प्रधानमंत्री प्रोफेसरशिप योजना के लिए कुमाऊँ विश्वविद्यालय देश के 32 प्रतिष्ठित संस्थानों में चयनित
नैनीताल l कुमाऊँ विश्वविद्यालय को एक गौरवपूर्ण उपलब्धि प्राप्त हुई है। इसे अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (ANRF) द्वारा शुरू की गई प्रधानमंत्री प्रोफेसरशिप योजना के अंतर्गत देश भर के केवल 32 चुनिंदा संस्थानों में शामिल किया गया है। इस योजना का उद्देश्य उभरते संस्थानों में विश्वस्तरीय अनुसंधान और नवाचार को प्रोत्साहित करना है।
इस योजना के अंतर्गत, प्रतिष्ठित शोध संस्थानों, विश्वविद्यालयों, उद्योगों तथा प्रयोगशालाओं से सेवानिवृत्त वैज्ञानिकों और विद्वानों को उभरते विश्वविद्यालयों में शोध और नवाचार का मार्गदर्शन करने के लिए आमंत्रित किया गया है।
गौरतलब है कि ये 32 विश्वविद्यालय/संस्थान पहले डीएसएटी -पेअर(प्रमोटिंग ऐकडेमिक रिसर्च एंड इनोवेशन ) योजना के अंतर्गत अनुदान प्राप्त कर चुके हैं, जिससे उन्हें प्रधानमंत्री प्रोफेसरशिप जैसी प्रतिष्ठित योजना के लिए पात्रता प्राप्त हुई। कुमाऊँ विश्वविद्यालय इस योजना के तहत डीसीटी -पेयर ग्रांट प्राप्त करने वाले अग्रणी संस्थानों में से एक है।
इस पहल से चयनित संस्थानों को देश के श्रेष्ठतम अनुभवों और विशेषज्ञता का लाभ मिलेगा।
कुमाऊँ विश्वविद्यालय का इस विशिष्ट सूची में चयन होना न केवल इसके शैक्षणिक उत्कर्ष का प्रमाण है, बल्कि यह इसके भविष्य की शोधपरक दिशा और क्षमता का भी संकेत है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दीवान एस. रावत के नेतृत्व में अनुसंधान, संकाय विकास और राष्ट्रीय संस्थानों से सहयोग पर दिया गया जोर इस उपलब्धि में महत्वपूर्ण रहा है।
इस अवसर पर कुलपति प्रो. रावत ने कहा, यह कुमाऊँ विश्वविद्यालय ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण उत्तराखंड क्षेत्र के लिए गर्व का विषय है। इस योजना के अंतर्गत चयन से हमें देश के श्रेष्ठ वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों से मार्गदर्शन मिलेगा, जिससे हमारी अनुसंधान संस्कृति को नई दिशा मिलेगी।
उन्होंने यह भी जानकारी दी कि प्रधानमंत्री प्रोफेसरशिप योजना का उद्देश्य द्वितीय व तृतीय स्तर के संस्थानों में अनुसंधान की आधारशिला को सुदृढ़ करना है, और कुमाऊँ विश्वविद्यालय इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने को तत्पर है।
कुलपति प्रो. रावत ने देश के शीर्ष भारतीय शिक्षाविदों से अनुरोध किया है कि वे इस योजना के अंतर्गत कुमाऊँ विश्वविद्यालय से साझेदारी करें। इस योजना के तहत चयनित प्रोफेसर को प्रति वर्ष ₹20 लाख तक का शोध अनुदान प्रदान किया जाएगा। उन्हें विश्वविद्यालय में छात्रों एवं शिक्षकों का मार्गदर्शन (मेंटरशिप) करना होगा। विश्वविद्यालय की ओर से इन प्रोफेसरों को सभी आवश्यक सुविधाएं, बुनियादी ढाँचा और अकादमिक सहयोग उपलब्ध कराया जाएगा।
कुमाऊँ विश्वविद्यालय ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि वह भारतीय हिमालयी क्षेत्र में उच्च गुणवत्ता वाले शोध और अकादमिक उत्कृष्टता का एक अग्रणी केंद्र है।