कुमाऊँ विश्वविद्यालय को मिली बड़ी शोध परियोजना, आईआईएससी बेंगलुरु के साथ DST-PAIR प्रोजेक्ट में हुआ चयन
नैनीताल l कुमाऊँ विश्वविद्यालय ने एक बार फिर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी शोध क्षमता का लोहा मनवाया है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST), भारत सरकार द्वारा प्रायोजित ANRF’s PAIR (Partnership for Academic and Research Advancement) कार्यक्रम के अंतर्गत कुमाऊँ विश्वविद्यालय को एक बहु-संस्थागत शोध परियोजना में शामिल किया गया है। यह परियोजना इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IISc), बेंगलुरु की अगुवाई में संचालित की जाएगी। 100 करोड़ रुपये की इस मेगा शोध परियोजना में देशभर से 17 संस्थानों ने IISc के साथ मिलकर प्रस्ताव भेजे थे। IISc ने इनमें से केवल 7 संस्थानों को चयनित कर एक शोध समूह (research consortium) का गठन किया, जिसमें कुमाऊँ विश्वविद्यालय को भी शामिल किया गया। इसके पश्चात इस समूह ने Empowered Committee के समक्ष परियोजना का प्रस्तुतीकरण किया। देशभर से इस प्रकार के कई समूहों ने प्रस्तुतियाँ दीं, जिनमें से केवल 6 समूहों का चयन अंतिम रूप से किया गया। IISc और इसके साथ जुड़े 7 संस्थानों का समूह भी उनमें से एक है, जो अपने आप में एक गौरवपूर्ण उपलब्धि है।इस परियोजना में शामिल अन्य संस्थानों में बेंगलुरु विश्वविद्यालय, IIEST शिबपुर, एनआईटी नागालैंड, पांडिचेरी विश्वविद्यालय, शिवाजी विश्वविद्यालय और कालीकट विश्वविद्यालय हैं। कुमाऊँ विश्वविद्यालय का इस प्रतिष्ठित सूची में स्थान पाना उत्तराखंड राज्य के लिए भी गर्व की बात है।
अनुसंधान के प्रमुख क्षेत्र
- प्लास्टिक कचरे के नवाचारपूर्ण पुनर्चक्रण द्वारा उच्च दक्षता वाले कार्बन नैनोमैटेरियल्स और 2D नैनोमैटेरियल्स के साथ हाइब्रिड सुपरकैपेसिटर का विकास
- जैव-चिकित्सकीय अनुप्रयोगों हेतु मैग्नेटिक एवं इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंटरफेस शील्डिंग मटेरियल्स
- कैंसर उपचार के लिए प्रभावशाली औषधि वितरण हेतु नैनोफॉर्मुलेशन का निर्माण
इस परियोजना में IISc बेंगलुरु हब की भूमिका निभाएगा, जबकि कुमाऊँ विश्वविद्यालय समेत अन्य 6 संस्थान स्पोक की भूमिका में होंगे। इससे कुमाऊँ विश्वविद्यालय के शिक्षकों और छात्रों को देश के अग्रणी वैज्ञानिकों के साथ कार्य करने, विचारों का आदान-प्रदान करने और अत्याधुनिक शोध में भागीदारी का अवसर मिलेगा। कुलपति प्रो. दीवान सिंह रावत ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा, “यह परियोजना कुमाऊँ विश्वविद्यालय की शोध पहचान को राष्ट्रीय पटल पर स्थापित करने की दिशा में एक मील का पत्थर सिद्ध होगी। हमारे शिक्षक और छात्र अब देश के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों के साथ मिलकर भविष्य की तकनीकों पर कार्य करेंगे।” यह परियोजना न केवल विश्वविद्यालय की शोध क्षमता को सुदृढ़ करेगी, बल्कि राज्य और देश के नवाचार आधारित विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देगी।