श्रीमद देवी भागवत कथा का पंचम दिवस।आलेख व संकलन- बृजमोहन जोशी


नैनीताल l श्री मां नयना देवी स्थापना दिवस के शुभ अवसर पर श्री मां नयना देवी अमर उदय ट्रस्ट नैनीताल द्वारा आयोजित दिनांक ०७ -०६- से १५ – ०६ – २०२४ तक नौ दिवसीय श्रीमद् देवी भागवत कथा के आज पंचम दिवस प्रातःकाल आचार्य नरेंद्र पाण्डे, कैलाश चंद्र लोहनी, ललित जोशी द्वारा समस्त देवी देवताओं का पूजन किया गया। आज कि पूजा के मुख्य यजमान मनोज चौधरी श्रीमती देवन चौधरी, तथा भीम सिंह कार्की श्रीमती सुमन कार्की।
आज स्थानीय मातृ शक्ति व समस्त श्रृद्धालु भक्त जनों के द्वारा मन्दिर प्रांगण में सामूहिक रूप से सुन्दर काण्ड का पाठ किया गया। कथा के आज पंचम दिवस कि कथा का शुभारंभ व्यास पण्डित मनोज कृष्ण जोशी जी ने सबसे पहले आयोजकों श्री मां नयना देवी अमर उदय ट्रस्ट परिवार उपस्थित श्रद्धालु श्रोताओं का अभिनन्दन किया,आभार व्यक्त किया।श्रीमद् देवी भागवत ग्रन्थ व श्री पुराणों को प्रणाम करने के उपरांत इस स्थान को धारण करने वाली श्री मां नयना देवी को शत-शत नमन किया। तथा
श्री हनुमान जी से इस श्रीमद भागवत कथा को सुनने के लिए आग्रह किया , आमंत्रित किया। मंगलाचरण करते हुए आनन्द मयी चैतन्य मयी भजन से मां का आह्वान किया, जिसमें उपस्थित सभी श्रृद्धालु भक्त जनों ने भी अपनी सहभागिता की।
व्यास जी ने कहा कि कथा तीनों तापों को हर लेती है अब मैं कहूं कि आश्चर्य क्या है तो आप कहेंगे कि ताजमहल भी तो एक आश्चर्य है। यही प्रश्न नारद जी ने नारायण से पूछा कि भगवन् संसार में आश्चर्य क्या है।जीहवा सबके पास है हमें फिर भी नरक में जाना पड़ता है। भगवान का नाम शुलभ है।तो इससे बड़ा आश्चर्य हो ही नहीं सकता। आपका मन ईश्वर भक्ति में लगे या ना लगे उसका स्मरण हमेशा करना चाहिए।
इसके बाद व्यास जी ने ध्रुव
सत्य कि कथा विस्तार पूर्वक सुनाई।‌कथा में बताया कि समय और काल चक्र कैसे बदलते हैं। कहा है कि – पुरुष बलि होत नहीं समय होत बलवान। एक भजन के माध्यम से हमें समझा कि – सुख दुःख जिसमें रहते, जीवन है वो गांव, कभी धूप तो कभी छांव।
उपर वाला पांसा फैंके, नीचे चलते दांव कभी धूप तो कभी छांव।
जो गाय का साधु का, सन्तों का, पुराणों का अपमान करता है वह व्यक्ति नष्ट हो जाता है। जो व्यक्ति विपत्ति में अपनी बुद्धि से काम करता है उसे तुरंत फल भी प्राप्त हो सकता है। बच्चा जब तोतली भाषा में बोलते हैं तो मां प्रसन्न हो जाती है। बच्चा जब पहली बार मां, पिता जी कहता है तो वह दोनों प्रसन्न हो जाते हैं। इसलिए हमें मां कि उपासना एक शीशु बनकर करनी चाहिए। तुतलाकर करनी चाहिए।‌यदि स्वप्न में ईश्वर के दर्शन होते हैं तो वह ईश्वर के दर्शन ही होते हैं। हमें अपने से बड़ों को हमेशा प्रणाम करना चाहिए। इसमें आपका कूछ नहीं जाता, आशीर्वाद ही मिलेगा। इसके बाद व्यास जी ने बहुत ही सुन्दर भजन सुनाया – तेरो चाकर करे पुकार भवानी बेगी पधारो आज….. ‌
इस कथा के बाद व्यास जी ने नवरात्र कैसे करने चाहिए। उन्होंने बतलाया कि नवरात्र में दिन और रात बराबर होते हैं। विशेष कर चैत्र और आश्विन के नवरात्र। नवरात्र में व्रत करना चाहिए। निराहार व्रत करें।पूरे नवरात्र नहीं कर सकते हैं तो तीन नवरात्र अवश्य करने चाहिए।नौ दिन अल्पाहार करना चाहिए। कन्या पूजन करें, यदि हवन नहीं कर सकते हैं तो हवन सामग्री किसी मन्दिर में दें सकते हैं। श्री राम चन्द्र जी ने भी नवरात्र व्रत किया था।इस पर जनमेजय ने व्यास जी से प्रश्न किया तो व्यास जी ने संक्षिप्त में उन्हें राम कथा सुनाई। महाराज दशरथ ने, महाराज जनक जी ने भी नवरात्र व्रत किया था। व्यास जी ने ऋंगी ऋषि, पुत्र कामेष्टि यज्ञ, राम जन्म से लेकर रावण मरण तक कि कथा का सुन्दर वर्णन किया। सीता स्वयंवर, अहिल्या उद्धार, का सजीव वर्णन किया। भगवती ने कहा कि राम के विरोध में किसे खड़ा किया जाए तो सरस्वती ने मंथरा कि बुद्धि पर प्रवेश किया। व्यास जी से मति,सुमति, कुमति,मंदमति,और महामति के अर्थ को विस्तार पूर्वक समझाया।
हनुमान के जन्म कि कथा को भी विस्तार पूर्वक समझाया। इसके बाद सबने आरती में सहभागिता की।
कल छठे दिन कि कथा का शुभारंभ ३ बजे से ६ बजे तक होगा। इस उपलक्ष्य पर श्री मां नयना देवी अमर उदय ट्रस्ट के अध्यक्ष राजीव लोचन साह, घनश्याम लाल साह, प्रदीप साह, महेश लाल साह, हेमन्त साह, श्याम यादव, राजीव दूबे, भीम सिंह कार्की, श्रीमती सुमन साह, श्रीमती अमिता साह तथा श्री मां नयना देवी मंदिर के समस्त आचार्य बसन्त बल्लभ पाण्डे, चन्द्र शेखर तिवारी, भुवन चंद्र काण्डपाल,व शैलेन्द्र मिलकानी, गणेश बहुगुणा, नवीन चन्द्र तिवारी, बसन्त जोशी, रमेश ढैला,सुनोज नेगी, जीवन चन्द्र तिवारी, राजेन्द्र बृजवासी, राहुल मेहता,तेज सिंह नेगी आदि कर्मचारी भी मौजूद रहे। कथा ३ बजे से ६ बजे तक होगी। इस महा यज्ञ में आप सभी श्रृद्धालु भक्त जन सादर आमंत्रित हैं, मां नयना देवी आप सभी का मनोरथ सिद्ध करें।

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