शहर का आईना..यादों के झरोखों से….

बलवीर सिंह.
भारत वर्ष के एक मात्र विकलांग प्रसिद्ध छायाकार.
संकलन व आलेख – बृजमोहन जोशी


नैनीताल। सन्त सिंह धर्म पत्नी श्रीमती महिन्दर कौर के घर नैनीताल में जन्म हुआ था बलवीर सिंह का। उनके बड़े भाई सुरजीत सिंह, छोटा भाई हरजीत सिंह व एक बहन रघुवीर कौर।
बलवीर कि प्रारम्भिक शिक्षा बालिका विद्या मंदिर , लाला चेतराम साह ठुलघरिया इण्टर कालेज तथा एम.काम. की शिक्षा कुमाऊं विश्वविद्यालय,डी.एस बी.परिसर नैनीताल से हुई । बलवीर सिंह भारतीय स्टेट बैंक नैनीताल में कार्यरत रहे।
बी.काम. की परीक्षा के बाद क्रिकेट खेलते समय अचानक आपके पांवों में दर्द हुआ और देखते ही देखते बलवीर सिंह कुछ ही महीनों में चलने फिरने से लाचार हो गये। बहुत इलाज करवा लेकिन सब बेकार हुआ। इसके बाद बलवीर सिंह ने फोटोग्राफी को अपना शौक बनाया और अपनी एक अलग पहचान बनाई। उन्होंने इण्डिया इण्टर नैशनल फोटोग्राफी काउंसिल नई दिल्ली की सदस्यता ग्रहण की तथा राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय फोटो प्रतियोगिता में सहभागिता कि और इण्डिया इण्टर नैशनल फोटोग्राफी काउंसिल नई दिल्ली द्वारा उन्हें वर्ष 2000 मे कांस्य, 2003 में रजत ,2005 में स्वर्ण ,2007 में प्लेटेनम तथा 2012 में डायमंड ग्रेडिंग अवार्ड से सम्मानित किया। उपरोक्त फोटो प्रतियोगिता में व्यक्तिगत रूप से आपने 125 से अधिक व्यक्तिगत अवार्ड भी प्राप्त किए तथा इण्डिया इण्टर नैशनल फोटोग्राफी काउंसिल नई दिल्ली द्वारा चयनित देश के दस सर्व श्रेष्ठ छायाकारों में भी आप शामिल रहे।वर्ष 2000 में आपको सर्वोच्च विकलांग कर्मचारी का पुरस्कार भारत सरकार द्वारा दिया गया। वर्ष 2013 में आप भारत के एक मात्र अकेले ऐसे विकलांग छायाकार थे जिन्होंने फोटोग्राफी के क्षेत्र में यह सम्मान प्राप्त किया था।
मेरा मानना है कि बलवीर सिंह का महत्व इसलिए भी है कि उन्होंने अनेक छायाकारों को अपने साथ एक सूत्र में बांध रक्खा था।
बलवीर बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे, प्रकृति प्रेमी थे,एक सच्चे , अनुशासित व अच्छे इंसान थे।अपने तिपहिया वाहन के सहारे उन्होंने नैनीताल के आस पास के क्षेत्रों की यात्रा करके केवल फोटोग्राफी ही नहीं कि वरन् आपने शहर के आस पास के वातावरण को भी जाना तथा वर्ष में होने वाले मौसमों के साथ साथ कहां कब कैसी प्रकाश (लाइट) होगी इसकी उन्हें सटीक जानकारी होती थी। मेरा सौभाग्य है कि मैं इस तिपहिया वाहन में उनके साथ होता था।
मेरा यह भी मानना है कि बलवीर सिंह का महत्व इसलिए भी है कि उन्होंने आम लोगों कि इस धारणा को निराधार साबित कर दिया कि शारीरिक विकलांगता के कारण आम लोग उन्हें बोझ समझ ने लगते हैं उनका निरादर, अपमान, तिरस्कार करते हैं।उन लोगों के लिए बलवीर सिंह का कृतित्व व व्यक्तित्व एक आदर्श उदाहरण है। बलवीर सिंह उनके लिए एक प्रेरणा स्रोत है। उन्होंने अपने माता-पिता , अपने गुरुजनों का नाम रौशन किया हमै भी उनके साथ रहते हुए गर्व का अनुभव होता था। जो नाम उनके माता-पिता ने उन्हें दिया (बलवीर) उस नाम का उन्होंने मान बढ़ाया और यह सिद्ध कर दिया कि विषम परिस्थितियों में भी एक आदर्शमयी जीवन कैसे जीया जा सकता है वर्ष 2013 को पटियाला के एक हास्पिटल में उनका इलाज के दौरान निधन हो गयाऔर वह अनन्त यात्रा में निकल गये।
हम सभी छायाकारों की स्मृतियों में वो हमेशा जिन्दा रहेंगे।हम सभी छायाकारों को उन्होंने एक सूत्र में पिरोकर रक्खा था, उनके जाने के बाद हम सभी साथी बिखर से गए और उनकी कमी हमेशा हमें खलती रहती है।
पारम्परिक लोक संस्था परम्परा नैनीताल कि ओर से अपने सभी छायाकार बन्धु बान्धवों कि ओर से नैनीताल शहर में रहने वाले अपने/ उनके सभी मित्रों सहयोगियों की ओर से हम सभी उन्हें शत-शत नमन करते हैं।

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