नव वर्ष नव संचेतना के साथ नव ऊर्जा का सृजन करता है डॉक्टर ललित तिवारी

नव वर्ष नव संचेतना के साथ नव ऊर्जा का सृजन करता है । भारतीय संस्कृति जो पंचांग पर आधारित है । इसी क्रम में हिंदू नववर्ष संवत कैलेंडर चंद्र गणना पर की जाती है और प्रथम दिवस नव संवत्सर के नाम से जाना जाता है। इसमें 15-15 दिन के दो पक्ष होते हैं, एक को कृष्ण पक्ष और दूसरे को शुक्ल पक्ष कहते हैं। प्रतिपदा से अमावस्या तक कृष्ण पक्ष और प्रतिपदा से पूर्णिमा तक शुक्ल पक्ष कहलाता है। हिंदी कैलेंडर में भी 12 महीने ही होते हैं। लेकिन हर 3 साल पर एक अधिक महीना इसमें जुड़ जाता है, उसे मलमास या अधिकमास कहते हैं। इस साल संवत नव संवत्सर 2081 शुरू हो रहा है।

हिंदू पंचांग वर्ष के प्रमुख महीनों के नाम चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ, और फाल्गुन हैं। पंचांग में भी दो प्रकार होते है पूर्णिमांत तो कुछ अमावस्यांत, यानी कुछ में महीनों की शुरुआत पूर्णिमा के बाद पहली तारीख से कुछ में अमावस्या के बाद पहली तारीख से होती है, बाकी चीजें समान ही हैं।
नए साल 2024 में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा मंगलवार 9 अप्रैल को पड़ रही है। इस दिन हिंदू नए वर्ष यानी नव संवत्सर की शुरुआत होती है।चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा ‘वर्ष प्रतिपदा’ कहलाती है। इस दिन से ही नया वर्ष प्रारंभ होता है। इसी दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि का निर्माण किया था। इसमें मुख्यतया ब्रह्माजी और उनकी निर्माण की हुई सृष्टि के मुख्य-मुख्य देवी-देवताओं, यक्ष-राक्षस, गन्धर्वों, ऋषि-मुनियों, मनुष्यों, नदियों, पर्वतों, पशु-पक्षियों और कीटाणुओं का ही नहीं, रोगों और उनके उपचारों तक का पूजन किया जाता है। इस दिन से नया संवत्सर शुरू होता है अतः इस तिथि को नव-संवत्सर भी कहते हैं। संवत्सर अर्थात बारह महीने का कालविशेष होता है । संवत्सर उसे कहते हैं, जिसमें सभी महीने पूर्णतः निवास करते हों।
भारतीय संवत्सर वैसे तो पाँच प्रकार के होते हैं। इनमें से मुख्यतः तीन सावन, चान्द्र तथा सौर है।
सावन- यह 360 दिनों का होता है। इसमें एक माह की अवधि पूरे तीस दिन की होती है।
चैत्र ही एक ऐसा माह है जिसमें वृक्ष तथा लताएँ पल्लवित व पुष्पित होती हैं। इसी मास में उन्हें वास्तविक मधुरस पर्याप्त मात्रा में मिलता है। वैशाख मास, जिसे माधव कहा गया है, में मधुरस का परिणाम मात्र मिलता है। चान्द्र 354 दिनों का होता है। यदि मास वृद्धि हो तो इसमें तेरह मास अन्यथा सामान्यतया बारह मास होते हैं। इसमें अँगरेजी हिसाब से महीनों का विवरण नहीं है।। इसमें प्रथम माह को अमांत और द्वितीय माह को पूर्णिमान्त कहते हैं। दक्षिण भारत में अमांत और पूर्णिमांत माह का ही प्रचलन है। धर्म-कर्म, तीज-त्योहार और लोक-व्यवहार में इस संवत्सर की ही मान्यता अधिक है । सौर- यह 365 दिनों का माना गया है। यह सूर्य के मेष संक्रान्ति से आरंभ होकर मेष संक्रांति तक ही चलता है। पर्यावरणीय एवम पुष्प युक्त होने के कारण प्रथम श्रेय चैत्र को ही मिला और वर्षारंभ के लिए यही उचित समझा गया। जितने भी धार्मिक कार्य होते हैं, उनमें सूर्य के अलावा चंद्रमा का भी महत्वपूर्ण स्थान है। जीवन का जो मुख्य आधार अर्थात वनस्पतियाँ हैं, उन्हें सोमरस चंद्रमा ही प्रदान करता है। इसीलिए इसे औषधियों और वनस्पतियों का राजा कहा गया है। शुक्ल प्रतिपदा के दिन ही चंद्र की कला का प्रथम दिवस है। संवत्सर शुक्ल से ही आरंभ माना जाता है क्योंकि कृष्ण के आरंभ में मलमास आने की संभावना रहती है जबकि शुक्ल में नहीं। ब्रह्माजी द्वारा सृष्टि निर्माण किया था तब इस तिथि को ‘प्रवरा’ (सर्वोत्तम) माना था। इसलिए भी इसका महत्व ज्यादा है
ब्रह्म पुराण में ऐसे संकेत मिलते हैं कि इसी तिथि को ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना की थी। इसका उल्लेख अथर्ववेद तथा शतपथ ब्राह्मण में भी मिलता है।
सृष्टि के संचालन का दायित्व इसी दिन से सारे देवताओं ने संभाल लिया था। ‘ स्मृत कौस्तुभ’ के मतानुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को रेवती नक्षत्र के ‘विष्कुम्भ योग’ में भगवान श्री विष्णु ने मत्स्यावतार लिया था।
महान सम्राट विक्रमादित्य के संवत्सर का यहीं से आरंभ माना जाता है। ईरान में ‘नौरोज’ का आरंभ भी इसी दिन से होता है, जो संवत्सरारंभ का पर्याय है।
‘ शक्ति संप्रदाय’ के अनुसार इसी दिन से नवरात्रि का शुभारंभ होता है। सतयुग का आरंभ भी इसी दिन से हुआ था।इस साल गुड़ी पड़वा 9 अप्रैल, 2024 को ही है। यह हिंदू नव वर्ष विक्रम संवत 2081 और शुभ चैत्र नवरात्रि की शुरुआत भी इसी दिन से होगी । क्रोधी हिन्दू धर्म में मान्य संवत्सरों में से एक है। यह 60 संवत्सरों में अड़तीसवाँ है। साठ संवत्सरों को 20-20 संवत्सरों के तीन समूहों में बांटा गया है। प्रभाव से व्यय तक के पहले 20 ब्रह्मा को सौंपे गए हैं। अगले 20 सर्वजीत से पराभव से विष्णु को और अंतिम 20 शिव को।.पंचांग में इस क्रोधी नामक संवत्सर , नववर्ष के राजा मंगल होंगे और मंत्री शनि होंगे। ऐसे में आने वाला अगले एक साल 5 राशियों के लिए बहुत ही उत्तम फलदायी रहने वाला है इसलिए अंग्रेजी साल में 57 जोड़कर विक्रमी संवत की संख्या निकालते हैं और 78 घटाकर शक संवत की संख्या निकालते हैं जो 2081 विक्रमी संवत तथा शाके 1946 होता है है। आप सबको नव वर्ष ,नव संवत्सर की बधाई एवं शुभ कामनाएं की विश्व में सभी स्वस्थ रहे शांति बनी रहे सभी को समृद्धि मिले ।

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