जेंडर भूमिकाएं व अपेक्षाएं छात्र राजनीति में भागीदारी को कर रहीं प्रभावित वर्तमान तक छात्र नेता हावी, छात्राओं का छात्र राजनीति में क्रेज कम

नैनीताल। जेंडर भूमिकाएं और अपेक्षाएं छात्र राजनीति में भागीदारी को प्रभावित कर रहीं हैं। जेंडर और विचारधारा के बारे में जागरूकता और शिक्षा छात्र राजनीति में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती है, लेकिन वर्तमान तक छात्र नेता हावी हैं, जिससे छात्राओं का छात्र राजनीति में क्रेज कम हैं। एक शोध में इसकी पुष्टि हुई है। शोधार्थी का दावा है कि छात्र राजनीति में जेंडर और विचारधारा के मुद्दों को शामिल करने से अधिक समावेशी और प्रतिनिधित्व वाली बन सकती है।
डीएसबी परिसर स्थित राजनीति विज्ञान के शोधार्थी इंदर प्रसाद के शोध में सामने आया है कि वर्ष 2016 के बाद राष्ट्रवाद और स्वतंत्रता के मुद्दों पर छात्र नेताओं व छात्रों ने दखल देना शुरू किया। जिसके बाद छात्र न केवल अपनी मांगों को लेकर सामने आएं बल्कि राष्ट्र में चल रही गतिविधियों पर भी नजर बनाई और राष्ट्रहित को देखते हुए विरोध प्रदर्शन भी किया। इससे पूर्व वर्ष 2011 में अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन ने छात्रों को आकर्षित किया। वर्ष 2012 में आम आदमी पार्टी का उदय हुआ, जिसने छात्रों को आकर्षित करते हुए राजनीति में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। वर्ष 2016 में जेएनयू विवाद ने छात्र राजनीति में एक नया मोड़ लाया, जिसमें छात्रों ने राष्ट्रवाद और स्वतंत्रता के मुद्दों पर विरोध प्रदर्शन किया। जिसमें छात्रों ने वर्ष 2016 में नोटबंदी का विरोध, दलित आंदोलनों में हिस्सा लिया। वर्ष 2017 में विश्वविद्यालयों में स्वतंत्रता के मुद्दों पर छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया, जो एक महत्वपूर्ण बदलाव था। इसके अलावा सीएए, एनआरसी के साथ ही अन्य का विरोध करते हुए प्रदर्शन किया है। बता दें महोली जिला बागेश्वर निवासी शोधार्थी इंदर प्रसाद के पिता नैनराम, लाल बहादुर शास्त्री इंटर कॉलेज सनेती रीमा बागेश्वर से दफ्तरी पद से सेवानिवृत माता पार्वती देवी गृहणी है।

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वर्ष 2011 से सोशल मीडिया में छात्रनेता हुए सक्रिय

नैनीताल। सोशल मीडिया का छात्र राजनीति पर बहुत प्रभाव पड़ा है, जिससे छात्रों को अपने विचारों को व्यक्त करने और संगठन करने में मदद मिली है। 2011 में छात्र राजनीति में कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं। साथ ही छात्रनेता सोशल मीडिया में सक्रिय हुए।

ऐसे मिल सकेगा महिला प्रतिनिधि का प्रोत्साहन

  • जेंडर और विचारधारा छात्र राजनीति के महत्वपूर्ण पहलू हैं, जिन्हें ध्यान में रखा जाना चाहिए।
  • महिला प्रतिधित्व में सामर्थ्यवान नेतृत्व का अभाव है, जिसको बढ़ाने की जरूरत है।
  • छात्राओं के लिए प्रत्येक साल बाद अध्यक्ष पद का आरक्षित होना इससे महिला प्रतिनिधित्व बढ़ेगा।
  • छात्रसंघ चुनाव को सरल बनाया जाए और हफ्तेभर में चुनाव की तिथि नियत कर संपन्न कराया जाए।
  • अपराधिक मामलों में संलिप्त छात्रों की प्रतिभागिता को प्रतिबंधित किया जाए।
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