अंकिता भंडारी हत्याकांड की तीसरी बरसी पर नैनीताल में जुलूस निकाला गया

नैनीताल l अंकिता भंडारी हत्याकांड की तीसरी बरसी पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें रामलीला स्टेज मल्लीताल से एक जुलूस तल्लीताल डांठ तक निकल गया। कार्यक्रम की शुरुआत ’औरतें उठी नहीं तो जुल्म बढ़ता जाएगा’ जनजीत से शुरु हुई जिसे सतीश धौलाखंडी, त्रिलोचन भट्ट ने गाया। राजीव लोचन साह के शुरुआती सम्बोधन के बाद जुलूस के शक्ल में सभी लोग गांधी मूर्ति पर तल्लीताल डांठ की ओर चले। रास्ते में जनगीत और नारे लगते रहे और फिर वहां पर एक सभा का आयोजन किया गया। जिसमें विभिन्न वक्ताओं ने अंकिता और अन्य पीड़ित महिलाओं के लिए न्याय की मांग की। कार्यक्रम में सामाजिक संगठनों, कार्यकर्ताओं और आम लोगों ने एकजुट होकर महिला हिंसा, प्रशासनिक लापरवाही और सत्ताधारी व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाई। कार्यक्रम का संचालन शीला रजवार ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत सतीश धौलाखंडी और पी सी तिवारी ने जनगीत “अब तो होश में आ जाओ, ओ शब्दों के बाजीगर” गाते हुए समाज और प्रशासन को जागरूक करने का आह्वान किया।मुकेश सेमवाल ने अंकिता के माता-पिता की दयनीय स्थिति का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि अंकिता की मां अस्पताल में भर्ती हैं जिस कारण पिता कार्यक्रम में नहीं आ सके। उसके घर का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अंकिता का घर श्रीनगर के पास है, जो छोटा और जर्जर है, बारिश में छत टपकती है। अंकिता ने नदी से लाकर पत्थर इकट्ठा रखा था ताकि वो अपना घर बन सके, लेकिन उसकी हत्या ने सपनों को चकनाचूर कर दिया। अंकिता अपनी पहली तनख्वाह के बाद नौकरी छोड़ना चाहती थी। मुकेश सेमवाल ने कहा कि प्रशासन ने कोर्ट आने-जाने के लिए अंकिता के परिवार को कोई सुविधा नहीं दी पर लोग उसके साथ खड़े थे। होटल में कम करने वाले एक कुक ने अपराधी को “राक्षस” बताते हुए कठोर सजा की मांग की। कमला पंत ने अपनी बात रखते हुए महिला हिंसा को कम करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा अंकिता के लिए न्याय की छोटी जीत एकजुटता के कारण संभव हुई, लेकिन यह लड़ाई सभी पीड़ित महिलाओं के लिए जारी रहनी चाहिए। उत्तराखंड आंदोलन को याद करते हुए उन्होंने कहा कि आंदोलन के दौरान मुजफ्फरनगर जैसे कष्ट सहे थे, लेकिन आज भी महिलाओं के खिलाफ हिंसा और प्रकृति का शोषण बढ़ रहा है। उन्होंने उत्तराखंड को “ऐशगाह” बनाने से बचाने की अपील की। कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अधक्ष करण मेहरा ने प्रशासन और शासन पर सबूत नष्ट करने का आरोप लगाया। उन्होंने मुख्यमंत्री और रीना बिष्ट से पूछताछ की मांग की तथा सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपराधियों को राहत देने के आरोप लगाए। उन्होंने उत्तराखंड के महिला हिंसा के मामले में पहले स्थान पर होने की चिंता जताई। मुनीश कुमार ने अपने वक्तव्य में अंकिता हत्याकांड और नेपाल में हुए आंदोलन का जिक्र किया। उन्होंने न्यायपालिका में अन्याय होने का आरोप लगाया और कहा कि अंकिता को अभी तक पूरा न्याय नहीं मिला। उन्होंने उत्तराखंड आंदोलन की एकजुटता को याद करते हुए आज भी उसी भावना की जरूरत बताई।
के.के. बोरा (भाकपा माले) ने अपने संबोधन में
दुनिया की आधी आबादी (महिलाओं) को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष की जरूरत पर जोर दिया तथा पितृसत्तात्मक व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाने का आह्वान किया। धीरज ने सरकार पर अपराधियों को खुली छूट देने का आरोप लगाया और मुख्यमंत्री धाकड़ धामी पर तीन साल में अंकिता को पूरा न्याय न दिलाने का सवाल की बात कही। उनका मानना है कि महिलाओं को आरक्षण देने के बावजूद उनके खिलाफ अपराध बढ़ रहे हैं।
परिवर्तन पार्टी के पी.सी. तिवारी ने बार-बार होने वाली घटनाओं को व्यवस्था की खामी बताया। उन्होंने स्कूल बंद होने और लड़कियों को रोजगार न मिलने की समस्या उठाई।उन्होंने कहा अंकिता को एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक सामाजिक मुद्दे के रूप में देखने की जरूरत।
उनका मानना है कि राजनीतिक परिवर्तन के बिना स्थिति में सुधार संभव नहीं।
हाइकोर्ट के वकील नवनीश नेगी ने अंकिता के परिवार की आर्थिक और सामाजिक स्थिति कमजोर होने का जिक्र के चलते सरकार पर केस दबाने का आरोप लगाया। उनका मानना हे कि सामाजिक दबाव और आंदोलन के कारण कुछ हद तक अंकिता को न्याय मिला। उन्होंने कहा इस समय हाईकोर्ट में केस होने के कारण और अधिक एकजुटता की जरूरत है। उन्होंने न्यायपालिका से कहा कि अपराधियों को अपराधी की तरह देखें, न कि “मंत्री के बच्चों” की तरह।
तरुण जोशी ने अपने वक्तव्य में अंकिता सहित सभी पीड़ित बच्चियों के लिए न्याय की मांग की।
उन्होंने उत्तराखंड में भ्रष्टाचार और महिला हिंसा की बढ़ती घटनाओं पर चिंता व्यक्त की और
राजनीतिक व्यवस्था को बदलने के लिए बड़े आंदोलन की जरूरत को बताया। पूजा देवी ने गुनहगारों को कड़ी सजा की मांग की और अंकिता और अन्य बच्चियों के लिए एकजुट होने का आह्वान किया। रजनी जोशी ने उत्तराखंड में बिगड़ते हालात मैं चिंता व्यक्त ही और कहा की अब महिला हिंसा के विरोध में सड़कों पर उतरने की जरूरत है। चंदोला ने जनता की आवाज से सरकार को जगाने की बात पर जोर दिया। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए निरंतर संघर्ष की जरूरत पर भी जोर दिया। खष्टी बिष्ट ने कहा कि इस लडिया को हमने सड़क से सदन तक लड़ा।
किरण के मामले में अपराधियों के छूटने पर उन्होंने सवाल उठाया। “वीआईपी कौन था?” का सवाल उठाते हुए अधूरे न्याय की बात कही।उन्होंने उत्तराखंड को देवभूमि कहलाने के बावजूद महिला अपराधों में शीर्ष पर होने की चिंता व्यक्त की। सभा के अंत में कैलाश जोशी ने सभी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने जसपुर में हाल ही में हुई एक और घटना का जिक्र किया और जिला पंचायत चुनावों में हुई गुंडागर्दी की निंदा की और एकजुटता के साथ महिला हिंसा के खिलाफ लड़ाई जारी रखने की अपील की। कार्यक्रम का समापन “नफस नफस, कदम कदम” के नारे के साथ हुआ। सभी वक्ताओं ने एकजुट होकर अंकिता, कशिश, प्रीति और किरण नेगी के लिए न्याय की मांग को और तेज करने का संकल्प लिया।
















