स्वाध्याय की महिमा विषय पर गोष्ठी सम्पन्न, स्वाध्याय से मनुष्य का कायाकल्प संभव-साध्वी रमा चावला

नैनीताल l केन्द्रीय आर्य युवक परिषद् के तत्वावधान में “स्वाध्याय की महिमा” विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया।यह कोरोना काल से 713 वाँ वेबिनार था।वैदिक विदुषी रमा चावला ने कहा कि स्वाध्याय की महिमा अपरंपार है।स्वाध्याय की शक्ति मनुष्य का कायाकल्प कर देती है।स्वाध्याय से हमारा तात्पर्य सद्ग्रंथ एवं आर्ष ग्रंथ पढ़ना उदाहरण के तौर पर वेद सत्यार्थ प्रकाश,उपनिषदों का पढ़ना वास्तव में सद्ग्रंथ जीवन के प्रेरक, सुधारक निर्माता हैं।स्वाध्याय शील व्यक्ति बुराइयों,चिंताओ एवं रोगों से मुक्त हो जाता है वो स्वयं का ही चिकित्सक बन जाता है।स्वाध्याय में अद्भुत शक्ति होती है।स्वाध्याय मनुष्य के एकान्त का उत्तम साथी है।स्वाध्याय करने से बुद्धि जागृति होती है।मनुष्य का मन चित्त शांत होता है।स्वाध्याय और सत्संग का गहरा संबंध है दोनो करने से संतुष्टि एवं आनंद मिलता है।विडंबना यह है कि आज कल स्वाध्याय की प्रवृत्ति कम हो गई है और जो कि बहुत चिन्ता का विषय है।देखो मनुष्य सब कुछ छोड़ जाएगा लेकिन अगर उसने स्वाध्याय करके श्रेष्ठ ज्ञान प्राप्त कर लिया है,तो उसकी धार्मिक प्रवृत्ति बनी रहेगी जो उसको उसके उद्देश्य पूरा करने में मदद करेगी।उपनिषदों का भी सन्देश है स्वाध्याय नम:।स्वाध्याय करने से मनुष्य परमात्मा की ओर खिंचा चला जाता है।स्वाध्याय और पुरुषार्थ एक दूसरे के पूर्वानुगामी हैं कि स्वाध्याय करने से मनुष्य कर्म ज्ञानपुर्वक करना शुरू कर देता है तब उसका आत्म ज्ञान जगने लगता है।स्वाध्याय की प्रक्रिया में पहले श्रवन,मनन,चिंतन,ग्रहण करके ही आत्मसात करना चाहिए। स्वाध्याय बार बार करने से तथा आत्म चिन्तन करने से मनुष्य का ज्ञान पक्का होता जायेगा।तब व्यक्ति उसको अपने जीवन में अमल करेगा तभी उसका जीवन सुधरेगा।अंत में जितना जितना उसका गहरा स्वाध्याय होता है उतना ही वह जीवन में धीरे धीरे करके मोक्ष की ओर बढ़ता जाएगा।मनुष्य कर्म ज्ञानपुर्वक करना शुरू कर देता है। तब उसका आत्म ज्ञान जगने लगता है। मुख्य अतिथि चंद्रकांता गेरा व अध्यक्ष आर्य नेत्री पूजा सलूजा ने आर्ष ग्रंथों के पढने पर जोर दिया। परिषद अध्यक्ष अनिल आर्य ने कुशल संचालन किया व प्रवीण आर्य ने धन्यवाद ज्ञापन किया। गायिका कौशल्या अरोड़ा ,जनक अरोड़ा, कमला हंस, सुनीता अरोड़ा, रविन्द्र गुप्ता आदि के मधुर भजन हुए।

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