आध्यात्मिक प्रगति ही सेवा है विषय पर गोष्ठी संपन्न, सेवा ही साधना है-अनिता रेलन

नैनीताल l केन्द्रीय आर्य युवक परिषद् के तत्वावधान में आध्यात्मिक प्रगति ही सेवा है विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया।य़ह कोरोना काल से 710 वाँ वेबिनार था। वैदिक विदुषी अनिता रेलन ने कहा कि सेवा को हम अक्सर दूसरों के लिए किया गया कार्य मानते हैं,परंतु सच्चाई यह है कि सेवा दूसरों के लिए नहीं,आत्मा के विकास के लिए होती है।जब मनुष्य निस्वार्थता, समर्पण और करुणा के साथ किसी के लिए कुछ करता है,तो वह केवल कर्म नहीं करता—वह साधना करता है और यही साधना उसे भीतर से बदलती है।यही परिवर्तन आध्यात्मिक प्रगति कहलाता है।
भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं, “यदि तुम मुझे पाना चाहते हो, तो निष्काम भाव से कर्म करो।” यह ‘कर्म’ केवल युद्ध या बाहरी कर्तव्यों तक सीमित नहीं है, बल्कि प्रत्येक कर्म में सेवा भाव का समावेश ही आध्यात्मिक पथ की शुरुआत है।सेवा ही साधना है, क्योंकि वह हमें ‘मैं’ से ‘हम’ की यात्रा पर ले जाती है।जब सेवा में अहंकार का लोप हो जाता है और कर्ता भाव समाप्त हो जाता है, तब वह सेवा त्याग बन जाती है, तपस्या बन जाती है। वेदों में कहा गया है –
“ईशा वास्यमिदं सर्वं…” — हर जीव में ईश्वर का वास है।इसलिए जब हम सेवा करते हैं, तो वह केवल मानव सेवा नहीं रहती —वह ईश्वर सेवा बन जाती है।”तमसो मा ज्योतिर्गमय” — सेवा वह दीप है जो हमें अज्ञान से ज्ञान की ओर ले जाता है।गुरु-शिष्य परंपरा में भी यही संदेश है। गुरु की सेवा केवल बाहरी नहीं होती, वह अपने भीतर के अंधकार को उनके प्रकाश में समर्पित करना होता है। यही सेवा आत्म-प्रगति का मूल आधार है।शेरावाली माता की आराधना करते समय जब कोई भक्त भंडारा करता है, किसी ज़रूरतमंद को भोजन देता है, या दूसरों की पीड़ा बांटता है, तो वह केवल परोपकार नहीं कर रहा — वह आत्मा को विस्तृत कर रहा है। वही विस्तार सेवा है और वही आध्यात्मिकता का सच्चा स्वरूप है।सेवा में जब कृतज्ञता, शुचिता और दर्शन जुड़ जाते हैं, तब वह केवल कर्म नहीं रहती — वह भक्ति बन जाती है।अंत में, ऋग्वेद का एक सुंदर मंत्र हमें प्रेरित करता है —
“आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः” — चारों दिशाओं से हमारे पास शुभ संकल्प आएं और शुभ संकल्प वहीं आते हैं जहाँ सेवा है, त्याग है और आत्मा की आकांक्षा है परम से जुड़ने की।यही सेवा है। यही आध्यात्मिक प्रगति है l आर्य विदुषी राजश्री यादव ने अध्यक्षता की।परिषद अध्यक्ष अनिल आर्य ने कुशल संचालन किया।प्रदेश अध्यक्ष प्रवीण आर्य ने धन्यवाद ज्ञापन किया Iगायिका कौशल्या अरोड़ा, जनक अरोड़ा, कमला हंस, सुमित्रा गुप्ता 97 वर्षीय आदि ने मधुर भजन सुनाए।

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