“गायत्री कैसे वरदात्री”पर गोष्ठी संपन्नगायत्री से बल, बुद्धि विजय प्राप्त होती है-आचार्य विमलेश बंसल दर्शनाचार्य
नैनीताल l मंगलवार को केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में “गायत्री कैसे वरदात्री” विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया I य़ह करोना काल से 621 वां वेबिनार था I आचार्य विमलेश बंसल दर्शनाचार्य ने कहा कि
वस्तुत: गायत्री मंत्र उस परम साध्य को पाने का एक सबल और सशक्त ऐसा मंत्र साधन है जिससे साधक शब्द अर्थ भाव बना जप करता हुआ ध्यान में सफलता प्राप्त कर परमेश्वर तक पहुंच सकता है। शुद्ध ज्ञान, कर्म का संदेश देता हुआ मंत्र स्तुति प्रार्थना तथा उपासना की त्रयी विद्या से जीवन को सुरक्षा तो प्रदान करता ही है। निर्भयता और स्वच्छता से भी भर देता है ऐसा सुखकर दान ही तो उसका वर है जिसका परमेश्वर दाता है, जिसकी पुष्टि अथर्ववेद के मंत्र स्तुता मया वरदा वेदमाता ने की है जहां इस लोक का तो सुख मिलेगा ही परलोक और ब्रह्मलोक भी मिलेगा। किंतु साध्य को वरण करने में लक्ष्य में उसका चुनाव निश्चित हो तभी मंत्र फलीभूत हो मिलन में सहायक होगा, इसके लिए यम नियम से व्यवहार की सत्यता शुचिता पवित्रता प्रथम आवश्यक है।
आओ हम सब गायत्री मंत्र का जप करते हुए अनेकानेक ज्ञान विज्ञान आयु प्राण प्रजा पशु यश कीर्ति ब्रह्मतेज बल शक्ति भक्ति सुख शांति आनंद इत्यादि वरों को प्राप्त कर मानव तन सार्थक करें I गायत्री मंत्र के जाप से बल बुद्ध की वृद्धि होती है I
मुख्य अतिथि रजनी गर्ग ने भी गायत्री मंत्र की महानता का संदेश दिया I परिषद अध्यक्ष अनिल आर्य ने कुशल संचालन किया व राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने धन्यवाद ज्ञापन किया I गायिका सुनीता अरोड़ा, जनक अरोड़ा, संतोष बजाज, आदि ने मधुर भजन सुनाए I