कुविवि के देवदार सभागार में आयोजित हुआ फेलो ऑफ नेशनल एकेडमी तथा आईएनएसए के प्रेसिडेंट शीर्ष वैज्ञानिक प्रो० आशुतोष शर्मा का व्याख्यान, चुनौतियां जरूर है पर हमारी दृढ़ इच्छाशक्ति ही ताकत बनकर हमारी कमजोरियों को दूर करेगी- प्रो० आशुतोष शर्मा

नैनीताल। कुमाऊं विश्वविद्यालय के देवदार सभागार में फेलो ऑफ नेशनल एकेडमी तथा इंडियन नेशनल साइंस अकादमी के प्रेसिडेंट, पूर्व सचिव साइंस एवम टेक्नोलॉजी भारत सरकार प्रो० आशुतोष शर्मा द्वारा “साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन इन द न्यू मिलेनियम” विषय पर व्याख्यान दिया गया।

कुमाऊं विश्वविद्यालय के डायरेक्टरेट ऑफ विजिटिंग प्रोफेसर के द्वारा आयोजित आमंत्रित वार्ता में शीर्ष वैज्ञानिक प्रो० आशुतोष शर्मा ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव भारत की सामाजिक-सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक पहचान के बारे में प्रगतिशील है। आज जो तीस वर्ष के है वो 2047 में 53 वर्ष के होंगे ऐसे में हमें विज्ञान के साथ अगले बीस वर्षो में आगे आना होगा तथा जनसंख्या पर नजर रखनी होगी। उन्होंने कहा कि प्रो० आशुतोष शर्मा ने कहा कि हम सभी को मिलकर विकसित भारत का सपना पूरा करना होगा। हमें जी- 20 की थीम “सतत विकास में साइंस” को ध्यान में रखते हुए कार्य करने होंगे। हमारे समक्ष चुनौतियां जरूर है पर हमारी दृढ़ इच्छाशक्ति ही ताकत बनकर हमारी कमजोरियों को दूर करेगी।

प्रो० आशुतोष शर्मा ने कहा कि हमें नए आविष्कारों और नवाचारों पर ध्यान देना होगा। एक नया आइडिया क्रांति कर सकता है। मुझे लगता है कि नए आइडिया किसी भी देश का भग्य बदल सकते हैं। वैसे आजकल हर कोई इनोवेशन पर जोर दे रहा है। दुनिया की हर कंपनी कुछ नया करना चाहती है। हो सकता है कि कोई बड़ी कंपनी नई खोज न कर पाएं और एक छोटी कंपनी एक नए आइडिया की मदद से कुछ बड़ा कमाल कर दे।

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प्रो० शर्मा ने अपने व्याख्यान के दौरान उपस्थित शोधार्थियों की शंकाओं का समाधान भी किया। उन्होंने बताया कि किस तरह अच्छे शोध प्रस्ताव बनाकर हम शोध अनुदान प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि एक अच्छे शोधकर्ता को खुले विचारों वाला होना चाहिए और उसे सोचने का एक महत्वपूर्ण तरीका भी अपनाना चाहिए। इसके अलावा, उसे मेहनती, केंद्रित और अपनी रुचि के विशिष्ट क्षेत्र के प्रति समर्पित होना चाहिए।

इस अवसर पर कुलपति प्रो० दीवान एस रावत ने शीर्ष वैज्ञानिक प्रो० आशुतोष शर्मा का स्वागत एवं आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हमारे विद्यार्थी साइंस तो पढ़ रहे हैं लेकिन उन्हें सीखने के लिए प्रैक्टिकल करना बेहद जरूरी है। तकनीकी महारत हासिल करने के लिए बुनियादी अनुसंधान की जरूरतों पर बल देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमें मिलकर नये विचारों के लिए अनुकूल माहौल बनाना होगा साथ ही विश्वविद्यालय में शोध संस्कृति भी विकसित करनी होगी। लीक से हटकर सोचने की आदत विकसित करनी होगी। कुछ नया करने के लिए हमें सफलता और असफलता के भय से बाहर निकलना होगा। इस अवसर पर कुलपति रावत ने विश्वविद्यालय द्वारा चलाये जा रहे नवाचारी कार्यक्रमों की भी जानकारी प्रदान की।

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इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्वलन एवं कुलगीत की सुमधुर प्रस्तुति से किया गया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए डायरेक्टरेट ऑफ विजिटिंग प्रोफेसर के निदेशक प्रो० ललित तिवारी ने करते हुए शीर्ष वैज्ञानिक प्रो० आशुतोष शर्मा का परिचय प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के अंत में कुलपति प्रो० दीवान एस रावत ने प्रो० आशुतोष शर्मा को शॉल उड़ाकर एवं जागेश्वर मंदिर के प्रतीक चिन्ह से सम्मानित किया साथ ही विश्वविद्यालय के छात्र हर्षित कुमार द्वारा बनाई गई उनकी फोटो भेंट की गई ।

इस अवसर पर गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय पर्यावरण संस्थान के निदेशक प्रो० सुनील नौटियाल, प्रो० संजय पंत, प्रो० पदम सिंह बिष्ट, प्रो० एल०एस० लोधियाल, प्रो० राजीव उपाध्याय, प्रो० सुषमा टम्टा, डॉ० महेंद्र राणा, प्रो० एन०जी० साहू, प्रो० कुमुद उपाध्याय, प्रो० अनिल बिष्ट, प्रो० युगल जोशी, डॉ० तनुजा साह, डॉ० संतोष, डॉ० हिमानी कार्की, डॉ० उज्मा, डॉ० दीपक मेलकानी, डॉ० दीपिका गोस्वामी, डॉ० मनोज बिष्ट, हिमानी, गीतांजलि, वसुंधरा, दिशा, इंदर रौतेला, गरिमा, पूजा, चारू, रश्मि, लक्षिता सहित 105 शिक्षक, शोधार्थी एवं अन्य विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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