कूटा तथा उत्तराखंड विश्वविद्यालय शिक्षा संघ यूटा ने इस आपदा से प्रभावित सभी परिवारों के प्रति गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है
नैनीताल l उत्तराखंड के उत्तरकाशी जनपद के धराली क्षेत्र में बादल फटने, अत्यधिक वर्षा और भूस्खलन के कारण हुई भीषण प्राकृतिक आपदा से जनजीवन को भारी क्षति पहुँची है। इस हृदयविदारक त्रासदी में कई अमूल्य जनजीवन, संपत्ति, कृषि भूमि एवं पर्यावरण को अपूरणीय क्षति हुई है। कुमाऊँ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (कूटा), तथा उत्तराखंड विश्वविद्यालय शिक्षा संघ यूटा ने इस आपदा से प्रभावित सभी परिवारों के प्रति गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है तथा कहा है कि यह हमारे लिए अत्यंत पीड़ादायक समय है जब प्राकृतिक आपदाएँ एक के बाद एक राज्य के विभिन्न हिस्सों में तबाही मचा रही हैं। कूटा इस कठिन समय में मृतकों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता है तथा उनके परिजनों को इस असहनीय दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करने की कामना करता है। कूटा तथा यूटा ने कहा है कि ये आपदा एक बार फिर यह सोचने पर विवश करती है कि पर्वतीय क्षेत्रों में अवैज्ञानिक विकास और अनियोजित निर्माण किस प्रकार प्राकृतिक आपदाओं को आमंत्रित कर रहे हैं।कूटा ने आग्रह किया है कि नीति निर्माता, योजनाकार और सरकारें पर्वतीय क्षेत्रों में विकास योजनाओं के निर्माण एवं क्रियान्वयन में पर्यावरणीय संतुलन को सर्वोपरि प्राथमिकता दें।
वनों का संरक्षण ,जिल श्रोत संरक्षण ,अनियंत्रित पर्यटन, और अत्यधिक निर्माण गतिविधियाँ इस संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र को नष्ट कर रही हैं। अब समय आ गया है कि हम विकास के वर्तमान मॉडल की पुनर्समीक्षा करें और ऐसी नीतियाँ बनाएं जो सतत विकास की अवधारणा पर आधारित हों। कुमाऊँ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने कहा कि कि पर्यावरण संरक्षण को एक सामाजिक आंदोलन के रूप में अपनाएं जाय तथा नीतियां इसी के अनुरूप बने ।
कूटा ने कुमाऊं विश्वविद्यालय के मनोज कुमार भवाली की माता के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है तथा श्रद्धांजलि दी है । कूटा की तरफ से अध्यक्ष
प्रोफेसर ललित तिवारी , डॉ. विजय कुमार महासचिव ,उपाध्यक्ष प्रॉफ नीलू लोदियाल ,डॉ दीपक कुमार ,
डॉ. संतोष कुमार ,डॉ पैनी जोशी ,डॉ उमंग सैनी ,डॉ अनिल बिष्ट ,डॉ दीपिका पंत ,डॉ युगल जोशी ,डॉ रितेश साह ,डॉ नगेंद्र शर्मा ने संवेदना व्यक्त की है एवं कुमाऊँ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (कूटा) के समस्त सदस्यों ने शोक व्यक्त किया।