30 अक्टूबर 1883 को हुआ था अजमेर में बलिदान 140 वां महर्षि दयानंद बलिदान दिवस सम्पन्न महर्षि दयानंद का बलिदान सदियों तक मार्ग प्रशस्त करता रहेगा -राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य

नैनीताल l केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती के 140 वें बलिदान दिवस पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया। उल्लेखनीय है कि 30 अक्टूबर 1883 को अजमेर में स्वामी जी का बलिदान हुआ था।

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केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि महर्षि दयानंद ने जो प्रकाश की लो जलाई थी उसका प्रकाश सदियों तक समाज का मार्ग प्रशस्त करता रहेगा।स्वामी जी ने एक वैचारिक क्रान्ति का शंखनाद किया था जिसने लोगों के सोचने की दिशा ही बदल डाली।आज भी स्वामी दयानन्द जी के विचार प्रसांगिक हैं और उसका प्रकाश सब और छा रहा है आज पाखंड अंधविश्वास के प्रति जागरूकता बढ़ी है।उन्होंने समग्र क्रांति का शंखनाद किया और हर चीज को तर्क की कसौटी पर उतारने का मापदंड दिया।उन्हें वेदो वाला ऋषि भी कहा जाता है उन्होंने लुप्त हुए वेदों को जर्मनी से मंगा कर पुनर्स्थापित किया।स्वामी जी ने कहा कि कोई कितना ही करे पर “स्वदेशी राज्य सर्वोत्तम” है।उनसे प्रेरणा पाकर हजारों नौजवान आजादी की लड़ाई में कूद पड़े।महर्षि दयानन्द की जलाई मशाल को अर्थात् परोपकार के कार्यों को हाथ में लेकर पुण्य कार्यों को तब तक लेकर आगे बढ़ना होगा,जब तक सभी दीप प्रदीप्त न हो जाएँ, चारों ओर प्रकाश न फैल जाए।

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मुख्य अतिथि आर्य नेता राजेश मेंहदीरता ने कहा कि व्यक्ति के जीवन में उसके कर्मो से सुगंध आनी चाहिए।यदि आपकी उपस्थिति मात्र से किसी को प्रसन्नता मिले यही आदर्श जीवन है।जो आपके पास है उसे समाज के लिए समर्पित कर देना चाहिए।

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अध्यक्ष आर्य नेत्री उर्मिला आर्या ने कहा कि यदि महर्षि दयानंद न आते तो महिलाओं को सम्मान न मिलता। नारी शक्ति के उत्थान में उनका उल्लेखनीय योगदान रहा है।

राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने महर्षि दयानंद जी के जीवन से प्रेरणा लेने का आह्वान करते हुए उनके संदेश को जन जन तक पहुंचाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आज स्वामी जी के विचारों की पहले से अधिक आवश्यकता है।

गायक नरेश खन्ना, नरेन्द्र आर्य सुमन, पिंकी आर्या, प्रवीना ठक्कर, रजनी गर्ग, रचना वर्मा, दीप्ति सपरा, नताशा कुमार, अशोक गोगलानी, सुदेश आर्या, जनक अरोड़ा, रविन्द्र गुप्ता आदि ने मधुर भजन सुनाये।

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