शरद पूर्णिमा,कोजागर व्रत – नानिदिवाली।संस्कृति अंक। आलेख व छायाकार – बृजमोहन जोशी


नैनीताल l यूं तो सम्पूर्ण भारत वर्ष में महा लक्ष्मी जी का पर्व एक साथ मनाया जाता है। किन्तु उत्तराखंड के कुमाऊं अंचल में आश्विन मास कि पूर्णिमा को नानि दिवाली ( छोटी दीपावली) के रुप में अर्थात महा लक्ष्मी जी की बाल अवस्था के रूप में महा लक्ष्मी पर्व कि ही तरह लघु रूप में इसे मनाया जाता है। कोजागर पूर्णिमा से हरि बोधिनी एकादशी तक लगभग एक माह तक आकाश दीप जलाया जाता है। गन्ने कि सहायता से महा लक्ष्मी की बाल रूप में मूर्ति का निर्माण किया जाता है,ऐपण दिये जाते हैं,दीप जलायें जाते हैं।धार्मिक मान्यतानुसारआश्विन मास कि पूर्णिमा को भगवती लक्ष्मी जी रात्रि में यह देखने के लिए घूमती है कि कौन जाग रहा है जो जाग रहा है उसे धन देती हैं। लक्ष्मी जी के” को जागर्ति” कहने के कारण ही इस व्रत का नाम कोजागर पड़ा है।आश्विन मास कि पूर्णिमा शरद पूर्णिमा कहलाती है।शरद पूर्णिमा कि रात्रि में चन्द्रमा की चांदनी में अमृत का निवास रहता है, इसलिए इस कि किरणों से अमृत्व और आरोग्य की प्राप्ती शुलभ होती है।
आप सभी महानुभावों को शरद पूर्णिमा नानि दिवाली अर्थात छोटी दीपावली कि हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं।

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