होली विशेषॐ महाज्वालाय विद्महे,अग्नि मध्याय धीमहि,तन्नोः अग्नि प्रचोदयात् पवित्र होली आग में दुःख, दरिद्रता का हो दहन।सबके जीवन में हर्षोल्लासऔर सुख शांति का हो वहन हो।


पुराणों के अनुसार दानवराज हिरण्यकश्यप ने देखा कि उसका पुत्र प्रह्लाद विष्णु भगवान का भक्त हो गया है और किसी अन्य को नहीं मानता तो वह क्रुद्ध हो उठा और उसने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया की वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए, क्योंकि होलिका को वरदान प्राप्त था कि उसे अग्नि से कोई नुक़सान नहीं होगा । किंतु होलिका जल गई और प्रहलाद सुरक्षित रहे । इसीलिए रंग पंचमी को चीड़ बाधी जाती है जिसमें पदम की टहनी का प्रयोग किया जाता है । तथा होलिका दहन में पूजन के बाद लकड़ी के सात जलाया जाता है । होली प्रकृति के रंगो के साथ पौधे के प्रयोग का पर्व भी है। जहा
वृन्दावन में राधा कृष्ण की फूलों वाली होली में भक्तों पर फूलों की वर्षा की जाती है वही होली, अपने जीवंत रंगों और उत्सव के उत्साह के साथ, लोगों को सद्भाव और खुशी के उल्लासपूर्ण उत्सव में एकजुट करती है। यहां रंग के साथ लठ मार होली भी प्रसिद्ध है ।बरसाना की होली जग प्रसिद्ध है ।
होली में पलाश के फूल , टेसू फूल का शानदार नारंगी रंग बनाया जाता है ।
परंपरा है कि होली की आग में गर्म करके गन्ने को खाने से कई बीमारियां खत्म होती हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार, होली की आग पवित्र होती है, जिसमें गन्ने को गर्म करके खाने पर घरमें सुख-शांति और तन के सारे रोग दूर होते हैं.।
इसके अलावा होलिका दहन की अग्नि में अनाज की आहूति भी दी जाती है जिससे सुख-समृद्धि बनी रहती है. होलिका में भुट्टा, दाल, चावल, गेहूं आदि जैसी चीजों को होलिका की अग्नि में अर्पित किया जाता है ।
. होलिका में दूध,हल्दी , रोली, गेहूं का आटा , कच्चा सूत , अक्षत, गुड़, फूल की माला, दिया,देसी घी,धूप ,भी चढ़ता है।
होलिका दहन के दिन होलिका प्रज्वलित होने के बाद उसमें 11 उपलों की माला, पान, सुपारी, नारियल, गोला,अक्षत, चना ,गन्ना इत्यादि, के साथ ही भोग में मीठा अर्पित किया जाता है । उसके बाद सात बार होलिका की अग्नि की परिक्रमा की जाती है ।
होलिका जब भस्म होती है, तो राख को घर में ले जाने की मान्यता है. इसके पीछे की धारणा यह है कि उसे पवित्र भस्म को जब घर में लाया जाता है, तो जो नेगेटिव एनर्जी घर में रहती है या इस तरह का कोई नकारात्मक वातावरण रहता है वह खत्म हो जाता है.
होली प्रकृति को एक सूत्र में पिरोने तथा उनके अवयव को एकत्र करता है तथा ग्रीष्म ऋतु की दस्तक भी देता है ।सारे कष्ट समाप्त हो तथा
रंगो की तरह सुन्दर हो ज़िन्दगी आपकी, हमेशा महकती मुस्कराती,स्वास्थ रहे रंगो की तरह ,यही दुआ हैं हमारी. होली की सपरिवार बधाई

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ॐ होलिकायै नमः
प्रो ललित तिवारी

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