“गौ रक्षा और गौ संवर्धन” पर गोष्ठी संपन्नगौ संवर्धन राष्ट्र निर्माण में सहायक है-आचार्य श्रुति सेतिया
नैनीताल l केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में “गौ रक्षा और गौ संवर्धन” विषय पर ऑनलाईन गोष्ठी का आयोजन किया गया। यह करोना काल से 578 वा वेबिनार था। वैदिक विदुषी आचार्य श्रुति सेतिया ने कहा कि परमात्मा ने सभी प्राणियों की आवश्यकता के लिए सभी पदार्थ बनाएं हैं। शैशावस्था में मनुष्य को माता का दूध चाहिए जिसकी प्राप्ति परमात्मा ने उत्तम रीति से की हुई है । शैशावस्था के बाद की मनुष्यों की आवश्यकता की सभी वस्तुएं वा पदार्थ भी परमात्मा ने सृष्टि में रच कर प्रदान कर रखें हैं । मनुष्य के जीवन में दुग्ध का अत्यंत महत्व है । इसकी पूर्ति गौ आदि पशुओं से होती है । देसी गाय का दुग्ध श्रेष्ठ वा उत्तम होता है । गाय के दुग्ध में बुद्धि को ज्ञान प्राप्त करने में योग्य बनाने सहित शरीर के आरोग्य वा बल प्रदान उत्पन करने तथा शारीरिक वृद्धि में गौ दुग्ध की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है । यदि किसी बच्चे को माता का दूध सुलभ ना हो तो गौ माता के दूध से वह पल जाता है । गौ दुग्ध अन्न वा फलों का भी विकल्प होता है । देसी गाय का दुग्ध सभी साध्य वा असाध्य रोगियों के लिए श्रुधा निवृति पोषण एवम् रोग निवृति का कार्य करता है । शिक्षित वा बुद्धिमान मनुष्यों के सभी देशों में देशी गाय का रक्षण वा पोषण होना चाहिए और गाय की अपनी जन्मदात्री माता के समान श्रद्धापूर्वक सेवा की जानी चाहिए । ऐसा होने पर राष्ट्र सभी प्रकार की उन्नति कर अपने सभी लक्ष्यों , जनता की सुख वा शांति, अजयेता, ज्ञान विज्ञान की उन्नति, विकास, धर्म, अर्थ, काम , मोक्ष को प्राप्त हो सकता है । यदि किसी देश में गौपालन वा गौ संरक्षरण नही होता तो उस राष्ट्र को शिक्षित वा संस्कारित मनुष्यों का राष्ट्र नहीं कहा जा सकता । स्वामी दयानंद जी ने अपनी पुस्तक गौकरुणां निधि की रचना की तथा देश में गौ हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए आंदोलन किया । वे लिखते है की सारी सृष्टि में कौन मनुष्य होगा जो दुख और सुख को स्वयं ना मानता हो ? हे सर्वशक्तिमान प्रभु इस सृष्टि में मनुष्यों की आत्माओं में अपनी दया वा न्याय का प्रकाश कर जिससे सर्वदा सब सर्वोपकारक काम करें और स्वार्थपन से पक्षपात युक्त होकर कृपा पात्र गाय आदि पशुओं का विनाश ना करें, की जिससे दुग्ध आदि पदार्थों और खेती आदि क्रियाओं की सिद्धि से युक्त हो कर सब मनुष्य आनंद में रहें । गाय की एक पीढ़ी से 4,10,440 मनुष्यों का एक बार के भोजन के रूप में पालन होता है । वे बताते हैं की गौदुग्ध अधिक होने वा उसका सेवन करने से मनुष्य का मल कम मात्रा में होता है तथा वायु कम दुर्गंधयुक्त होता है । ईश्वर की आज्ञा को मानना सब मनुष्यों का कर्तव्य है । मनुष्य को किसी भी पशु की आहार वा भोजन के लिए हत्या कदापि नहीं करनी चाहिए । यह पाप है । जैसा दुख अपने लिए है, वैसा औरों का भी समझा कीजिए । गौ हत्या, गौमांस सहित अन्य पशुओं की हत्या वा मांस का सेवन अमानवीय एवम् निंदित कर्म है ।
मुख्य अतिथि आर्य नेत्री अनिता रेलन व अध्यक्ष राज सरदाना ने भी अपने विचार व्यक्त किए ओर गौ रक्षा पर जोर दिया। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कुशल संचालन किया कहा कि गौ संवर्धन से राष्ट्र की नीव मजबूत होगी। राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने धन्यवाद ज्ञापित किया। गायिका प्रवीणा ठक्कर, रविन्द्र गुप्ता, सरला बजाज, जनक अरोड़ा, नीलम गुप्ता, सुनीता अरोड़ा, विजय खुल्लर, कौशल्या अरोड़ा आदि के मधुर भजन हुए।