हिंदी दिवस विशेष


मैथिलीशरण गुप्त ने कहा था कि
हिंदी उन सभी गुणों से अलंकृत है, जिनके बल पर वह विश्व की साहित्यिक भाषा की अगली श्रेणी में समासीन हो सकती है। हिंदी है हम ओर वतन है हिंदोस्ता हमारा हमारा की पंक्तियां हमें विशिष्ट पहचान देते है ।हिंदी का उद्भव संस्कृत के वंशज के रूप में हुआ है, तथा यह भाषा मध्यकालीन भारत में प्राकृत और फिर अपभ्रंश भाषाओं में परिवर्तित हुई ।
हिंदी हमारा गौरव , पहचान, संस्कृति, एकता और वैशिष्ट्य का परिचायक है. यह संवाद माध्यम के साथ भावनाओं, परंपराओं और इतिहास को व्यक्त करने वाली शक्तिशाली भाषा है ।
14 सितंबर 1949 को भारत की संविधान सभा में के ऐतिहासिक निर्णय तथा संविधान के निर्माताओं ने अनुच्छेद 343 के तहत तय किया कि देवनागरी लिपि में लिखी गई हिंदी भारत गणराज्य की आधिकारिक भाषा होगी। हिंदी का इतिहास जो संस्कृत से प्रारंभ हुआ तथा जो हजारों वर्षों से प्रयुक्त की जा रही है । अपभ्रंश (प्राकृत की अंतिम अवस्था) से विकसित हुई हिंदी’ शब्द संस्कृत के ‘सिंधु’ शब्द से बना है जिसे पुरानी हिंदी भी कहा जाता था, जो बाद में खड़ी बोली में विकसित हुई ।आधुनिक काल में, भारतेंदु हरिश्चंद्र और महावीर प्रसाद द्विवेदी जैसे विद्वान साहित्यकारों के सार्थक प्रयासों से खड़ी बोली को व्यवस्थित मानक रूप मिला. 1949 में, हिंदी को भारत की राजभाषा घोषित किया गया । वर्तमान में हिंदी दुनिया के 150 से ज़्यादा देशों में बोली जाती है, तथा एक अरब से ज्यादा लोग इसे समझते , लिखते ,पड़ते और बोलते हैं, और इसे 25 से अधिक देशों में आधिकारिक या अल्पसंख्यक भाषा का दर्ज प्राप्त है। फिजी की राजभाषा हिंदी है, और भारत के अलावा नेपाल, मॉरीशस, दक्षिण अफ्रीका, सिंगापुर, जर्मनी और सूरीनाम जैसे देशों में भी हिंदी का प्रयोग होता है।विश्व के 2000 विश्वविद्यालय के हिंदी का अध्ययन पर अध्ययन किया जा रहा है । इसकी वैज्ञानिक और लचीली देवनागरी लिपि, लेखन-पठन की स्पष्टता तथा शब्दों को आसानी से अपनाने की क्षमता, और लिंग व वचन के अनुसार क्रिया एवं विशेषण का बदलता रूप तथा ,सरल व्याकरण से युक्त हिंदी , भारत की अत्यंत विस्तृत सांस्कृतिक विरासत और लोकप्रिय भाषा है। हिंदी भाषा हमारा मर्म है। डॉक्टर ललित तिवारी हिंदी दिवस की बधाई

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