बहुत याद आते हैं गुरु जीबहु आयामी व्यक्तित्व के धनी ए.एन.सिंह (गुरु जी) की पहली पुण्यतिथि पर परम्परा ने किया याद.बृजमोहन जोशी नैनीताल। दिनांक ०८-०५-२०२५


बहु आयामी व्यक्तित्व के धनी प्रसिद्ध छायाकार व सेवा निवृत्त प्रधानाचार्य ,संस्कृति कर्मी , खिलाड़ी,तैराक,ए.एन.सिंह(गुरु जी)को पारम्परिक लोक संस्था परम्परा नैनीताल द्वारा उनकी पहली पुण्यतिथि पर किया गया याद।ए. एन.सिंह के पिता जी का नाम स्व.योगीराज सिंह माता जी का नाम स्व.श्रीमती लक्ष्मी देवी और धर्म पत्नी का नाम श्रीमती दीपा बिष्ट। गुरु जी का जन्म नैनीताल में 5 मार्च 1939 को हुआ।आपने डी.एस.बी.परिसर नैनीताल से एम.एस.सी तथा एल.टी.की परीक्षा लखनऊ से उत्तीर्ण की। वर्ष1996 मेआपकी नियुक्ति लाला चेतराम साह ठुलघरिया इण्टर कालेज नैनीताल में बाइ लाजी के लैक्चरर के पद पर हुई उसके बाद प्रधानाचार्य के पद सेआप इसी इण्टर कालेज से सेवा निवृत्त हुए आपने हाकी फुटबॉल ,किक्रेट ,टेनिस , स्केटिंग तैराकी,बाड़ी बिल्डिंग फैंसी ड्रेस के साथ साथ रंग मंचीय विधाओं में अपनी भागीदारी की।तैराकी में तोआप बतलाते थे कि नैनी झील को तल्लीताल से मल्लीताल तक पार कर लेते थे। शरदोत्सव नैनीताल में बाड़ी बिल्डिंग प्रतियोगिता में आप मिस्टर नैनीताल रहे।फोटोग्राफी का शौक बचपन से था।वर्ष 1968 मे पिंडारी ग्लेशियर कि यात्रा की तथा जीमखाना नैनी ताल में पिंडारी यात्रा वृत्तांत शीर्षक कि एक एकल प्रदर्शनी लगाई।आपने१९९९ में इण्डिया इण्टर नैशनल फोटो काउंसिल नई दिल्ली कि सदस्यता प्राप्त किऔर राष्ट्रीय व अंर्तराष्ट्रीय फोटो प्रतियोगिताओं में सह भागिताआरम्भ कि।वर्ष 2002 मे आपको इण्डिया इण्टर नैशनल फोटोग्राफी काउंसिल नई दिल्ली द्वारा वर्ष 2004 में कांस्य , वर्ष 2008 मे रजत,वर्ष 2012 में गोल्ड वर्ष 2014मे प्लैटेनम ग्रेडिंग अवार्ड से सम्मानित किया तथा I I P C New Delhi द्वारा चयनित देश के दस सर्व श्रेष्ठ छायाकारों में भी आप शामिल रहे।गुरु जी एक ऐसे फनकार थे जिनके सानिध्य में तरह तरह के लोग पनपते चले गये।और मैं अपने आप को भाग्यशाली मानता हूं कि मुझे उनका सनिध्य मिला क्योंकि मैं भी लाला चेत राम साह ठुलघरिया इण्टरकालेज मै वाणिज्य विषय का छात्र रहा हूं। गुरु जी कि अनेक विशेषताओं में एक विशेषता यह भी थी कि वो हमेशा एक अभिवावक के रूप में चीजों को समझाते‌ थे एक शरारती नट खट बच्चे की तरह छोटी छोटी बातों में थोड़ी देर के लिए नाराज भी हो जाते और फिर स्वयं मान भी जाते।अपनी स्मृतियों की,अपनी शरारतों की अपने समय की महत्वपूर्ण जान कारियों को गुरु जी अपने एक खास अन्दाज में हमसे सांझा किया करते थे। हम लोगों का हमेशा मार्ग दर्शन किया करते थे।अक्सर पहले मल्लीताल शर्मा वैष्णव भोजनालय में नींबू की चाय उसके बाद बलवीर भाई के घर तो लगभग हर रोज गुरु वाणी सुनते सुनते मै,गुरु जी, कल्याण सिंह सजवान जी ,अहद तनवीर व मोहन सिंह बिष्ट मोहन दा चाय और नमकीन।भारतीय स्टेट बैंक नैनीताल में भी चाय का यह सिल सिला जारी रहता था। स्टेट बैंक का कोई भी कार्य हो बलवीर भाई के पास बैठ बैठे हो जाता था। स्टेट बैंक के अधिकारी जी के .सी. भाई और भी बैंक में बलवीर सिंह जी के मित्र साथी उनसे लोक संस्कृति के वीविध आयामों के सम्बन्ध मे चर्चाएं होती रहती थी।आज वो किसी चलचित्र कि तरह बार बार याद आती हैं लगता है जैसे कल ही की तो बात है । ऐसी बहुत सी यादें आज भी जिंदा है। आपको समय समय पर नैनीताल में अनेक संस्थाओं के द्वारा आप के व्यक्तित्व व कृतित्व तथा फोटो ग्राफी के क्षेत्र में किये गये उत्कृष्ट कार्य हेतु सम्मानित किया गया।आप बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे।अपने देहावसान से कुछ दिन पूर्व वो फोन पर बहुत शीघ्र नैनीताल आने कि बात कर रहे थे,किन्तु ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था। एक गुरु कि तरह एक परिवार के वरिष्ठ सदस्य कि तरह आपहमेशा हमें समझाते रहते थे।आप एक शिक्षक एक छायाकार के साथ साथ एक बहुत ही अच्छे इंसान थे। गुरु जी हमेशा हमारी यादों में जिन्दा रहेंगे। प्रसिद्ध छायाकार कल्याण सिंह सजवान जी ने फोन से बतलाया कि गुरु जी कि पुण्य तिथि ,दिनांक केअनुसार २७अप्रैल२०२५आज हैउनके देहावसान कि तिथि ०८-०५ -‌ २०२४ है। इस कारण हम छायाकारों ने उनकी पुण्यतिथि के दिन भी उन्हें अपनी श्रृद्धांजलि अर्पित की और आज भी हम नैनीताल शहर के समस्त छायाकार,रंगकर्मी,संस्कृति कर्मी,साहित्यकार,शहरवासी बहुत ही भारी मन से उन्हें अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। उन्हें सादर नमन करते हैं।

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