कुविवि के वाणिज्य विभाग ने किया माइक्रोफाइनांस के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं का सशक्तिकरण विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन, माइक्रोफाइनेंस ने ग्रामीण महिलाओं को दिया उचित आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक सशक्तिकरण प्राप्त करने का एक उत्कृष्ट अवसर – श्रीमती कुसुम कंडवाल अध्यक्ष, राज्य महिला आयोग

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नैनीताल l कुमाऊं विश्वविद्यालय के वाणिज्य विभाग द्वारा “बुरांश सभागार” में माइक्रोफाइनांस के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं का सशक्तिकरण विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। राष्ट्रीय सेमिनार का शुभारंभ मुख्य अतिथि उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती कुसुम कंडवाल, विशिष्ट अतिथि निदेशक उच्च शिक्षा उत्तराखंड श्रीमती अंजू अग्रवाल, मुख्य वक्ता पूर्व निदेशक उच्च शिक्षा उत्तराखंड प्रो० सी०डी० सूंठा एवं निदेशक आई०क्यू०ए०सी० प्रो० संतोष कुमार द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया।

इस अवसर पर राष्ट्रीय सेमिनार के संयोजक विभागाध्यक्ष वाणिज्य विभाग प्रो० अतुल जोशी एवं विभाग के प्राध्यापकों द्वारा मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि, मुख्या वक्ता एवं निदेशक आई०क्यू०ए०सी० का पुष्पगुच्छ एवं बैज अलकरण के साथ स्वागत एवं अभिनंदन किया गया। साथ ही इंटीग्रेटेड बी०एड० विभाग की छात्राओं द्वारा कुलगीत, स्वागत गीत एवं उत्तराखंड की लोक संस्कृति से परिपूर्ण सांस्कृतिक कार्यक्रमों की मनमोहक प्रस्तुति दी गई, जिन्हें सभागार में उपस्थित समस्त अतिथियों द्वारा सराहा गया।

राष्ट्रीय सेमिनार के उद्घाटन सत्र में उपस्थित प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती कुसुम कंडवाल ने कहा कि बचत और ऋण सुविधाओं तक पहुंच से निर्णय लेने में महिलाओं की भागीदारी बढ़ती है। यह महिलाओं को स्वयं के साथ-साथ अपने बच्चों की भलाई पर खर्च बढ़ाने में सक्षम करता है साथ ही अनुत्पादक और हानिकारक गतिविधियों में घरेलू आय के रिसाव को रोकता है। उन्होंने कहा कि कि माइक्रोफाइनेंस ने ग्रामीण महिलाओं को उचित आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक सशक्तिकरण प्राप्त करने का एक उत्कृष्ट अवसर दिया है, जिससे भाग लेने वाले परिवारों के लिए बेहतर जीवन स्तर और जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि हुई है।

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उद्घाटन सत्र में विशिष्ट अतिथि निदेशक उच्च शिक्षा उत्तराखंड श्रीमती अंजू अग्रवाल ने कहा कि भारत का ह्रदय इसके ग्रामीण क्षेत्रों में बसता है और यह भारत का आर्थिक इंजन भी है। वित्तीय समावेशन, महिला सशक्तीकरण और डिजिटल समावेशन लाकर ​माइक्रोफाइनेंस ​भारत को एक महाशक्ति के रूप में उभरने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा​​।​

राष्ट्रीय सेमिनार में मुख्य वक्ता पूर्व निदेशक उच्च शिक्षा उत्तराखंड प्रो० सी०डी० सूंठा ने अपने सम्बोधन में कहा कि माइक्रोफाइनैंस का मुख्य उद्देश्य है कम आय वाले ग्राहकों को वित्तीय सेवाएं उपलब्ध कराकर महिलाओं को सशक्त बनाना, जो आमतौर पर बैंकिंग एवं इससे संबंधित अन्य सेवाओं से वंचित रहती हैं। उन्होंने कहा कि गरीब ग्रामीण एवं शहरी महिलाओं को माइक्रोक्रेडिट/ माइक्रोफाइनैंस मिलने से उनमें आत्मविश्वास आता है, जो उनके सशक्तिकरण की दिशा में पहला कदम है। इससे उनकी आवाज़ उठाने की क्षमता बढ़ती है, उनके साथ होने वाले हिंसा के मामले कम होते हैं और साथ ही वे परिवार के महत्वपूर्ण फैसलों को प्रभावित कर सकती हैं। उन्होंने बताया कि प्रधान मंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) के तहत व्यापक प्रयासों के चलते 513 मिलियन (51 करोड़ 30 लाख) भारतीयों को बुनियादी बैंक खाते का स्वामित्व मिला है, जिनमें 55% महिलायें हैं।

इस अवसर पर निदेशक आई०क्यू०ए०सी० प्रो० संतोष कुमार ने कहा कि महिलाओं की भूमिका अभी तक परदे के पीछे रही है। यही कारण है कि इन्हें समुचित रूप से मान्यता नहीं मिल पाई है। उन्होंने कहा कि महिलाओं की कमाने की क्षमता बढ़ाकर माइक्रोफाइनैंस कंपनियों ने आर्थिक सशक्तीकरण का चक्र शुरू किया है, जिससे महिलाओं के कल्याण को बढ़ावा मिला है, समाज एवं राजनीति में उनकी भूमिका बढ़ी है, लिंग समानता को प्रोत्साहन मिला है, और साथ ही महिलाओं की तरफ पुरूषों का व्यवहार भी बेहतर हुआ है।

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इससे पूर्व राष्ट्रीय सेमिनार के संयोजक विभागाध्यक्ष वाणिज्य विभाग प्रो० अतुल जोशी ने सभी अतिथियों का स्वागत एवं सेमिनार के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि किसी भी राष्ट्र का विकास महिलाओं के विकास पर निर्भर करता है। यदि महिला सशक्त हो जायेगी तो पूरा देश अपने आप विकसित हो जायेगा। क्योंकि महिलाएं ही घर, समाज और अंततः एक राष्ट्र का निर्माण करती हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए आर्थिक स्वतंत्रता को सुनिश्चित करना होगा ताकि महिलाओं को समाज में समान अवसर मिल सके। प्रो० जोशी ने कहा कि परिवार में महिलाओं के वित्तीय समावेशन हेतु सहायक माइक्रोफाइनेंस एवं अन्य कार्यक्रमों का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य महिलाओं की अंतर-पारिवारिक सौदेबाजी की शक्ति और उनकी निर्णय लेने की क्षमता में सुधार करना है।

राष्ट्रीय सेमिनार के उद्घाटन सत्र में मंच सञ्चालन डॉ० निधि वर्मा एवं रीतिशा शर्मा द्वारा एवं अतिथियों का आभार ज्ञापन आयोजक सचिव डॉ० विजय कुमार किया गया। इस अवसर पर निदेशक डीएसबी परिसर प्रो० नीता बोरा, प्रो० लता पांडेय, प्रो० चित्रा पांडे, प्रो० ललित तिवारी, प्रो० एम०सी० पांडेय, प्रो० सी०एस० जोशी, प्रो० पी०एन० तिवारी, डॉ० आरती पंत, डॉ० फ़कीर नेगी, डॉ० जीवन उपाध्याय, डॉ० विनोद जोशी, डॉ० ममता जोशी, डॉ० हिमानी जलाल, डॉ० पूजा जोशी, डॉ० तेज प्रकाश, श्री भूपाल सिंह करायत, डॉ० मोहित सनवाल, पंकज भट्ट आदि उपस्थित रहे।

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