुषी आचार्या श्रुति सेतिया ने कहा कि भारतीय नववर्ष हमारी संस्कृति वा सभ्यता का स्वर्णिम दिन है।यह भारतीय गरिमा में निहित अध्यात्म वा विज्ञान पर गर्व करने का अवसर है।जिस भारत भूमि पर हमारा जन्म हुआ,जहां हम रहते हैं जिससे हम जुड़े हैं उसके प्रति हमारे अंदर अपनत्व वा गर्व का भाव होना चाहिए।यह उत्सव चैत्र शुक्ल प्रथमा को मनाया जाता है।नववर्ष किसी जाति,वर्ग,देश संप्रदाय का नहीं है,अपितु यह मानव मात्र का नववर्ष है।
यह संवत मानव संवत है।हम सबको एक परमात्मा की संतान समझकर मानव मात्र से प्रेम करना सीखें।ऊंच नीच की भावना,भाषावाद,संकीर्णता आदि को पाप मानकर प्राणिमात्र के प्रति मैत्री भाव जगाए।आज वेद संवत है।हम सब अनेक मत पंथों से निकलकर सम्पूर्ण भूमंडल पर एक वेद धर्म को अपनाकर प्रभु कार्य के ही पथिक बनें।
मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के विजय दिवस पर उस महापुरुष की स्मृति में उनके आदर्शो को अपनाकर ईश्वरभक्त,वेदभक्त, आर्य संस्कृति के रक्षक,गुरुभक्त, दुष्ट संहारक वीर, साहसी,आर्य पुरुष वा प्राणी मात्र के प्रिय बने। आज राष्ट्रीय संवत पर महाराज युधिष्ठिर,विक्रमादित्य आदि की स्मृति पर अपने प्यारे आर्यवृत्त भारत देश की एकता अखंडता एवम् समृद्धि की रक्षा का व्रत लें। ईमानदारी,प्राचीन सांस्कृतिक गौरव,सत्यनिष्ठा,देशभक्ति,कर्तव्य वा वीरता का संचार करें। आर्य समाज स्थापना दिवस होने के कारण कृणवंतो विश्वमार्यम वेद के आदेशानुसार सच्चे अर्थों में आर्य बनें एवम् संसार को आर्य बनाएं।संध्या करें,घर पर ओ३म् पताका फहराएं।यज्ञ करें,बालकों को नव संवत्सर का महत्व बताएं। शोभा यात्रा निकालें,लोगों को जागरूक करें।वेद वा संस्कृत पढ़ने वाले विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करें।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि भारतीय नववर्ष मनाकर हमें इस पर गर्व करना चाहिए।आर्य समाज का 150 वां स्थापना दिवस भी है यह एक सुधार वादी आंदोलन है जो आने वाले पाखण्ड अंधविश्वास के प्रति जागरूक करता रहता है। अध्यक्ष आर्य नेत्री रजनी चुघ ने भी अपनी संस्कृति को आत्मसात करने पर बल दिया।
राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने गीत गाकर बधाई दी। गायिका कौशल्या अरोड़ा, जनक अरोड़ा, ईश्वर देवी, कमला हंस, ललिता धवन,अनिता रेलन, सुनीता अरोड़ा, कुसुम भंडारी, शोभा बत्रा आदि के मधुर भजन हुए।