हर युग में कर्म की प्रधानता रही है-हरिओम शास्त्री

नैनीताल l केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में “युगों का काल और प्रवृतियों पर प्रभाव” विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया I यह करो ना काल से 739 वा वेबिनार था l

मुख्य वक्ता आचार्य हरिओम
शास्त्री ने कहा कि चाहे कोई भी युग हो हर युग मे कर्म की प्रधानता रहती है। हर युग मे पापी और पुण्यात्मा रहते आए हैं।सबसे छोटा युग कलियुग 432000वर्षों का होता है। इसका दोगुना वर्षों का द्वापर और तीन गुना वर्षों तथा चार गुना कलियुग के वर्षों को मिलाकर सतयुग का काल होता है। 71 चतुर्युगियों को मिलाकर एक मन्वंतर होता है।इस तरह सारी सृष्टिकाल में कुल 14 मन्वन्तर होते हैं। अब यह सातवां वैवस्वत मन्वंतर की अभी 28 कलियुगी का 5126 वर्ष चल रहा है शेष अभी इसी कलियुग के 4,26,874 वर्ष बीतने बाकी हैं।
इन सब युगों का जीवात्माओं के कर्मों और उनकी प्रतिक्रियाओं पर प्रभाव अवश्य पडता है।जैसे कि सतयुग मे देवता, गंधर्व, नाग, यक्ष, किन्नर, मानव,असुर, दैत्य और राक्षस रहते थे। फिर त्रेतायुग मे देवता, मानव (नागरिकऔरवानर)तथा राक्षस रहते रहे, द्वापर युग मे देवता, मानव (नागरिकऔर ग्रामीण)रहने लगे और मानव ही राक्षसों का काम करने लगा । और अब इस कलियुग मे केवल मानव ही रहते हैं। परंतु वे ही देवता, गंधर्व, असुर, दैत्य और राक्षसों का काम करते हैं। जिससे उनकी अलग अलग गतियां होने लगी हैं।
कार्यक्रम के अध्यक्ष पूजा सलूजा व विमला आहूजा ने अपने विचार व्यक्त किए ,परिषद अध्यक्ष अनिल आर्य ने कुशल संचालन किया व प्रदेश अध्यक्ष प्रवीण आर्य ने धन्यवाद ज्ञापन किया. गायिका कौशल्या अरोड़ा, जनक अरोड़ा, कमला हंस, शोभा बत्रा, प्रवीना ठक्कर, सुधीर बंसल, वीरेंद्र आहूजा,कुसुम भण्डारी आदि के मधुर भजन हुए l















