मुक्ति” पर गोष्ठी संपन्नहर जीवात्मा स्वतंत्रता चाहती है-अतुल सहगल
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नैनीताल l मंगलवार को केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में “मुक्ति” विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया I य़ह करोना काल से 635 वां वेबिनार था I वैदिक प्रवक्ता अतुल सहगल ने कहा कि जन्म मरण से छुट्टी और दीर्घ काल तक आनंद ही मुक्ति यानी मोक्ष है I उन्होंने सर्वप्रथम जो अपूर्ण और अशुद्ध परिभाषाएं सामान्य जनों में प्रचलित हैं, उनकी चर्चा की l प्रायः लोग इस विषय के बारे में त्रुटिपूर्ण धारणायें रखते हैं l मुक्ति अथवा मोक्ष एक पूर्णतः अभौतिक विषय है और इसको ठीक प्रकार समझने के लिए आर्ष ग्रंथों में समाहित सूक्त, सिद्धांत व उनकी व्याख्याएँ मन मस्तिष्क की पृष्ठभूमि में रखनी पड़ती हैं l मोक्ष अथवा मुक्ति का अर्थ है स्वतंत्रता l मनुष्यों के अतिरिक्त अन्य प्राणियों — पक्षिओं और पशुओं के उदाहरण प्रस्तुत करते हुए बताया कि हर जीवात्मा स्वतंत्रता चाहती है व दुखों को दूर करना चाहती है l पशु तो भोग योनि में आते हैं परन्तु मनुष्य का शरीर भोग और कर्म दोनों के लिए उत्पन्न हुआ है l इस शरीर में रह कर जीवात्मा अपने पिछले जन्म के सुख दुःख रूपी भोगों को तो भोगता ही है पर उसके अतिरिक्त उसे नवीन शुभ कर्म करने का भी जीवन काल अवधि के रूप में अवसर मिलता है l शुभ कर्म करने से वह अपनी भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति करता हुआ मोक्ष पथ पर आगे बढ़ता है l यह तथ्य प्रस्तुत किया कि मोक्ष की अवस्था में जीवात्मा ईश्वर या परमात्मा के साथ पूर्ण तालमेल रखते हुए परमानन्द की अवस्था में रहता है l इस अवस्था में जीवात्मा की 24 नैसर्गिक शक्तियां उसके साथ रहती हैं जिससे वह सब प्रकार के भौतिक व आध्यात्मिक सुखो को भोग सकता है l वक्ता ने मोक्ष काल की अवधि के बारे में भी बताया कि यह 31140 अरब वर्ष की है l इतनी लम्बी काल अवधि तक परमानन्द भोगना कोई साधारण बात नहीं है l मोक्ष प्राप्ति के साधनों की विवेचना करते हुए कहा कि महर्षि दयानन्द ने इसके दो मुख्य साधन बताये हैं — धर्माचरण और योगाभ्यास l इन दोनों साधनों के द्वारा ही मनुष्य अपनी भौतिक इच्छाओं की पूर्ति करता हुआ अपनी आत्मा की उन्नति भी करता है l शुभ और निष्काम कर्म करता हुआ वह अपनी अध्यात्मिक उन्नति करता है और तीव्रता से मोक्ष पथ पर अग्रसर होता है l वास्तव में मुक्ति या मोक्ष ही जीवन का अंतिम लक्ष्य है और वहां पहुँच कर सब बंधन, सब दुःख, सब इच्छाएँ, वासनायें और कामनायें समाप्त हो जाती हैं l इसके फलस्वरुप पूर्ण आनंद की स्थिति बन जाती है l सामान्य मनुष्य जब मोक्ष से सम्बंधित तथ्य जान लेता है तो वह उत्तम जीवन जीने लगता है l वह धर्म के मार्ग पर अधिक आरूढ़ होता है और जीवन को अधिक सफल और सुखमय बना लेता है l मोक्ष की भौतिक और आध्यात्मिक दोनों स्तरों पर महत्ता प्रकट की I मुख्य अतिथि डॉ. अल्का आर्य (निदेशक दिल्ली विकास प्राधिकरण) व चन्द्र कांता गेरा (कानपुर) ने भी सद्कर्मों द्वारा मुक्ति की और बढ़ने का मार्ग बताया I परिषद अध्यक्ष अनिल आर्य ने कुशल संचालन किया व राष्ट्रीय मंत्री परवीन आर्य ने धन्यवाद ज्ञापन किया I गायिका कौशल्या अरोड़ा, सुदर्शन चौधरी, जनक अरोड़ा, कमला हंस, उषा सूद के मधुर भजन हुए I
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