उत्तराखंड में लगातार बढ़ती आपदाओं से निपटने हेतु सरकार के आपदा-उत्तर राहत प्रयास पर्याप्त नहीं हैं, बल्कि इसके लिए दीर्घकालिक, वैज्ञानिक तथा ठोस रणनीतियों की आवश्यकता है नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य

नैनीताल l नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि धराली (उत्तरकाशी) क्षेत्र में बादल फटने से हुए भारी नुकसान का अत्यंत दुःखद समाचार प्राप्त हो रहा है । उन्होंने कहा कि मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि सभी प्रभावित परिवारों को सबल और सुरक्षा मिले। साथ ही स्थानीय प्रशासन और आपदा राहत टीमें जल्द से जल्द राहत और बचाव का कार्य संपन्न करें।
श्री आर्य ने कहा कि उत्तराखंड का प्राकृतिक घटनाओं जैसे बाढ़, भूस्खलन, भूमि अपरदन, वनाग्नि, बादल फटने, भूकम्प आदि से पुराना सम्बन्ध है लेकिन धीरे-धीरे समय और विकास के साथ ये घटनाएं अब मानवजनित आपदाओं का रूप ले रही हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि उत्तराखंड के अनेक पर्वतीय गांव प्रतिवर्ष आपदाओं का शिकार हो रहे है किन्तु पुनर्वास योजनाएं, सुरक्षित स्थानांतरण की प्रक्रियाएं तथा आपदा-पूर्व चेतावनी प्रणाली को विकसित करने में सरकार निरंतर फेल हो रही है । प्रशासनिक तंत्र, अनेक अवसरों पर संसाधनों की कमी, योजना की अनुपस्थिति और तात्कालिक निर्णयों की उपेक्षा के कारण आपदा प्रतिक्रिया में विफल नजर आ रहा है ।
श्री आर्य ने कहा कि उत्तराखंड में लगातार बढ़ती प्राकृतिक आपदाएं केवल पर्यावरणीय घटनाएं नहीं हैं, अपितु वे हमारे विकास मॉडल, नीति-निर्धारण एवं प्रकृति के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण पर गहरे प्रश्नचिह्न खड़ा करती हैं।
उन्होंने कहा कि जिस तरह सरकार द्वारा अनियोजित शहरीकरण और अनियोजित निर्माण हो रहा है, वह विनाश की किसी भी विभीषिका की तीव्रता को कई गुना बढ़ा रहा है। निर्माण की तेज रफ्तार ने सारे प्राकृतिक निकासों को पाट दिया है। नतीजा जलजमाव और जल भराव। यह पानी जो ऐसे समय में मुसीबत का मुख्य कारक है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि उत्तराखंड में लगातार बढ़ती आपदाओं से निपटने हेतु सरकार के आपदा-उत्तर राहत प्रयास पर्याप्त नहीं हैं, बल्कि इसके लिए दीर्घकालिक, वैज्ञानिक तथा ठोस रणनीतियों की आवश्यकता है।

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