“गायत्री महिमा” पर गोष्ठी संपन्न गायत्री यश कीर्ति प्रदान करती है -साध्वी रमा चावला

नैनीताल l केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में “गायत्री मंत्र की महिमा” पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया। य़ह कोरोना काल से 626 वां वेबिनार था। वैदिक विदुषी साध्वी रमा चावला ने कहा कि गायत्री की महिमा अपरंपार है।उन्होंने कहा कि गायत्री मंत्र को सावित्री मंत्र, गुरु मंत्र,महामंत्र और गायत्री मंत्र भी कहा जाता है।गायत्री का गायंते त्रायते इति गायत्री अर्थात इस तरह गायत्री गाते गाते यह तार देती है।इसका साधारण अर्थ है प्राण स्वरूप प्राणों से प्यारा,दुख विनाशक,वरणीय,तेजस्वी परमात्मा हम आपको अपनी बुद्धियों में धारण करते हैं जो हमेशा हमारी बुद्धियों को सन्मार्ग की ओर ले चले।मंत्र को जपते जपते बुद्धि कुशाग्र हो जाती है तथा मनुष्य कुपथ छोड़कर सन्मार्ग की और अग्रसर हो जाता है।वह चुगली,ईर्षाद्वेष छोड़ विवेक से भर जाता है और समय का सदुपयोग कर पाता है गायत्री उपासक यश कीर्ति ही नहीं पाता बल्कि परलोक में भी उसे आनंद की प्राप्ति होती है।उसका अंतःकरण शुद्ध हो जाता है आत्मा पवित्र हो जाती है अतः एक गायत्री उपासक को सदैव ही स्वाध्याय भी करना चाहिए ताकि वह वेदानुकूल चल सके और संसार में रहते हुए मूल में भूल न कर पाए और सांसारिक दलदल में फंसने से बच जाए।गायत्री वह भट्टी है जिसके धधकते भू: भुव:, स्व:,रूपी प्रकाश अंगारों में समस्त पांचो क्लेश विद्या, अस्मिता,राग द्वेष भस्म होकर विद्या के फूल खिल जाते हैं अर्थात जब मनुष्य गायत्री का जप अष्टांग योग के द्वारा निरंतर करता है तथा उसका चिंतन मनन धारण करता है तो ऐसा करते-करते उसमें श्रद्धा और वैराग्य बढ़ जाता है। वह ध्यान की ओर बढ़ना शुरू कर देता है धीरे-धीरे समाधि और अंत में मोक्ष की ओर अग्रसर हो जाता है वास्तव में मोक्ष तक पहुंचाने की यह सबसे उत्तम सीढ़ी है और जब ऐसा ज्ञान हो जाता है तो साघक प्रफुल्लित, प्रसन्न होकर परमानंद को पा जाता है।

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मुख्य अतिथि आर्य नेत्री उषा सूद व अध्यक्ष विमला आहूजा ने भी दैनिक जीवन में गायत्री मंत्र के पाठ करने का आह्वान किया। परिषद अध्यक्ष अनिल आर्य ने कुशल संचालन करते हुए कहा कि गायत्री का उपासक बुद्धि को प्राप्त करता है।राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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गायिका पिंकी आर्य, प्रवीना ठक्कर, रविन्द्र गुप्ता, कौशल्या अरोड़ा, जनक अरोड़ा, कमला हंस, सन्तोष धर, करुणा चांदना के मधुर भजन हुए।

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