महिला शिक्षा से राष्ट्र शिक्षा” डीएसबी परिसर के समाजशास्त्र विभाग में विद्यार्थी संगोष्ठी का आयोजन किया गया


नैनीताल l समाजशास्त्र विभाग की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर ज्योति जोशी एवं कला संकायाध्यक्ष प्रोफ़ेसर पदम सिंह बिष्ट जी के संरक्षण में विद्यार्थी संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का शीर्षक लैंगिक समानता विकास की पहली शर्त था। संगोष्ठी में समकालीन भारतीय समाज में लैंगिक आधार पर असमानता के विभिन्न पक्षों और पहलुओं जैसे सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक, पर्यावरणीय तथा अन्य मुद्दों पर चर्चा की गई। तथा लैंगिक आधार पर सरकारी नीतियों एवं कार्यक्रमों की समीक्षा की गई। एवं महिलाओं के लिए आरक्षण संबंधी प्रावधानों पर भी विचार विमर्श किया गया। विद्यार्थी संगोष्ठी में शोध छात्र हर्षवर्धन पंत ने बटरफ्लाई इफेक्ट के माध्यम से लैंगिक समानता तथा उत्तराखंड राज्य में पर्यावरण संरक्षण में महिलाओं की भूमिका, गौरा देवी के योगदान पर प्रकाश डाला। इसके बाद कोमल ने सस्टेनेबल डेवलपमेंट के पांचवे गोल्स जो कि लैंगिक समानता जैसे जेंडर बजटिंग, सबरी माला केश, ट्रिपल तलाक आदि मुद्दों पर अपने विचार रखे। शोध छात्रा रिया पांडे ने महिला सशक्तिकरण एवं विकास के प्राचीन या वैदिक कालीन कर्तव्य आधारित तथा आधुनिक अधिकार आधारित फेमिनिज्म पर प्रकाश डाला। शोध छात्रा नेहा बिष्ट ने शिक्षा पर इन्वेस्ट तथा इन्वेस्टिंग ऑन वूमेन पर विचार प्रस्तुत किया तथा चार केस स्टडी के माध्यम से कल्पना चावला, किरण मजूमदार शाह, मिस इंदिरा गांधी, गौरा देवी के योगदान पर विचार रखें। डॉ. हरिश्चन्द्र मिश्र ने एनईपी 2020 में महिलाओं हेतु उच्च शिक्षा में कैपिबिलिट डिवेलपमेंट अप्रोच तथा लैंगिक समानता और विकास में विशेष शिक्षा जोन पर अपने विचार प्रस्तुत किये। अंत में संगोष्ठी को “महिला शिक्षा से राष्ट्र शिक्षा” का मूलमंत्र पर संगोष्ठी संपन्न हुई। संगोष्ठी की संयोजक डॉ. प्रियंका नीरज रूवाली ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया। एवं संचालन डॉ. सरोज पालीवाल द्वारा किया गया। संगोष्ठी में प्रोफेसर अर्चना श्रीवास्तव, डॉ. अर्शी परवीन, डॉ. हरिश्चन्द्र मिश्र एवं समाजशास्त्र विभाग के स्नातक, परास्नातक तथा शोध छात्र भी मौजूद रहे तथा अपने-अपने विचार प्रस्तुत किये।

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