मन को कैसे वश में करे गोष्ठी सम्पन्नसफ़लता के मन को काबू रखे-अतुल सहगल

नैनीताल l केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में “मन को कैसे वश में करे ” विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया I यह करोना काल से 728 वा वेबिनार था l
वैदिक प्रवक्ता अतुल सहगल ने विषय की भूमिका प्रस्तुत करते हुए, समाज के सामान्य जन के जीवन में इस विषय की महत्ता को सामने रखा l मन हमारे जीवन की धुर्री है l मानव जीवन का हर कार्य उसकी इन्द्रियों द्वारा संपन्न होता है परन्तु मन के द्वारा ही संचालित होता है l क्योंकि मन इन्द्रियों को चलाने वाला है l कार्य सही ढंग से करना हो और उसमें सफलता प्राप्त करनी हो तो मन पर नियंत्रण आवश्यक है l मन को ढीला छोड़ दिया तो यह जीवन को भटकती हुई नाव के सामान बना देता है अथवा ऐसे रथ के सामान बना देता है जिसके घोड़ों की लगाम ढीली हो l ‘मन के जीते जीत है, मन के हरे हार’ — ऐसी लोकोक्ति है l उन्होंने फिर भगवदगीता के दो श्लोकों का उद्धरण देते हुए मन की चंचलता की चर्चा की और भगवान श्री कृष्ण के वक्तव्य को सामने रखते हुए कहा कि मन को अभ्यास और वैराग्य से वश में किया जा सकता है l इसके बाद वक्ता ने अभ्यास और वैराग्य की भी कुछ विस्तार से चर्चा की l अभ्यास को योगाभ्यास बताते हुए, वक्ता ने वैराग्य को विषयों में आसक्ति का अभाव बताया l वैराग्य
को वक्ता ने दूसरे शब्दों का प्रयोग करते हुए सत्यज्ञान की पराकाष्ठा कह दिया l वक्ता ने एक कठोपनिषद का विख्यात
वचन भी प्रस्तुत किया जिसमें मनुष्य को एक रथ बताया है, जिसके घोड़े इन्द्रियां हैं, मन घोड़ों की लगाम है और सारथी बुद्धि है l मन पर नियंत्रण करना मौलिक धर्म के दस लक्षणों में एक लक्षण है l इसके बिना जीवन में प्रगति संभव नहीं, जीवन की सदगति नहीं l
वक्ता ने मन को वश में करने के व्यवहारिक उपाय सामने रखे l इनमें तप, जप, प्राणायाम, आहार शुद्धि और ध्यान आ जाते हैं l इन सब का वक्ता ने अल्प विवेचन किया l इसी सन्दर्भ में वक्ता ने विवेक अर्थात बुद्धि के सही प्रयोग के महत्त्व की चर्चा की l वक्ता ने यह तथ्य सामने रखा कि मनुष्य को अपना विवेक बढ़ा के बुद्धि बल से मन को नियंत्रित करने का प्रयास करना चाहिए l इसी बात को दूसरे शब्दों में कहें तो योगाभ्यास से मन और बुद्धि की दूरी को मिटाना होगा l प्रयास व अभ्यास से सब कुछ संभव है l मन को वश में करने का यही उपाय है l इसका कोई छोटा व सहज तरीका ( short cut) नहीं l यह तथ्य समझ लेना परमावश्यक है l मन की साधना जीवन के लिए प्रगतिकारक है, जीवन की उद्धारक है l मुख्य अतिथि आर्य नेता राजेश मेहंदीरत्ता व अध्यक्ष सोहनलाल आर्य ने भी मन को काबू करने के उपाय बताए ,परिषद अध्यक्ष अनिल आर्य ने कुशल संचालन करते हुए कहा कि जीवन में सफलता प्राप्त करने के मन को नियंत्रित करना आवश्यक है I प्रदेश अध्यक्ष प्रवीण आर्य ने धन्यवाद ज्ञापन किया. गायिका अनुराधा, जनक अरोड़ा, कमला हंस , रविन्द्र गुप्ता ,सुधीर बंसल, सुमित्रा गुप्ता, अनुराधा आनंद आदि के मधुर भजन हुए l

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