हिंदी भाषा में नए ज्ञान एवं नवाचार का उत्पादन करने के लिए आगे आना चाहिए – कुलपति प्रो० दीवान एस० रावत

नैनीताल । प्रो० पवन माथुर द्वारा कुमाऊं विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन में कुलपति प्रो० दीवान एस० रावत एवं हिंदी विभाग के प्राध्यापकों को हिंदी के विख्यात कवि श्री गिरिजा कुमार माथुर की महत्वपूर्ण पुस्तक भेंट की गई। कार्यक्रम का संचालन करते हुए हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषा विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो० निर्मला ढ़ैला बोरा ने बताया कि साहित्य अकादमी पुरस्कार, व्यास सम्मान तथा शलाका सम्मान से सम्मानित श्री गिरिजा कुमार माथुर की कविताओं में लोक-चेतना और वैज्ञानिक-चेतना दोनों के दर्शन होते हैं। उनकी रचनाओं में प्रयोगशीलता देखी जा सकती है जिसमें शोध की अपार संभावनाएं हैं। कविता और गीतों के अतिरिक्त उन्होंने एकांकी नाटक, नाटक, कहानी और आलोचना में भी कार्य किया है। उन्होंने बताया कि श्री गिरिजा कुमार माथुर का एक गीत ‘छाया मत छूना मन’ और ‘वी शैल ओवरकम’ का हिंदी भावांतर ‘हम होंगे कामयाब’ अत्यंत लोकप्रिय रहा है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो० दीवान एस० रावत ने हिंदी साहित्य में श्री गिरिजा कुमार माथुर के महत्वपूर्ण योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि श्री गिरिजा कुमार माथुर ने समाज को नैतिक संदेश देने का कार्य अपनी कविताओं के माध्यम से किया है। लोकप्रिय रेडियो चैनल ‘विविध भारती’ उन्हीं की संकल्पना का मूर्त रूप है। कुलपति प्रो० रावत ने कहा कि हिंदी पूरे विश्व में बोली और समझी जाती है। हमें हिंदी भाषा को ही प्रचारित करने में नहीं अपितु सांस्कृतिक मूल्यों को रक्षित करके आगे ले जाने और आने वाली पीढ़ी को उसे उपलब्ध‍ कराने के लिए भी काम करना है। साथ ही हिंदी भाषा में नए ज्ञान एवं नवाचार का उत्पादन करने के लिए आगे आना चाहिए और यह हमारे गंभीर चिंतन-मनन का विषय भी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा छात्रों के लिए परिसंवाद, कौशल-विकास कार्यक्रम, प्रशिक्षण कार्यक्रम आदि चलाने के साथ-साथ विभिन्न कवियों, कलाकारों, लेखकों आदि से साक्षात्कार व भाषा-प्रयोगशाला की सहायता से भाषा विज्ञान कार्यक्रम का आयोजन समय-समय पर किया जाएगा।इस अवसर पर सुप्रसिद्ध कवि गिरिजा कुमार माथुर के सुपुत्र प्रो० पवन माथुर ने अपनी एक कविता भी प्रस्तुत कीं, जिसमें इतिहास की यात्रा करते शब्दों के साथ ही प्रेम की उत्कृष्ट परिभाषा ढूँढते हुए शब्द भी थे।इस अवसर पर कुलसचिव श्री दिनेश चन्द्रा, परीक्षा नियंत्रक डॉ० महेन्द्र राणा, महादेवी सृजन पीठ के निदेशक प्रो० शिरीष कुमार मौर्य, डॉ० शुभा मटियानी, डॉ० शशि पांडे, डॉ० दीक्षा मेहरा, कु० मेधा नैलवाल, श्रीमती मधु माथुर, श्री ललित मोहन एवं श्री एल०डी० उपाध्याय उपस्थित रहे।

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