नैनीताल लिटरेचर फेस्टिवल 2025: साहित्यिक उत्साह और सांस्कृतिक गूंज के साथ भव्य शुभारंभ

नैनीताल l चारखेत स्थित माउंटेन मैजिक में आज नैनीताल साहित्य महोत्सव का शुभारंभ हुआ। इस आयोजन में उत्कृष्ट कथा-वाचन, ज्ञानवर्धक सत्र और समृद्ध व्याख्यानों का संगम देखने को मिला, जिसने दर्शकों का मन मोह लिया।
कार्यक्रम की संचालिका कनिका त्रिपाठी रहीं। फेस्टिवल फाउंडर और लेखनी फाउंडेशन के चेयरपर्सन अमिताभ सिंह बघेल ने औपचारिक रूप से सत्र का उद्घाटन करते हुए विशिष्ट अतिथियों और छात्रों का हार्दिक स्वागत किया। प्रख्यात विद्वान पुष्पेश पंत के मार्गदर्शन और सुश्री अंशु खन्ना के सलाहकार के रूप में सहयोग से यह कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें कई प्रतिष्ठित साहित्यकार एकत्रित हुए।
सर्वप्रथम अनहद मॉर्निंग रागास” कार्यक्रम में रवि जोशी ने अमन महाजन और गौरव बिष्ट के साथ मिलकर शास्त्रीय संगीत की मनमोहक प्रस्तुति दी। संगीत की यह आत्मीय प्रस्तुति अपने नाम ‘अनहद’ के अनुरूप दर्शकों को एक आध्यात्मिक यात्रा पर ले गई।
“एक्सपैंडिंग होराइजन्स ऑफ लिटरेचर” सत्र में इंदु पांडे ने साहित्य के बदलते परिदृश्य पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने बताया कि किस प्रकार कहानियाँ समाज को आकार देती हैं और पहाड़ों की मिट्टी से जुड़े रहने का महत्व समझाया।
“ग्रोइंग अप विद वर्ड्स” सत्र में प्रसिद्ध लेखिका अर्थी मुथन्ना सिंह ने स्वाति दिग्विजय बोरा के साथ साहित्य के साथ बचपन के जुड़ाव पर हृदयस्पर्शी चर्चा की। इस सत्र ने दर्शकों को बचपन की यादों में वापस ले जाकर बड़े होने के आश्चर्य को फिर से जीने का अवसर दिया।
“द इसेंशियल गालिब” नामक सत्र में साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता डॉ. अनीसुर रहमान और भूपेंद्र चौबे ने मिर्ज़ा ग़ालिब की कालजयी रचनाओं पर विमर्श किया। डॉ. रहमान ने गालिब को एक दार्शनिक विचारक के रूप में प्रस्तुत किया और उनकी रचनाओं की गहराई को समझाया।
“किस्से कस्बों से” सत्र में अशोक पांडे और दीपक बलानी ने छोटे शहरों की कहानियों और अपने निजी अनुभवों को साझा किया, जो भारतीय लोक-जीवन से गहराई से जुड़े हुए थे। अशोक जी ने अपनी पुस्तक के माध्यम से दर्शकों को स्थानीय संस्कृति से जोड़ा।
मध्याह्न भोजन अवकाश के बाद, दोपहर 02:15 बजे “द कैनवस ऑफ नैनीताल” सत्र में अनूप साह और इंद्रजीत ने शालिनी शाह के साथ संवाद किया। उन्होंने नैनीताल के प्राकृतिक सौंदर्य, फोटोग्राफी और स्थानीय कृषि नवाचारों जैसे मशरूम उत्पादन और मधुमक्खी पालन पर अपने अनुभव साझा किए।
दोपहर में “जिंदगी से डरते हो – बुक लॉन्च” कार्यक्रम में अमिताभ सिंह बघेल की पुस्तक का विमोचन किया गया। इस अवसर पर अमिताभ सिंह बघेल और डॉ. अनीसुर रहमान ने चंद्र शेखर वर्मा के साथ चर्चा की। इस सत्र में गज़ल और नज़्म काव्य विधाओं के अंतर पर प्रकाश डाला गया, विशेष रूप से कवि नून मीम राशिद के योगदान को रेखांकित किया गया।
“मास्टर्स ऑफ स्पाइसेस” सत्र में गुंजन गोयला, पुष्पेश पंत और सदाफ हुसैन ने अंशु खन्ना के साथ भारतीय खाद्य परंपराओं और संस्कृति के अटूट संबंध पर चर्चा की। विशेषज्ञों ने बताया कि “भोजन की आत्मा मसालों में बसती है” और खाना पकाना सामग्री के प्रति समझ और सम्मान का विषय है।
“रील टॉक: अनपैकिंग सिनेमा” सत्र में बेला नेगी और संध्या मृदुल ने रूडी सिंह के साथ भारतीय सिनेमा के बदलते स्वरूप और उसकी सामाजिक भूमिका पर विचार साझा किए। बेला नेगी, जिनकी फिल्में ग्रामीण उत्तराखंड के जीवन को दर्शाती हैं, ने पहाड़ी समाज के यथार्थ चित्रण के महत्व पर बल दिया।
दिन का समापन “कुमाऊनी फाग” लोक संगीत कार्यक्रम के साथ हुआ, जिसमें प्रभात गंगोला और उनकी टीम ने अपने लयबद्ध संगीत से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस प्रस्तुति ने कुमाऊँ की समृद्ध लोक संस्कृति को संगीत के माध्यम से जीवंत किया। यह महोत्सव सार्थक संवाद, सशक्त कथा-वाचन और गहन विचार-विमर्श का एक अद्भुत संगम रहा।

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