कुमाऊँ विश्वविद्यालय में शोध को प्रोत्साहन हेतु 10 करोड़ रूपए का कोष स्थापित: कुलपति प्रो. दीवान एस. रावत की विशेष पहल

नैनीताल। कुमाऊँ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दीवान एस. रावत द्वारा विश्वविद्यालय में शोध एवं नवाचार को सुदृढ़ करने हेतु 10 करोड़ रूपए के शोध कोष की स्थापना की गई है। यह निर्णय विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद द्वारा अनुमोदित किया गया है। यह विश्वविद्यालय के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होगा, जो आने वाले वर्षों में अनुसंधान और अकादमिक उत्कृष्टता को नई ऊँचाइयों पर ले जाएगा।
कुलपति प्रो. रावत ने बताया कि इस कोष की स्थापना का उद्देश्य विश्वविद्यालय में उच्च गुणवत्ता वाले शोध कार्यों को प्रोत्साहित करना, युवा शोधार्थियों एवं प्राध्यापकों को नवीन विचारों और नवाचारों पर कार्य करने हेतु आर्थिक सहयोग प्रदान करना है। इस कोष से प्राप्त ब्याज राशि का उपयोग प्रतिवर्ष विभिन्न शोध परियोजनाओं, प्रकाशनों, पेटेंट और तकनीकी नवाचारों को बढ़ावा देने में किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि आंतरिक अनुसंधान वित्त पोषण की शुरुआत वर्ष 2023 में की गई थी, जो विश्वविद्यालय के मुद्रण कार्यों में हुई बचत से प्रारंभ हुई थी। इस पहल से प्रेरित होकर पिछले दो वर्षों से उत्तराखण्ड सरकार द्वारा विश्वविद्यालय को 3 करोड़ रूपए का विशेष अनुदान शोध को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से प्रदान किया जा रहा है, जो कुलपति के अनुरोध पर स्वीकृत हुआ था।
प्रो. रावत ने कहा कि शोध विश्वविद्यालय की आत्मा है। यह कोष हमारे शोधकर्ताओं को स्वतंत्र रूप से सोचने, प्रयोग करने और समाजोपयोगी अनुसंधान करने की दिशा में प्रेरित करेगा। हमारा लक्ष्य कुमाऊँ विश्वविद्यालय को हिमालयी क्षेत्र में अनुसंधान उत्कृष्टता का केंद्र बनाना है। उन्होंने बताया कि यह कोष स्थायी स्वरूप में स्थापित किया जा रहा है ताकि अनुसंधान गतिविधियाँ दीर्घकाल तक सतत रूप से चल सकें। इस पहल के तहत हर वर्ष 4 करोड़ रूपए की राशि इस कोष में जोड़ी जाएगी, और विश्वविद्यालय का लक्ष्य अगले कुछ वर्षों में 25 करोड़ रूपए का कोष स्थापित करने का है।
यह कोष विशेष रूप से स्थानीय एवं क्षेत्रीय समस्याओं जैसे पर्यावरण संरक्षण, आपदा प्रबंधन, औषधीय पौधों का संवर्धन, सतत पर्यटन और ग्रामीण विकास जैसे विषयों से संबंधित शोध परियोजनाओं को बढ़ावा देगा। विश्वविद्यालय इस दिशा में राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय संस्थानों, पूर्व छात्रों, उद्योग जगत तथा संगठनों से सहयोग की भी अपेक्षा कर रहा है ताकि यह कोष और अधिक सशक्त रूप में विकसित हो सके।